फाइल फोटो...
नई दिल्ली:
दिल्ली महिला आयोग ने नई दिल्ली के पुलिस उपायुक्त को नोटिस जारी कर पूछा है कि भारत की हॉकी टीम के कप्तान सरदार सिंह के खिलाफ एक कथित यौन उत्पीड़न मामले में आठ दिन पहले शिकायत दर्ज होने के बावजूद उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं की गई?
डीसीडब्ल्यू ने यह भी पूछा कि आरोपी के साथ शारीरिक संबंधों के बारे में एक महिला अधिकारी के बजाए एक पुरूष एसी ने शिकायतकर्ता से पूछताछ क्यों की और उसे करीब आधी रात तक पुलिस थाने में क्यों रोका गया? आयोग ने इस मामले में 15 जून को प्राथमिकी दर्ज करने की सिफारिश की थी।
नोटिस में कहा गया है, 'आयोग को सूचित किया गया है कि चाणक्यपुरी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराए जाने के बावजूद अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।' इसमें कहा गया है, 'आयोग इसे गंभीरता से लेता है, क्योंकि यह उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है, जिसमें यह कहा है कि यदि सूचना किसी संज्ञेय अपराध के बारे में खुलासा करती है तो प्राथमिकी दर्ज करना सीआरपीसी की धारा 154 के तहत आवश्यक है और ऐसी स्थिति में प्राथमिक जांच आवश्यक नहीं है।' आयोग को दिल्ली पुलिस द्वारा प्रोटोकॉल में किए गए कुछ 'उल्लंघनों' के संबंध में 22 जून को एक अभिवेदन मिला था, जिसके अनुसार शिकायतकर्ता से एक महिला अधिकारी के बजाए एक पुरूष एसीपी ने आरोपी के साथ शारीरिक संबंधों के बारे में पूछताछ की थी।
शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि उसे 16 जून को रात नौ बजे पुलिस थाने बुलाया गया और पुलिस थाने में करीब आधी रात तक रोके रखा गया। महिला अधिकारी ने शिकायत मिलने के सात दिन बाद 20 जून को शिकायतकर्ता से संपर्क किया। आयोग ने डीसीपी से नोटिस मिलने के 48 घंटों के भीतर जवाब देने को कहा है।
भारतीय मूल की एक ब्रितानी हॉकी खिलाड़ी ने आयोग के पास शिकायत की थी कि सिंह ने उसका शारीरिक उत्पीड़न किया और उसे दिल्ली के एक पांच सितारा होटल की सबसे ऊंची मंजिल से धक्का देने की कोशिश की गई।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
डीसीडब्ल्यू ने यह भी पूछा कि आरोपी के साथ शारीरिक संबंधों के बारे में एक महिला अधिकारी के बजाए एक पुरूष एसी ने शिकायतकर्ता से पूछताछ क्यों की और उसे करीब आधी रात तक पुलिस थाने में क्यों रोका गया? आयोग ने इस मामले में 15 जून को प्राथमिकी दर्ज करने की सिफारिश की थी।
नोटिस में कहा गया है, 'आयोग को सूचित किया गया है कि चाणक्यपुरी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराए जाने के बावजूद अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है।' इसमें कहा गया है, 'आयोग इसे गंभीरता से लेता है, क्योंकि यह उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है, जिसमें यह कहा है कि यदि सूचना किसी संज्ञेय अपराध के बारे में खुलासा करती है तो प्राथमिकी दर्ज करना सीआरपीसी की धारा 154 के तहत आवश्यक है और ऐसी स्थिति में प्राथमिक जांच आवश्यक नहीं है।' आयोग को दिल्ली पुलिस द्वारा प्रोटोकॉल में किए गए कुछ 'उल्लंघनों' के संबंध में 22 जून को एक अभिवेदन मिला था, जिसके अनुसार शिकायतकर्ता से एक महिला अधिकारी के बजाए एक पुरूष एसीपी ने आरोपी के साथ शारीरिक संबंधों के बारे में पूछताछ की थी।
शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि उसे 16 जून को रात नौ बजे पुलिस थाने बुलाया गया और पुलिस थाने में करीब आधी रात तक रोके रखा गया। महिला अधिकारी ने शिकायत मिलने के सात दिन बाद 20 जून को शिकायतकर्ता से संपर्क किया। आयोग ने डीसीपी से नोटिस मिलने के 48 घंटों के भीतर जवाब देने को कहा है।
भारतीय मूल की एक ब्रितानी हॉकी खिलाड़ी ने आयोग के पास शिकायत की थी कि सिंह ने उसका शारीरिक उत्पीड़न किया और उसे दिल्ली के एक पांच सितारा होटल की सबसे ऊंची मंजिल से धक्का देने की कोशिश की गई।
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