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This Article is From Jul 04, 2020

विकास दुबे : साल 2001, जगह- कानपुर का शिवली थाना, कांड- दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री की हत्या, Video में देखें पूरी रिपोर्ट

उत्तर प्रदेश के कानपुर में यूपी पुलिस के 8 लोगों को मारने वाला विकास दुबे अभी तक फरार है. पुलिस का दावा है कि इस इस मामले में विकास दुबे के दो सहयोगियों को मार दिया गया है.  उधर प्रशासन अब गांव में बने विकास दुबे के अवैध तरीके से बने घर को ढहा दिया है. 

विकास दुबे को नेताओं का संरक्षण था जिसके दम पर आतंक का साम्राज्य खड़ा कर लिया.

लखनऊ:

उत्तर प्रदेश के कानपुर में यूपी पुलिस के 8 लोगों को मारने वाला विकास दुबे अभी तक फरार है. पुलिस का दावा है कि इस इस मामले में विकास दुबे के दो सहयोगियों को मार दिया गया है.  उधर प्रशासन अब गांव में बने विकास दुबे के अवैध तरीके से बने घर को ढहा दिया है. लेकिन बात करें विकास दुबे की तो उस पर 60 आपराधिक मामले दर्ज हैं. लेकिन उसको माफिया बनाने में तमाम छोटी-बड़ी सियासी हस्तियां शामिल हैं. लोग बताते हैं कि उसने उत्तर प्रदेश में बीजेपी और बीएसपी कई नेताओं की सरपरस्ती में अपराध का अपना साम्राज्य खड़ा  किया है.  विकास दुबे के किसी चाहने वाले ने एक फेसबुक पेज पर उसे 'ब्राह्मण शिरोमणि' घोषित किया गया है. इसमें उसके 1 हजार फॉलोवर्स हैं. इस फेसबुक पेज पर लगी विकास की तस्वीर को देखकर लगता है कि वह कोई नेता है.  विकास का गांव बिकरू जो आज पुलिस वालों की हत्या की वजह से सुर्खियों में है, यहीं पर 1990 में एक हत्या हुई थी जिसमें उसका नाम आया था. लेकिन बाद में उसके खिलाफ रिपोर्ट वापस ले ली गई. 

शुरू में विकास ने चौबेपुर विधानसभा इलाके में एक बीजेपी नेता का दामन थामा और दबदबा कायम किया. बीजेपी सरकार में ही कानपुर से एक मंत्री का भी काफी करीबी माना जाता था. बाद में वो बीएसपी नेताओं का करीबी हो गया. इसके चलते वह लगातार 15 सालों तक अपने गांव का प्रधान बना रहा, 5 साल जिला पंचायत सदस्य रहा और अब उसकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य हैं. 

विकास दुबे ने साल 2000 में ताराचंद्र इंटर कॉलेज की जमीन पर कब्जा करके उस पर मार्केट बनाने की लिए प्रिंसपल सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या कर दी. इसमें उसको उम्रकैद हुई लेकिन बाद में जमानत पर बाहर आ गया.   सिद्धेश्वर पांडेय के बेटे राजेंद्र पांडेय का कहना है कि कहीं भी होता है लोग उससे डरते हैं. उससे हर आदमी दब जाता है. डरने लगता है कि उसके खिलाफ कैसे बोलें. 

विकास दुबे ने साल 2001 में कानपुर के शिवली थाने में घुसकर बीजेपी सरकार में ही दर्जा प्राप्त मंत्री संतोष शुक्ला को गोलियों से भून डाला था.  इस घटना को याद करते हुए बीएसी नेता अनुभव चक का कहना है कि संतोष शुक्ला के विरोधी गुट के जिसमें बीजेपी के भी लोग शामिल थे, वो विकास दुबे को संरक्षण देते हैं और वह बीजेपी की सरकार होते हुए भी राज्य छोड़कर भाग जाता है और किसी दूसरी जगह पनाह ले लेता है. 

पिछले 30 सालों में विकास दुबे ने आतंक की दुनिया में अपनी बड़ी हनक बना ली है और उसके खिलाफ 60 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं. इसमें हत्या या हत्या की कोशिश में 20, गैगंस्टर एक्ट में 15, दंगों के 19, एनडीपीएस के 2 और एक बार उस पर एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा कानून भी लग चुका है.  बीएसपी नेता और पूर्व प्रत्याशी अनुभव चक का कहना है कि चाहे लोकसभा हो या विधानसभा का चुनाव किसी भी राजनीतिक दल के उम्मीदवार को उसके क्षेत्र से वोट चाहिए तो विकास दुबे के सामने नतमस्तक होना पड़ता था. 


 

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