यह ख़बर 21 नवंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

उत्तराखंड में बाबा रामदेव के योगपीठ ट्रस्ट पर 81 मामले दर्ज

बाबा रामदेव की फाइल तस्वीर

देहरादून:

उत्तराखंड सरकार ने योग गुरु बाबा रामदेव पर शिकंजा कसते हुए उनके पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट पर भूमि कानूनों के उल्लंघन के 81 मामले दर्ज किए हैं।

मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने बुधवार को संवाददाताओं को बताया कि रामदेव के योगपीठ ट्रस्ट ने पिछले कुछ सालों के दौरान भूमि कानूनों का जमकर उल्लंघन किया है और हरिद्वार की जिलाधिकारी निधि पांडे ने ट्रस्ट की जमीनों को राज्य सरकार में निहित करने के लिए जमींदारी उन्मूलन और भूमि सुधार (जेडएएलआर) कानून के तहत कुल 27 मामले दर्ज किए हैं।

उन्होंने बताया कि कम स्टांप शुल्क चुकाकर प्रदेश के राजकोष को करीब 10 करोड़ रुपये का चूना लगाने के लिए ट्रस्ट के खिलाफ 52 मामले तथा दो अन्य मामले भी दर्ज किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि पतंजलि योगपीठ के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया गतिमान है और अगले एक सप्ताह में ट्रस्ट के खिलाफ और भी मामले दर्ज होने की संभावना है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ सालों में योगपीठ ट्रस्ट ने हरिद्वार जिले के दो गांवों - शंतरशाह और औरंगाबाद में ग्रामसभा और सरकार की 7.766 एकड़ जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया।

मुख्यमंत्री बहुगुणा ने बताया कि हरिद्वार की जिलाधिकारी ने ग्राम सभा और सरकारी जमीन को ट्रस्ट से खाली कराने के लिए जेडएएलआर के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू कर उसकी एक रिपोर्ट सरकार को भेजी है। जिलाधिकारी की नजर में योगपीठ ट्रस्ट द्वारा किए गए भूमि के कुछ बेनामी लेनदेन के मामले भी सामने आए हैं।

उन्होंने बताया कि भूमि के ऐसे बेनामी लेनदेन के मामलों की पहचान हो चुकी है और ऐसी जमीनों को कानून के हिसाब से राज्य सरकार में निहित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ट्रस्ट ने पतंजलि विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए औरंगाबाद और शिवदासपुर उर्फ तेलीवाला गांव में 387.5 एकड़ जमीन खरीदी, लेकिन उसके बहुत थोड़े से ही हिस्से का उपयोग विश्वविद्यालय के लिए किया गया और ज्यादातर भूमि का उपयोग कृषि कार्य के लिए हो रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बात की काफी संभावना है कि उक्त जमीन का प्रयोग निकट भविष्य में वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए हो। बहुगुणा ने बताया कि मुस्तफाबाद गांव में बिना अनुमति के 84.86 एकड़ जमीन पतंजलि फूड एंड हर्बल पार्क के नाम पर खरीदी गई, इस जमीन को भी सरकार में निहित करने के लिए जेडएएलआर कानून की धारा 167 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा रही है।

उन्होंने बताया कि आयुर्वेदिक औषधियों के निर्माण और शोध के लिए मुस्तफाबाद गांव में 141.17 एकड़ भूमि खरीदने की अनुमति दी गई थी। उन्होंने बताया कि हालांकि उस भूमि का उपयोग आटा, तेल, जूस, शहद, साबुन, टूथपेस्ट, शैंपू जैसे पतंजलि के सभी उत्पादों के मैन्युफैक्चरिंग, प्रोडक्शन, वेयर हाउसिंग और विपणन के लिए किया जा रहा है, जो भूमि खरीद के लिए सरकार द्वारा दी गई अनुमति की शर्तों का घोर उल्लंघन है। इस जमीन को भी सरकार में निहित करने के लिए जिलाधिकारी द्वारा जेडएएलआर कानून की धारा 167 के तहत कानूनी कार्रवाई शुरू की जा रही है।


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