नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) को एक बार फिर टाटा संस के कार्यकारी अध्यक्ष पद पर बहाल करने का आदेश दिया है. फैसले पर खुशी जताते हुए साइरस मिस्त्री ने कहा कि यह सिर्फ मेरी व्यक्तिगत जीत नहीं है. साइरस मिस्त्री ने कहा, 'न्यायाधिकरण ने आज जो फैसला दिया है, वह न सिर्फ मेरी व्यक्तिगत जीत है, बल्कि गुड गवर्नेंस के सिद्धांतों और माइनॉरिटी शेयरहोल्डर के अधिकारों की जीत है. आज का फैसला मेरे रुख की पुष्टि करता है.'
Cyrus Mistry's statement: Today's judgment isn't a personal victory for me,but is a victory for the principles of good governance&minority shareholder rights. The outcome of the appeal is a vindication of my stand. https://t.co/r6nS35LIRH
— ANI (@ANI) December 18, 2019
बता दें कि टाटा समूह से लड़ाई में साइरस मिस्त्री को बुधवार को बड़ी जीत मिली. नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने मिस्त्री को टाटा संस का कार्यकारी चेयरमैन बहाल करने का आदेश दिया. साथ ही न्यायाधिकरण ने मिस्त्री की जगह कार्यकारी चेयरमैन पद पर एन चंद्रशेखरन की नियुक्ति को अवैध ठहराया है. न्यायाधीश एसजे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि बहाली आदेश चार सप्ताह बाद प्रभावी होगा. निर्णय के अनुसार टाटा संस इस अवधि में चाहे तो निर्णय के खिलाफ अपील कर सकती है.
इस वाद में निचली अदालत के आदेश को खारिज करते हुए अपीलीय न्यायाधिकरण ने टाटा संस को पब्लिक फर्म से बदलकर प्राइवेट फर्म बनाने की कार्रवाई को भी रद्द कर दिया है. धनाढ़्य शापूरजी पलोनजी परिवार से संबंध रखने वाले मिस्त्री को अक्टूबर 2016 में टाटा संस के चेयरमैन पद से हटा दिया गया था. वह टाटा संस के छठे चेयरमैन रहे. मिस्त्री ने रतन टाटा के पद से हटने के बाद 2012 में कमान संभाली थी. बाद में समूह के अंदर विवाद उठने पर उन्हें टाटा संस के निदेशक मंडल से भी निकाल दिया गया. टाटा संस में मिस्त्री के परिवार की हिस्सेदारी 18.4 प्रतिशत है. मिस्त्री ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) में उन्हें पद से हटाये जाने को चुनौती दी.
मिस्त्री के परिवार की कंपनी साइरस इन्वेस्टमेंटस एंड स्टर्लिंग इनवेस्टमेंट्स ने टाटा संस और रतन टाटा समेत 20 अन्य के खिलाफ उत्पीड़न और कुप्रबंधन का मामला दर्ज कराया. हालांकि, मामले को एनसीएलटी ने मार्च 2017 में खारिज कर दिया था और कहा था कि वह इस तरह का मामला दायर कराने के पात्र नहीं है. बता दें कि कंपनी कानून, 2013 की धारा 244 कंपनी के किसी शेयरधारक को कंपनी के खिलाफ उत्पीड़न और कुप्रबंधन का मामला दर्ज कराने की अनुमति देता है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि कंपनी के निर्गमित शेयरों का कम से कम 10 प्रतिशत हिस्सा उसके पास होना चाहिए.
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