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This Article is From Feb 10, 2022

UP Election : 2017 में बीजेपी को बहुमत दिलाने वाले पश्चिमी यूपी में इस बार अलग हैं सियासी हालात

2017 में 58 सीटों में से 53 सीटें जीतने वाली बीजेपी के लिए इस बार हालात अलग हैं. 2017 में बीजेपी को वोट देने की बात कह चुके राकेश टिकैत जैसे कई प्रभावशाली जाट नेताओं में सरकार को लेकर नाराजगी और जयंत चौधरी के प्रति नरमी देखी जा रही है.

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UP Election : 2017 में बीजेपी को बहुमत दिलाने वाले पश्चिमी यूपी में इस बार अलग हैं सियासी हालात
राकेश टिकैत कहते हैं कि इस बार हिन्दू मुसलमान का खेल अब यहां नहीं चल सकता है.
मुजफ्फरनगर:

उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को लीड दिलाने वाली पश्चिमी यूपी में इस बार सियासी हालात अलग हैं. बताया जा रहा है कि पहले चरण के मतदान में हिन्दू मुस्लिम ध्रुवीकरण की राजनीति का ज्यादा असर नहीं दिख रहा है. पहले चरण के मतदान के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस बयान के कई मायने हैं, जिसमें उन्होंने कहा था, 'पश्चिमी यूपी को केरल और बंगाल मत बनने देना'. दरअसल, 2017 में 58 सीटों में से 53 सीटें जीतने वाली बीजेपी के लिए इस बार हालात अलग हैं. 2017 में बीजेपी को वोट देने की बात कह चुके राकेश टिकैत जैसे कई प्रभावशाली जाट नेताओं में सरकार को लेकर नाराजगी और जयंत चौधरी के प्रति नरमी देखी जा रही है. राकेश टिकैत कहते हैं कि इस बार हिन्दू मुसलमान का खेल अब यहां नहीं चल सकता है.

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भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि मुख्यमंत्री को ऐसी भाषा शोभा नहीं देता है. उनको समझना चाहिए कि अब हिन्दू मुसलमान वाला खेल जिस स्टेडियम में खेला जाता था, वो टूट चुका है.

बता दें कि 2017 के विधानसभा चुनाव जाट मतदाता बीजेपी की तरफ थे और पश्चिमी यूपी में करीब 30 सीटों पर इनका वोट निर्णायक है. जबकि पहले चरण की दो दर्जन सीटें ऐसी हैं, जहां मुस्लिम निर्णायक हालात है. ऐसे में मुसलमान और जाटों का साधने के लिए जयंत चौधरी व अखिलेश ने कई पुराने मुस्लिम चेहरों को बाहर भी किया है. लेकिन बीजेपी के प्रभावशाली जाट नेता संजीव बालियान इस बार भी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं. केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान का कहना है कि पश्चिम यूपी के पहले चरण में बीजेपी की आंधी चल रही है, सब कीड़े मकोड़े बाहर हो जाएंगे.

अब अगर पहले चरण के मतदान की जमीनी हालात को देखें तो इस बार जाट मतदाता बीजेपी और रालोद-सपा गठबंधन में बंटा दिख रहा है. कुछ बीजेपी के स्थानीय विधायकों के खिलाफ नाराजगी, गन्ने का भुगतान ,बढ़ती मंहगाई, किसान आंदोलन का भी कुछ प्रभाव भी दिख रहा है.

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लोगों का कहना है कि गन्ने का भुगतान करके सरकार कोई ऐहसान नहीं कर रही है. साथ ही कहना है कि जाट और मुसलमान इस बार एक होंगे. लोगों का कहना है कि इस बार उनके लिए प्रमुख मुद्दा बेरोजगारी और मंहगाई है. यही वजह है कि पश्चिमी यूपी के इस पहले चरण में बीजेपी के संगीत सोम, सुरेंद्र राणा, कपिल देव अग्रवाल, मृगांका सिंह जैसे तमाम नेताओं की सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. इसका असर बाकी के मतदान पर भी पड़ने की संभावना है.

यही वजह है कि बीजेपी के हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश के जवाब में अखिलेश यादव ने कई पुराने मुस्लिम दिग्गजों के टिकट काटे और अपने कई उम्मीदवारों को रालोद के चुनाव निशान पर लड़वा रहे हैं, ताकि बीजेपी से जाट मतदाताओं को दूर किया जा सके. 

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