पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दूसरे चरण का प्रचार खत्म हो चुका है. लेकिन बिजनौर का एक पुल और चार किमी का रास्ता यूपी और उत्तराखंड के बीच में फंसा है. इसके चलते हजारों ग्रामीणों की जिंदगी दूभर हो गई है. दरअसल, बिजनौर में गंगा नदी पर 60 करोड़ रुपए की लागत से बना पुल दो साल से बनकर तैयार है. लेकिन उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद तालमेल की कमी के चलते 2 किमी की सड़क 2 साल से तैयार नहीं हो सकी है. लिहाजा सहारनपुर से बिजनौर आने के लिए लोगों को 60 किमी ज्यादा चलना चलना पड़ता है.
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जानकारी के मुताबिक पुल की अप्रोच रोड बनाने के लिए 20 करोड़ 2020 में ही पास हो चुका. लेकिन दो साल से सड़क नहीं बनी. यही हाल उत्तराखंड सरकार का भी है. उधर से भी सड़क का निर्माण नहीं किया गया है. जिसके चलते कच्चे रास्तों से चलते हुए पुराने लोहे के पुल से गंगा नदी को पार करके उत्तराखंड पहुंचना पड़ता है. लेकिन यहां भी पुल खड़ा है, सड़क गायब है. बिजनौर और दूसरी ओर हरिद्वार के लोगों में पुल के न शुरु होने से नाराजगी है.
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लोगों का कहना है कि बिजनौर की सारी सड़के टूटी पड़ी हैं, पुल बना है. लेकिन दो किमी सड़क नहीं बनी है. बुहत दिक्कत होती है. कोई नेता नहीं ध्यान दे रहा है. पुल की सड़क के साथ तटबंध बनना है, लेकिन सड़क के साथ वो भी लटक गया है. बिजनौर के दयालवाला गांव के ग्रामीणों की रोजी रोटी खेती और बेंत की कुर्सियां बनाने से चलती है. लेकिन पहले लॉकडाउन, फिर हर साल आने वाली गंगा नदी की बाढ़ से सरकार के खिलाफ इनका गुस्सा सातवें आसमान पर है.
ग्रामीण मूलचंद का कहना है कि 2017 में हमने बीजेपी को वोट दिया था कि वो तटबंध बनाएंगे, जो हमारी मुख्य समस्या है. लेकिन आज तक तटबंध नहीं बना. हर साल बाढ़ आती है, इस बार हमारे बीच यही मुद्दा है.
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