यह ख़बर 20 मार्च, 2011 को प्रकाशित हुई थी

वाइको ने छोड़ा जयललिता का साथ, चुनाव बहिष्कार का ऐलान

खास बातें

  • मांगी गईं सीटें न मिलने पर वाइको की पार्टी एमडीएमके ने एआईएडीएमके गठबंधन से नाता तोड़ने का ऐलान किया।
चेन्नई:

मांगी गईं सीटें न मिलने पर वाइको की पार्टी मरुमलार्ची द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके) ने रविवार को ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) गठबंधन से नाता तोड़ने और तमिलनाडु व पुडुचेरी में होने वाले विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान किया। तमिलनाडु विधानसभा की 234 सीटों में से 21 सीटें देने से एआईएडीएमके के इनकार करने पर वाइको की पार्टी ने कहा कि वह पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता के 'अड़ियल रवैए' के कारण उनका साथ छोड़ रहे हैं। पार्टी के इस फैसले से एआईएडीएमके के साथ पांच वर्ष पुराना गठजोड़ टूट गया। वाइको ने डीएमके से अलग होकर 1993 में एमडीएमके का गठन किया था। जयललिता ने कहा कि उन्हें वाइको के फैसले पर अफसोस है और वह हमेशा उनका सम्मान करती रहेंगी। एमडीएमके ने कहा कि एआईएडीएमके की महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता के आचरण से पार्टी आहत हुई है। उसका एआईएडीएमके के नेतृत्व वाले गठबंधन में रहना अब सम्भव नहीं है। एमडीएमके ने तीसरे मोर्चे के गठन और अकेले दम पर चुनाव मैदान में उतरने से इनकार किया है। पार्टी ने 13 अप्रैल को होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करने की घोषणा की है। एमडीएमके के अनुसार पार्टी ने विधानसभा की 234 में से 35 सीटों पर चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी। इसे घटाकर 30 कर दिया गया। लेकिन एआईएडीएमके ने इसमें और कटौती करते हुए उसे मात्र छह सीटों पर चुनाव लड़ने को कहा, क्योंकि 2006 के चुनाव में एमडीएमके ने इतनी ही सीटें जीती थीं। बाद में एआईएडीएमके ने सीटों की संख्या बढ़ाकर नौ कर दी, जबकि एमडीएमके ने अंत में 21 सीटों की मांग रखी। लेकिन एआईएडीएमके अपने रवैए पर अड़ी रही, इसलिए वाइको ने गठबंधन से अलग होने का फैसला किया। एआईएडीएमके ने 74 सीटों के लिए अब तक 10 पार्टियों के साथ सीटों का तालमेल किया है और घोषणा की है कि शेष 160 सीटों पर उसी के उम्मीदवार खड़े होंगे। एमडीएमके के एक नेता ने कहा कि पार्टी महसूस करती है कि एआईएडीएमके वाइको के साथ तालमेल की मन:स्थिति में नहीं है। 


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com