इर्विन ग्राउंड में पहली गणतंत्र दिवस परेड का चित्र.
नई दिल्ली:
देश में राजपथ पर गणतंत्र दिवस की परेड आयोजित होती है. यह परेड आठ किमी की होती है और इसकी शुरुआत रायसीना हिल से होती है. उसके बाद राजपथ, इंडिया गेट से होते हुए ये लाल किला पर समाप्त होती है. यह आज सभी जानते हैं. यदि पूछा जाए कि देश की राजधानी दिल्ली में सबसे पहली गणतंत्र दिवस परेड कहां हुई थी तो ज्यादातर लोग यही कहेंगे कि ऐसा राजपथ पर हुआ था.
कारण भी साफ है क्योंकि वर्तमान पीढ़ी ने जब से होश संभाला है तब से यही देख रहे हैं. लेकिन यह सही जवाब नहीं है. दरअसल 26 जनवरी, 1950 को पहली गणतंत्र दिवस परेड राजपथ के बजाय तत्कालीन इर्विन स्टेडियम (अब नेशनल स्टेडियम) में हुई थी. उस वक्त इर्विन स्टेडियम के चारों तरफ चारदीवारी नहीं थी और उसके पीछे लाल किला साफ नजर आता था. उसके बाद से 1954 तक दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड इर्विन स्टेडियम के अलावा, किंग्सवे कैंप, लाल किला और रामलीला मैदान में आयोजित हुआ. उसके बाद 1955 में पहली बार राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन हुआ. उसके बाद से यहीं पर परेड होने का सिलसिला बदस्तूर जारी है.
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आजादी के दौर से ही 26 जनवरी का खासा महत्व रहा है. इसी दिन 1929 में लाहौर में रावी नदी के तट पर कांग्रेस के अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में प्रस्ताव पारित हुआ था कि अगर एक साल के भीतर यानी 26 जनवरी, 1930 को भारत को डोमिनियिन स्टेटस का दर्जा नहीं दिया गया तो भारत को पूर्ण रूप से स्वतंत्र देश घोषित कर दिया जाएगा.
यह भी पढ़ें : 26 जनवरी 1950 को देश गणतंत्र बना | सब जानते हैं, मगर कितने बजे?
अंग्रेजों ने जब इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया तो कांग्रेस ने 31 दिसंबर, 1929 की रात को भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा करते हुए सक्रिय आंदोलन शुरू किया. इसके तहत 26 जनवरी के दिन पूर्ण स्वराज दिवस मनाने का निर्णय लिया गया.
VIDEO: राष्ट्र के नाम संदेश
उसके बाद कांग्रेस लगातार आजादी मिलने से पहले तक 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाती रही.
कारण भी साफ है क्योंकि वर्तमान पीढ़ी ने जब से होश संभाला है तब से यही देख रहे हैं. लेकिन यह सही जवाब नहीं है. दरअसल 26 जनवरी, 1950 को पहली गणतंत्र दिवस परेड राजपथ के बजाय तत्कालीन इर्विन स्टेडियम (अब नेशनल स्टेडियम) में हुई थी. उस वक्त इर्विन स्टेडियम के चारों तरफ चारदीवारी नहीं थी और उसके पीछे लाल किला साफ नजर आता था. उसके बाद से 1954 तक दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड इर्विन स्टेडियम के अलावा, किंग्सवे कैंप, लाल किला और रामलीला मैदान में आयोजित हुआ. उसके बाद 1955 में पहली बार राजपथ पर गणतंत्र दिवस परेड का आयोजन हुआ. उसके बाद से यहीं पर परेड होने का सिलसिला बदस्तूर जारी है.
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आजादी के दौर से ही 26 जनवरी का खासा महत्व रहा है. इसी दिन 1929 में लाहौर में रावी नदी के तट पर कांग्रेस के अधिवेशन में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में प्रस्ताव पारित हुआ था कि अगर एक साल के भीतर यानी 26 जनवरी, 1930 को भारत को डोमिनियिन स्टेटस का दर्जा नहीं दिया गया तो भारत को पूर्ण रूप से स्वतंत्र देश घोषित कर दिया जाएगा.
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अंग्रेजों ने जब इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दिया तो कांग्रेस ने 31 दिसंबर, 1929 की रात को भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा करते हुए सक्रिय आंदोलन शुरू किया. इसके तहत 26 जनवरी के दिन पूर्ण स्वराज दिवस मनाने का निर्णय लिया गया.
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उसके बाद कांग्रेस लगातार आजादी मिलने से पहले तक 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाती रही.
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