
श्रीनगर/नई दिल्ली:
आतंकवादी हमलों की साजिश के आरोप में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार सैयद लियाकत शाह को लेकर यह सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या वह कश्मीर पुलिस के समक्ष समर्पण के लिए जा रहा था? दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त (विशेष प्रकोष्ठ) एसएन श्रीवास्तव ने शुक्रवार को लियाकत की गिरफ्तारी का ऐलान किया। इस गिरफ्तारी से जम्मू-कश्मीर के अधिकारी परेशान हैं और वे इस मामले को केंद्रीय गृह मंत्रालय के समक्ष उठाने की योजना बना रहे हैं।
कश्मीर में आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि अधिकारियों को लियाकत के बारे में जानकारी थी और यहां तक कि स्थानीय सैन्य अमले को उसके बारे में पता था। दिल्ली पुलिस के अनुसार लियाकत हिज्बुल मुजाहिदीन का सदस्य है।
जम्मू-कश्मीर की सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय के बीच अलिखित सहमति बनी थी कि 1990 के दशक में आतंकवादी संगठनों से जुड़ा कोई युवक नेपाल होते हुए लौटना चाहता है तो उसे ऐसा करने दिया जाएगा बशर्ते वह सेना या पुलिस के समक्ष समर्पण करे।
सूत्रों ने कहा कि इसी व्यवस्था के तहत कई युवक बिना कोई सनसनी फैलाए चुपचाप लौट आए हैं। कई मामलों में इन युवकों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मौजूद आतंकवादी संगठनों के बारे में समझने में सुरक्षा एजेंसियों की मदद की है।
लियाकत के परिवार ने राज्य में अधिकारियों से संपर्क किया और उसकी वापसी सुनिश्चित करने का आग्रह किया। परिवार को इसका भरोसा भी दिया गया था।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि लियाकत की गिरफ्तारी उन युवकों को रोक सकती है जो, हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्य धारा से जुड़ना चाहते हैं। सूत्रों ने कहा कि लियाकत से विस्तृत पूछताछ की गई। उसे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में अरशद मीर और परिवार के आठ अन्य सदस्यों के साथ पकड़ा गया।
तीन दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर की पुलिस ने दिल्ली पुलिस से कहा था कि उसे रिहा कर दिया जाए और श्रीनगर आने की इजाजत दी जाए, जहां उसे प्रक्रिया के तहत नजरबंद रखा जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि इस विचार को केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों का भी पूरा समर्थन मिला था।
श्रीवास्तव ने भी संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस से अनौपचारिक तौर पर संपर्क किया गया है। उन्होंने कहा कि लियाकत को बीते 15 मार्च को गिरफ्तार किया गया।
यह पूछे जाने पर कि क्या लियाकत समर्पण करने जा रहा था तो श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘उसने हमें बताया कि मुत्तहिदा जेहाद काउंसिल की बैठक जनवरी की शुरुआत में हुई थी और इस दौरान 26 जनवरी को काला दिवस के रूप में मनाने का फैसला हुआ।’’ जेहाद काउंसिल कई आतंकवादी संगठनों का समूह है और वह 26 जनवरी एवं 15 अगस्त को काला दिवस के रूप में मनाता रहा है।
लियाकत प्रतिबंधित संगठन अल बर्क का पूर्व सदस्य है और पीओके में बस गया था और फिर से शादी कर ली थी। राज्य पुलिस का कहना है कि उसके खिलाफ कोई गंभीर आरोप नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि हमले की साजिश अफजल गुरु की फांसी का बदला लेने के लिए थी, तो श्रीवास्तव ने कहा कि जेहाद काउंसिल की बैठक जनवरी में हुई थी और वे हमले की साजिश रच रहे थे।
कश्मीर में आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि अधिकारियों को लियाकत के बारे में जानकारी थी और यहां तक कि स्थानीय सैन्य अमले को उसके बारे में पता था। दिल्ली पुलिस के अनुसार लियाकत हिज्बुल मुजाहिदीन का सदस्य है।
जम्मू-कश्मीर की सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय के बीच अलिखित सहमति बनी थी कि 1990 के दशक में आतंकवादी संगठनों से जुड़ा कोई युवक नेपाल होते हुए लौटना चाहता है तो उसे ऐसा करने दिया जाएगा बशर्ते वह सेना या पुलिस के समक्ष समर्पण करे।
सूत्रों ने कहा कि इसी व्यवस्था के तहत कई युवक बिना कोई सनसनी फैलाए चुपचाप लौट आए हैं। कई मामलों में इन युवकों ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मौजूद आतंकवादी संगठनों के बारे में समझने में सुरक्षा एजेंसियों की मदद की है।
लियाकत के परिवार ने राज्य में अधिकारियों से संपर्क किया और उसकी वापसी सुनिश्चित करने का आग्रह किया। परिवार को इसका भरोसा भी दिया गया था।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि लियाकत की गिरफ्तारी उन युवकों को रोक सकती है जो, हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्य धारा से जुड़ना चाहते हैं। सूत्रों ने कहा कि लियाकत से विस्तृत पूछताछ की गई। उसे उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में अरशद मीर और परिवार के आठ अन्य सदस्यों के साथ पकड़ा गया।
तीन दिन पहले ही जम्मू-कश्मीर की पुलिस ने दिल्ली पुलिस से कहा था कि उसे रिहा कर दिया जाए और श्रीनगर आने की इजाजत दी जाए, जहां उसे प्रक्रिया के तहत नजरबंद रखा जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि इस विचार को केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों का भी पूरा समर्थन मिला था।
श्रीवास्तव ने भी संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि जम्मू-कश्मीर पुलिस से अनौपचारिक तौर पर संपर्क किया गया है। उन्होंने कहा कि लियाकत को बीते 15 मार्च को गिरफ्तार किया गया।
यह पूछे जाने पर कि क्या लियाकत समर्पण करने जा रहा था तो श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘उसने हमें बताया कि मुत्तहिदा जेहाद काउंसिल की बैठक जनवरी की शुरुआत में हुई थी और इस दौरान 26 जनवरी को काला दिवस के रूप में मनाने का फैसला हुआ।’’ जेहाद काउंसिल कई आतंकवादी संगठनों का समूह है और वह 26 जनवरी एवं 15 अगस्त को काला दिवस के रूप में मनाता रहा है।
लियाकत प्रतिबंधित संगठन अल बर्क का पूर्व सदस्य है और पीओके में बस गया था और फिर से शादी कर ली थी। राज्य पुलिस का कहना है कि उसके खिलाफ कोई गंभीर आरोप नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि हमले की साजिश अफजल गुरु की फांसी का बदला लेने के लिए थी, तो श्रीवास्तव ने कहा कि जेहाद काउंसिल की बैठक जनवरी में हुई थी और वे हमले की साजिश रच रहे थे।
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