नई दिल्ली:
रुपये की गिरती कीमत को लेकर विपक्ष ने गुरुवार को लोकसभा में गंभीर चिंता जाहिर करते हुए इस संकट के लिए न केवल सरकार की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया, बल्कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से सदन में आकर बयान देने की मांग की।
विपक्ष के आज ही प्रधानमंत्री के बयान पर अड़ने के कारण हुए हंगामे के चलते कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने हालांकि विपक्ष को आश्वस्त किया कि प्रधानमंत्री शुक्रवार को सदन में बयान देंगे, लेकिन बीजेपी, सपा, जेडीयू, अन्नाद्रमुक तथा लेफ्ट के सदस्य आज ही प्रधानमंत्री के बयान की मांग करने लगे।
लेफ्ट के सदस्य अपनी मांग को लेकर अग्रिम पंक्तियों में आ गए। स्पीकर मीरा कुमार ने हंगामे के बीच ही प्रश्नकाल शुरू करवाया, लेकिन व्यवस्था बनती नहीं देख उन्होंने कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि रुपया केवल किसी देश की करेंसी ही नहीं होता है, बल्कि वह देश की प्रतिष्ठा भी होता है। करेंसी गिरती है, तो प्रतिष्ठा भी गिरती है।
उन्होंने कहा कि देश की कमान एक विख्यात अर्थशास्त्री के हाथों में है और विपक्ष मांग करता है कि वह रुपये को इस संकट से निकालने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में सदन में आकर बयान दें। सुषमा ने वित्तमंत्री पी चिदंबरम की ओर परोक्ष इशारा करते हुए कहा कि अर्थशास्त्र के विद्वान और पीएचडी डिग्रीधारी लोग भी रुपये के अवमूल्यन को संभाल नहीं पा रहे हैं।
विपक्ष के आज ही प्रधानमंत्री के बयान पर अड़ने के कारण हुए हंगामे के चलते कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई। संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने हालांकि विपक्ष को आश्वस्त किया कि प्रधानमंत्री शुक्रवार को सदन में बयान देंगे, लेकिन बीजेपी, सपा, जेडीयू, अन्नाद्रमुक तथा लेफ्ट के सदस्य आज ही प्रधानमंत्री के बयान की मांग करने लगे।
लेफ्ट के सदस्य अपनी मांग को लेकर अग्रिम पंक्तियों में आ गए। स्पीकर मीरा कुमार ने हंगामे के बीच ही प्रश्नकाल शुरू करवाया, लेकिन व्यवस्था बनती नहीं देख उन्होंने कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि रुपया केवल किसी देश की करेंसी ही नहीं होता है, बल्कि वह देश की प्रतिष्ठा भी होता है। करेंसी गिरती है, तो प्रतिष्ठा भी गिरती है।
उन्होंने कहा कि देश की कमान एक विख्यात अर्थशास्त्री के हाथों में है और विपक्ष मांग करता है कि वह रुपये को इस संकट से निकालने के लिए उठाए जाने वाले कदमों के बारे में सदन में आकर बयान दें। सुषमा ने वित्तमंत्री पी चिदंबरम की ओर परोक्ष इशारा करते हुए कहा कि अर्थशास्त्र के विद्वान और पीएचडी डिग्रीधारी लोग भी रुपये के अवमूल्यन को संभाल नहीं पा रहे हैं।
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