सफ़लताओं के बाद अचानक आने वाली असफ़लताएं व्यक्ति को अंदर से तोड़ देती हैं लेकिन हर उतार-चढ़ाव को स्वीकार कर उससे आगे बढ़ सफ़ल होना ही एक एक ज़िंदादिल और संघर्षशील व्यक्तित्व की निशानी है, इसी का एक ताज़ा उदाहरण हैं UPSC में 13वीं रैंक हासिल करने वाले कोलकाता के रौनक अग्रवाल. CSE 2019 में अपने तीसरे अटैम्प्ट में सफ़लता हासिल करने वाले कोलकाता के चार्टर्ड अकाउंटैण्ट रौनक अग्रवाल ने NDTV से खास बातचीत करते हुए अपनी पूरी स्ट्रैटेजी छात्रों के साथ साझा की.
CA एक्ज़ाम में AIR 5 हासिल करने वाले रौनक एक व्यापारी परिवार से आते हैं, उनके दादा जी एक प्रतिष्ठित व्यापारी थे, जिन्होंने रौनक को समझाया कि व्यापार में तुम पैसा तो खूब कमा लोगे लेकिन एक IAS अधिकारी बनने के अपने अलग ही मायने हैं. शुरू से ही परीक्षाओं में टॉप करने वाले रौनक UPSC सिविल परीक्षा के शुरूआती दो प्रयासों में प्रीलिम्स में ही फ़ेल हो गए थे जिससे उन्हें काफ़ी धक्का लगा, रौनक ने बातचीत में बताया कि उन्होंने इस बार ये तय कर लिया था कि अगर परीक्षा में सफ़ल नहीं हुए तो सिविल परीक्षा छोड़ के व्यापार की ओर चले जाएंगे, लेकिन इस बार रौनक ने अपनी मेहनत से 2019 की UPSC सिविल परीक्षा में 13वीं रैंक हासिल की.
रौनक ने बताया कि अपने पिता जी के साथ व्यापार में हाथ बटाने के साथ साथ ही अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया. परीक्षा की तैयारी के लिए रौनक ने छात्रों को ये सुझाव दिया कि उत्तर सब एक ही लिखते हैं लेकिन एक टॉपर के और साधारण एप्रोच से उत्तर लिखने वाले छात्र के उत्तर में केवल व्याकरण कौशल का ही फ़र्क होता है. रौनक के मुताबिक उत्तर लिखने का व्याकरण कौशल ही एक छात्र को सफ़लता दिलाता है.
VIDEO: UPSC रैंक होल्डर्स की सफलता की कहानी...
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