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This Article is From Jul 26, 2017

यूपी के 1.78 लाख शिक्षामित्रों ने अपने भाग्य का फैसला योगी सरकार के पाले में डाला

आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही के हवाले से मीडिया में आई खबर के मुताबिक वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया है.

यूपी के 1.78 लाख शिक्षामित्रों ने अपने भाग्य का फैसला योगी सरकार के पाले में डाला
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं यूपी के 1.78 लाख शिक्षामित्र
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के 1.78 लाख शिक्षामित्रों (Shiksha mitra) ने अब अपने भाग्य का फैसला योगी सरकार के पाले में डाल दिया है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन ने तय किया है कि हम उत्तर प्रदेश सरकार से मांग करते हैं कि वह नियम बनाकर शिक्षामित्रों को पूर्ण अध्यापक का दर्जा दिलाए. अपनी मांग को सरकार के सामने मजबूती से रखने के लिए समायोजित शिक्षामित्रों ने बुधवार से स्कूल नहीं जाने का फैसला लिया है. आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही के हवाले से मीडिया में आई खबर के मुताबिक वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला किया है.

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जलीकट्टू को आधार बनाकर शिक्षामित्रों ने रखी मांग: शिक्षामित्रों का कहना है कि तमिलनाडु में जलीकट्टू के मामले में कोर्ट का फैसला आने के बाद वहां राज्य सरकार ने जनता की इच्छा का ख्याल रखते हुए बिल लाया गया था. ऐसे में योगी सरकार भी शिक्षामित्रों के समायोजन करने के लिए इसी तरह के कदम उठाए.

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सुप्रीम कोर्ट ने दी थोड़ी खुशी-थोड़ा गम: उत्‍तर प्रदेश के 1.72 लाख शिक्षा मित्रों को सहायक शिक्षकों के तौर पर समायोजित करने के बारे में अहम व्‍यवस्‍था देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा मित्रों को राहत देने से इनकार कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने कहा है कि एक लाख 38 हजार शिक्षा मित्र बने रहेंगे. इसके साथ ही जो 72 हजार सहायक शिक्षक जो शिक्षक बन गए हैं, यानी BA और TET करके वे अपने पद पर रहेंगे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे शिक्षामित्रों को TET पास करने के लिए दो मौके मिलेंगे, जिनका सहायक शिक्षकों के तौर पर समायोजन हुआ था. इसके साथ ही शिक्षामित्रों को उम्र के नियमों में छूट मिलेगी.

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इसके पहले उत्तर प्रदेश के 1.72 लाख शिक्षा मित्रों के सहायक शिक्षकों के तौर पर समायोजन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. उल्‍लेखनीय है कि 12 सिंतबर 2015 को हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के करीब 1.72 लाख शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन को निरस्त कर दिया था. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.

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2019 का चुनाव देखते हुए दबाव बना सकते हैं शिक्षामित्र: लखनऊ की राजनीति को नजदीक से जानने वालों का कहना है कि शिक्षामित्र अपने समायोजन के लिए यूपी की योगी सरकार पर दबाव बना सकती है. उनका कहना है कि 2019 में लोकसभा चुनाव है. यूपी की राजनीति में शिक्षक भर्ती बड़ा मुद्दा होता है, ऐसे में शिक्षामित्र अपनी बात योगी सरकार से मनवाने के लिए बड़ा कदम भी उठा सकते हैं. पिछली सरकार के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कई रैलियों में कहा था कि अगर केंद्र शिक्षक भर्ती के नियमों में थोड़ा बदलाव कर दे तो उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों के शिक्षक बनने का रास्ता साफ हो सकता है. बलिया की चुनावी रैली में शिक्षामित्रों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगें बताई थी, जिसपर उन्होंने इसे निपटाने का आश्वासन भी दिया था.


वीडियो: सैकड़ों शिक्षामित्रों ने मांगी इच्छा मृत्यु


 

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