पर्रिकर ने स्वीकार किया कि कश्मीर जैसे मुद्दों के दबाव में उन्होंने रक्षा मंत्री का पद छोड़ा (फाइल फोटो)
पणजी:
मनोहर पर्रिकर को गोवा के मुख्यमंत्री पद से उठाकर देश का रक्षा मंत्री बनाया गया और अचानक रक्षा मंत्री से हटा कर उन्हें फिर से गोवा की बागडोर थमा दी गई. कहां गोवा जैसे छोटे से राज्य का मुख्यमंत्री होना और कहां रक्षा मामलों में पूरे देश की अगुवाई करना, एकदम 'फर्श से अर्श' और 'अर्श से फर्श' का सफर कहा जा सकता है. आखिर वे क्या कारण थे जिनके चलते मनोहर पर्रिकर को गोवा से दिल्ली और फिर दिल्ली से गोवा का सफर करना पड़ा.
दिल में छिपा दर्द आखिरकार पर्रिकर की जुबां पर छलक ही आया. उन्होंने स्वीकार किया कि कश्मीर जैसे कुछ प्रमुख मुद्दों का दबाव उन कारणों में से एक है जिसके चलते उन्होंने रक्षा मंत्री का पद छोड़ने और गोवा लौटने का फैसला किया.
चौथी बार गोवा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले पर्रिकर ने कहा कि चूंकि दिल्ली उनके कार्यक्षेत्र का हिस्सा नहीं रहा है. वह वहां पर दबाव महसूस करते थे.
पर्रिकर ने यहां डा. बीआर अंबेडकर की 126वीं जयंती के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘दिल्ली में रक्षा मंत्री के तौर पर काम करने के दौरान कश्मीर जैसे मुद्दे उन कारणों में थे जिसके चलते मैंने गोवा वापस लौटने का फैसला किया.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे जब मौका मिला तो मैंने गोवा वापस आने का निर्णय किया. जब आप केंद्र में होते हैं, आपको कश्मीर और अन्य मुद्दों से निपटना होता है.’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कश्मीर मुद्दे को सुलझाना एक आसान काम नहीं था और इसके लिए एक दीर्घकालिक नीति की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कुछ चीजें हैं जिन पर कम चर्चा की जरूरत है. कश्मीर जैसे मुद्दों पर कम चर्चा और अधिक कार्रवाई की जरूरत है क्योंकि जब आप चर्चा के लिए बैठते हैं तब मुद्दे जटिल हो जाते हैं.
(इनपुट भाषा से भी)
दिल में छिपा दर्द आखिरकार पर्रिकर की जुबां पर छलक ही आया. उन्होंने स्वीकार किया कि कश्मीर जैसे कुछ प्रमुख मुद्दों का दबाव उन कारणों में से एक है जिसके चलते उन्होंने रक्षा मंत्री का पद छोड़ने और गोवा लौटने का फैसला किया.
चौथी बार गोवा के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले पर्रिकर ने कहा कि चूंकि दिल्ली उनके कार्यक्षेत्र का हिस्सा नहीं रहा है. वह वहां पर दबाव महसूस करते थे.
पर्रिकर ने यहां डा. बीआर अंबेडकर की 126वीं जयंती के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘दिल्ली में रक्षा मंत्री के तौर पर काम करने के दौरान कश्मीर जैसे मुद्दे उन कारणों में थे जिसके चलते मैंने गोवा वापस लौटने का फैसला किया.’ उन्होंने कहा, ‘मुझे जब मौका मिला तो मैंने गोवा वापस आने का निर्णय किया. जब आप केंद्र में होते हैं, आपको कश्मीर और अन्य मुद्दों से निपटना होता है.’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कश्मीर मुद्दे को सुलझाना एक आसान काम नहीं था और इसके लिए एक दीर्घकालिक नीति की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कुछ चीजें हैं जिन पर कम चर्चा की जरूरत है. कश्मीर जैसे मुद्दों पर कम चर्चा और अधिक कार्रवाई की जरूरत है क्योंकि जब आप चर्चा के लिए बैठते हैं तब मुद्दे जटिल हो जाते हैं.
(इनपुट भाषा से भी)
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