राष्ट्रपति चुनाव में बंट जाएगा विपक्ष? रामनाथ कोविंद के नाम पर नीतीश का रुख नरम

नीतीश ने सोमवार को रामनाथ कोविंद की प्रशंसा की थी. अब एनडीए अभी से नीतीश के बयान का इस्तेमाल करता दिख रहा है.

राष्ट्रपति चुनाव में बंट जाएगा विपक्ष? रामनाथ कोविंद के नाम पर नीतीश का रुख नरम

नीतीश ने राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी को लेकर अपना नरम रुख जाहिर किया है

खास बातें

  • नीतीश ने सोमवार को रामनाथ कोविंद की प्रशंसा की थी
  • कोविंद ने बिहार के गवर्नर हाउस को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने दिया- जेडीयू
  • रामविलास पासवान ने कहा, 'नीतीश का बयान महत्वपूर्ण है'
नई दिल्ली:

एनडीए की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी के ऐलान ने विपक्ष को असमंजस में डाल दिया है. मायावती पहले ही ऐलान कर चुकी हैं कि विपक्ष ने दलित उम्मीदवार नहीं उतारा तो वो पाला बदल सकती हैं. अब बिहार से भी उनको लेकर विपक्ष का रुख़ बदलता दिख रहा है.

दिल्ली में रामनाथ कोविंद ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाक़ात की. उन्होंने बिहार के राज्यपाल के पद से इस्तीफ़ा भी दे दिया है. इस बीच जेडीयू ने माना कि कोविंद ने बिहार के गवर्नर हाउस को 'राजनीति का अखाड़ा' नहीं बनने दिया. जेडीयू के प्रधान महासचिव, केसी त्यागी ने एनडीटीवी से कहा, 'रामनाथ कोविंद का आचरण बिहार में गरिमापूर्ण रहा है...बिहार में यही उनकी प्रसिद्धि का कारण है. दूसरे गवर्नरों की तरह कोविंद ने राज्य में बीजेपी-आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश नहीं की.'

केसी त्यागी से पहले सोमवार को ही नीतीश कुमार, कोविंद को लेकर अपना नरम और आत्मीय रुख़ जता चुके हैं. लेकिन गठबंधन के दूसरे सहयोगी लालू यादव विपक्ष के साथ खड़े दिख रहे हैं. लालू यादव ने कहा कि 22 जून को विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक हो रही है और इसी बैठक में विपक्षी दल अपनी साझा रणनीति तैयार करेंगे.

नीतीश ने सोमवार को रामनाथ कोविंद की प्रशंसा की थी. अब एनडीए अभी से नीतीश के बयान का इस्तेमाल करता दिख रहा है. लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष रामविलास पासवान ने एनडीटीवी से कहा, 'नीतीश का बयान महत्वपूर्ण है. नीतीश ने कोविंद की प्रशंसा की है. बिहार में नीतीश-लालू को कोविंद का समर्थन करना चाहिए. देश में सर्वसहमति से एक दलित राष्ट्रपति को चुना जाना चाहिए.'

22 जून को विपक्ष राष्ट्रपति चुनाव पर अपनी रणनीति, अपने उम्मीदवार का ऐलान करेगा. जाहिर है, अगले दो दिनों में ये पता चलेगा कि विपक्षी एकजुटता कितनी बनी रहती है या उसमें कितने सुराख होते हैं.


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