पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) के करीबी सहयोगी रहे और अब राजनीतिक धुर विरोधी बन चुके बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) ने चुनाव आयोग (Election Commission) में एक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया है कि मुख्यमंत्री ने चुनावी हलफनामे में अपने खिलाफ दर्ज मामलों का पूरा विवरण नहीं दिया है और कई तथ्य छुपाए हैं. एक फेसबुक पोस्ट में शुभेंदु अधिकारी- जो नंदीग्राम में ममता बनर्जी के प्रतिद्वंद्वी हैं, ने ममता बनर्जी पर "तथ्यों को छुपाने" का आरोप लगाया है.
अधिकारी ने लिखा है कि ममता बनर्जी ने अपने नामांकन पत्र में अपने खिलाफ छह आपराधिक मामलों का खुलासा नहीं किया है. उन्होंने आयोग से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का नामांकन पत्र खारिज करने की मांग की है. सोमवार को चुनाव आयोग को दी गई शिकायत में अधिकारी ने दावा किया कि मुख्यमंत्री ने असम में 2018 में उनके खिलाफ दर्ज पांच मामलों और पश्चिम बंगाल में सीबीआई द्वारा दर्ज एक अन्य मामले के बारे में सूचना छिपाई है.
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राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय के सूत्रों ने बताया कि अधिकारी ने अपनी शिकायत में केस नंबर का उल्लेख किया है लेकिन तृणमूल प्रमुख ने कौन सा अपराध किया है, इसके बारे में विस्तार से नहीं बताया है. कभी ममता बनर्जी के विश्वासपात्र रहे अधिकारी ने कहा, ‘‘नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार माननीय मुख्यमंत्री ने हलफनामे में अपने खिलाफ दर्ज कम से कम छह मामलों का उल्लेख नहीं किया है. इनमें से एक सीबीआई का मामला है और पांच अन्य असम में दर्ज हैं.''
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने चुनाव आयोग से (उनका नामांकन पत्र खारिज करने) अपील की है. मुझे उम्मीद है कि आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. मैं इंतजार करूंगा और देखूंगा कि वे क्या कार्रवाई करते हैं. कार्रवाई अवश्य ही कानून के अनुसार होनी चाहिये.'' चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है.
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तृणमूल कांग्रेस ने इसपर फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय ने मार्च 2018 में एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा था कि निर्वाचन अधिकारी संपत्ति या आपराधिक पृष्ठभूमि से संबंधित सूचना का खुलासा नहीं करने पर किसी उम्मीदवार का नामांकन पत्र खारिज कर सकते हैं. न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि अपने उम्मीदवारों के बारे में जानना मतदाताओं का मौलिक अधिकार है और नामांकन पत्र में कॉलम को रिक्त छोड़ना उनके इस अधिकार का हनन है. (भाषा इनपुट्स के साथ)
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