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This Article is From Aug 30, 2021

बनारस में 24 दिनों से धरने पर बैठे दृष्टिहीन बच्चों को देर रात उठा ले गई पुलिस, जोर-जबरदस्ती का आरोप

Varanasi Blind Students Dharna : धरना स्थल पर बैठे बच्चों पर पुलिसिया कार्यवाही हुई और उन्हें जबरन धरना स्थल से हटा लिया गया इसकी सूचना जब उनके अन्य साथियों को मिली तो सभी धरना स्थल की ओर बढ़े लेकिन उन्हें BHU के सिंहद्वार पर रोक लिया गया जहां पुलिस के सामने उनका गुस्सा फूटा

बनारस में 24 दिनों से धरने पर बैठे दृष्टिहीन बच्चों को देर रात उठा ले गई पुलिस, जोर-जबरदस्ती का आरोप
Varanasi में दृष्टिबाधित छात्र लंबे समय से कर रहे थे विरोध प्रदर्शन (प्रतीकात्मक फोटो)
वाराणसी:

वाराणसी (Varanasi) में 24 दिनों से धरने पर बैठे दृष्टिहीन बच्चों (Blind Students Protest) को पुलिस द्वारा धरनास्थल से जोर-जबरदस्ती कर उठा ले गई. दृष्टिहीन बच्चों का आरोप है कि पुलिस ने जबरन धरना खत्म करा दिया. आंदोलित छात्र दुर्गाकुंड इलाके में स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय (Hanuman Prasad Poddar Blind School) में 9 से 12 की क्लास को शुरू करने के लिये धरना दे रहे थे. दृष्टिबाधित बच्चे स्कूल में 9 से 12 तक के क्लास को मैनेजमेंट के द्वारा खत्म करने के विरोध कर रहे हैं.दृष्टिहीन बच्चों के साथ रविवार को यूपी के दिव्यांग कल्याण मंत्री ने वार्ता कर समाधान निकलने की बात कही थी.

 छात्र उनकी बात मान कर सड़क से धरना हटा कर किनारे धरना चलने की बात कही थी लेकिन देर रात पुलिस उन्हें से उठा ले गई. छात्रों का आरोप है कि पुलिस ने उसके साथ जबरदस्ती की. दृष्टिबाधित बच्चों के आंदोलन का पूरा मामला ट्रस्ट की तरफ से 9 से 12 तक के क्लास को ख़त्म करना है. बच्चे कह रहे हैं कि स्कूल ट्रस्ट के ट्रस्टी अपना हित साधने के लिए बड़े बच्चों के क्लास को बंद कर रहे हैं.आरोप यह भी है कि धीरे-धीरे वो पूरा विद्यालय भी बंद कर सकते हैं.

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जबकि ट्रस्ट का कहना है कि बच्चों की अनुशासनहीनता इतनी बढ़ गई थी, जिसकी वजह से उन्हें यह कदम उठाना पड़ रहा है. बीते 24 दिनों से बच्चे अपनी मांग पर डटे थे. आंदोलित बच्चों ने जब खुद से जिले के अधिकारियों से संपर्क किया तो अधिकारियों ने मामला हाईकोर्ट में लंबित होने को बात कह कर कुछ भी कदम उठाने से इंकार कर दिया था.

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लेकिन रविवार को जिले के दिव्यांग कल्याण अधिकारी राजेश मिश्रा 24 दिनों से धरने पर बैठे बच्चों को दिव्यांग कल्याण मंत्री से उनकी हुई वार्ता के बाद निष्कर्ष को बताने और समझाने पहुंचे हैं. उन्होंने कहा था कि दिव्यांग बच्चों के 4 प्रतिनिधि वहां गए थे और लिखित रूप से अपनी बात रखी थी. विद्यालय प्रबंधन से शासन ने वार्ता करके समाधान निकालने को कहा था. 

लेकिन सुबह होने से पहले ही धरना स्थल पर बैठे बच्चों पर पुलिसिया कार्यवाही हुई और उन्हें जबरन धरना स्थल से हटा लिया गया इसकी सूचना जब उनके अन्य साथियों को मिली तो सभी धरना स्थल की ओर बढ़े लेकिन उन्हें BHU के सिंहद्वार पर रोक लिया गया जहां पुलिस के सामने उनका गुस्सा फूटा और उनसे सवाल किया कि हमने उनसे कहा था कि हम कल सुबह तक रोड खाली कर देंगे. आज रात में हमारे बच्चों को मरते पीटते अपहरण करके न जाने कहां ले गये हमारा धरना खत्म कर दिया.

भेलूपुर के एडीसीपी विनय सिंह का कहना है कि विगत कई दिनों से हनुमान प्रसाद पोद्दार के छात्र दुर्गाकुंड और अन्य जगहों पर सार्वजनिक मार्ग को अवरुद्ध करते हुए बैठे थे. इससे स्थानीय लोगों, व्यापारियों औऱ यात्रियों को परेशानी हो रही थी. पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने उनसे कई बार बातचीत की कोशिश की गई, लेकिन वो लोग हटने को सहमत नहीं हुए. कल  दृष्टिहीन छात्रों और स्थानीय लोगों के बीच कोई तनाव न पैदा हो, इसलिए धरनारत छात्रों को घरों की ओर रवाना कर दिया. पुलिस और प्रशासन की मौजूदगी में ये कार्रवाई की गई. लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि छात्र धरनास्थल खाली करने को राजी हो गए थे. उन्होंने कहा कि धरनास्थल से किनारे हटने के बावजूद इन छात्रों का स्थान सार्वजनिक स्थान पर ही था और उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ये कदम उठाया गया है. 

गौरतलब है की श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय सन 1972 में बना था. तब से यहां प्राइमरी से लेकर कक्षा 12 तक की आवासीय सुविधा का विद्यालय रहा कक्षा 9 से 12 तक में तकरीबन 50 छात्र थे. इनमें से जून 2020 में कक्षा 9 और 11 के 28 बच्चों में से 24 बच्चों को दूसरे स्कूल में स्थानांतरित कर इन कक्षाओं को बंद करने का ऐलान किया गया. लेकिन बच्चे इसी स्कूल में पढ़ना चाहते हैं, क्योंकि यहां सुविधा प्रदेश के अन्य स्कूलों से ज्यादा बेहतर है इसके लिए  कुछ बच्चे इलाहाबाद हाईकोर्ट भी गए हैं, जहां मामला अभी लंबित है.

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