यूपी की चीनी मिलें लाखों किसानों का गन्ना तो ले रही हैं लेकिन उन्हें जो पर्ची दी जा रही है उसमें कीमत की जगह जीरो लिखा है. यानी वे ये नहीं बता रहीं कि इस साल गन्ने का क्या दाम देंगी. अब ये मुद्दा भी किसान आंदोलन में चर्चा का विषय बना हुआ है.
हापुड़ के धनौरा गांव के ज्ञानेश्वर और विनीत बिक्री केंद्र पर गन्ना बेचने पहुंचे. विनीत साल भर में उपजाया दो हजार क्विटंल गन्ना मिल को दे चुके हैं, लेकिन उन्हें अपनी ही फसल की कीमत नहीं पता है. गन्ना खरीदने वाली मिल की तरफ से इस तरह की जो पर्ची मिली है उसमें राज्य समर्थित मूल्य की जगह जीरो-जीरो लिखा है.
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हापुड़ स्थित धनौरा गांव के किसान विनीत त्यागी बोले, ''देखिए मैं पिछले साल यानी 2019-20 की पर्ची दिखा रहा हूं. इस पर 316 रुपए प्रति क्विंटल पर हमारा गन्ना जाता था. लेकिन इस बार 2021 की इस पर्ची पर जीरो-जीरो लिखा है. हमें यही नहीं पता है कि किस दाम पर हम गन्ना डाल रहे हैं.''
#UttarPradesh में गन्ने के समर्थन मूल्य पर असमंजस, किसानों की पर्ची पर पैसे की जगह 'जीरो-जिरो' लिखा आ रहा है. इसके बारे में अधिक जानकारी दे रहे हैं NDTV के रवीश रंजन शुक्ला pic.twitter.com/5Iyf7jpVkx
— NDTV India (@ndtvindia) February 12, 2021
उधर, इसी गांव के ज्ञानेश्वर त्यागी को पिछले साल की गन्ना बिक्री के डेढ़ लाख रुपये बकाया नहीं मिले हैं. जबकि राज्य सरकार का दावा है कि 95 फीसदी किसानों को गन्ने का भुगतान हो चुका है. उनकी इस साल की पर्ची पर भी जीरो लिखा है.
ज्ञानेश्वर त्यागी ने कहा, ''आपके सामने सबूत पेश कर रहा है मोदी नगर सुगर मिल में 2019-20 में दो लाख रुपए का हमारा बकाया है और इस बार 2020-21 के गन्ने का अभी बकाया है.''
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यहां से आगे बढ़े तो कड़ी धूप में खुशबुद्दीन जैसे किसान गन्ने की कटाई करते मिले. गन्ना पर्ची पर लिखे जीरो पर खुशबुद्दीन की जानकारी भी शून्य है. जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है गन्ने की फसल सूखने का डर है. इसी के चलते जीरो लिखी पर्ची मिलने के बावजूद खुशबुद्दीन किसी भी तरह अपने गन्ने को मिल तक पहुंचाना चाहते हैं.
हमने जब इस मामले पर गन्ना अधिकारी से बात करने की कोशिश कि तो उनका कहना था कि सरकार ने फिलहाल गन्ने का समर्थन मूल्य घोषित नहीं किया है, लिहाजा पर्ची पर मूल्य की जगह जीरो या SAP लिखा आ रहा है. लेकिन किसान आंदोलन में ये बात भी उठ रही है कि कहीं सरकार आने वाले दिनों में गन्ने के दाम को लेकर आंदोलन में मोलतोल तो शुरू नहीं कर देगी.
सरकार कहती है गन्ने का भुगतान अगर 15 दिन भीतर नहीं होता है तो किसानों को ब्याज दिया जाएगा. लेकिन इस बार गन्ने की कटाई और मिलों में तौलाई शुरु हुए दो महीना बीत चुका है लेकिन पेमेंट तो दूर की बात है किसान को गन्ने का दाम भी नहीं पता है.
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