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This Article is From Jan 10, 2022

UP Election 2022: चुनावी रैली पर EC की रोक के बाद सियासी दलों ने की डिजिटल कैंपेन की तैयारी, जानें- कौन है किस पर भारी

चुनाव में कौन सी पार्टी कितनी मज़बूत है इसका अंदाज़ा रैलियों में जुट रही भीड़ से लगाया जाता है, लेकिन अब सब डिजिटल हो जाने के बाद किसका माहौल है, किसका नहीं इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल हो जाएगा.

UP Election 2022: चुनावी रैली पर EC की रोक के बाद सियासी दलों ने की डिजिटल कैंपेन की तैयारी, जानें- कौन है किस पर भारी
सियासी दल कर रहे हैं डिजिटल चुनाव अभियान की तैयारी (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

कोरोना वायरस (Coronavirus) के बढ़ते मामलों को देखते हुए चुनाव आयोग (Election Commission) ने 15 जनवरी तक सभी दलों के ज़मीन पर आकर प्रचार करने पर रोक लगा दी है, यानी पार्टियां सिर्फ़ डिजिटल प्रचार ही कर सकती हैं. यूपी में राजनीतिक दल डिजिटल प्रचार की तैयारियों में जुट गए हैं. 

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों का आग़ाज़ हो चुका है, लेकिन चुनाव आयोग ने चुनाव प्रचार ज़मीन के बदले मीडिया और सोशल मीडिया पर शिफ़्ट कर दिया है. डिजिटल चुनाव प्रचार में बीजेपी की तैयारी दूसरे राजनीतिक दलों से ज़्यादा मज़बूत नज़र आती है. 

बीजेपी की डिजिटल प्लॉनिंग क्या है? 
यूपी बीजेपी मुख्यालय में वॉर रूम तैयार है. सोशल मीडिया की 6,500 लोगों की टीम है. बीजेपी के 1918 मंडल पर लगभग 5,700 पदाधिकारी हैं. हर मंडल का व्हाट्सएप ग्रुप तैयार किया गया है. डिजिटल प्रचार सामग्री मुख्यालय से तैयार होगी. बीजेपी पूरे प्रदेश में डिजिटल प्रचार के लिए 9 लाख LED स्क्रीन लगाएगी. 4 हाईटेक स्टूडियो बनकर तैयार हैं. इन डिजिटल स्टूडियो से वर्चुअल रैलियां होंगी. वर्चुअल रैली में एक साथ 10-50 हज़ार लोग जोड़े जा सकेंगे. 

बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, "हमने कोरोना की पहली लहर से वर्चुअल प्लेटफ़ॉर्म पर काम करना शुरू दिया था हमारे पास सोशल मीडिया का स्ट्रांग नेटवर्क है. अखिलेश यादव ने तैयारी नहीं की तो वो परेशान हैं." 

अखिलेश यादव की रथ यात्राओं में उमड़ रही ज़बरदस्त भीड़ से उत्साहित सपा अब डिजिटल प्रचार में थोड़ा पीछे नज़र आती है. सोमवार को सपा सांसद और वरिष्ठ नेता प्रो रामगोपाल ने ट्वीट कर चुनाव आयोग पर पक्षपात करने का आरोप लगा दिया. प्रो रामगोपाल ने ट्वीट कर कहा कि “झंडा बैनर पोस्टर होर्डिंग कुछ नहीं लगा सकते, सभा नुक्कड़ सभा रोडशो रैली भी नहीं कर सकते. मीडिया विपक्ष को दिखा नहीं सकती तो क्या अखिलेश की जनसभाओं में उमड़ते जन सैलाब से घबराकर सरकारी पार्टी के अनुकूल सब व्यवस्था की जा रही है. मतदाता साइकिल पहचानता है और साइकिल का बटन ही दबाएगा.” सपा भी सोशल मीडिया पर "आ रहे हैं अखिलेश" कैंपेन के ज़रिए ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचने की कोशिश मे जुटी हुई है. 

यूपी चुनाव के लिए सपा की डिजिटल प्लानिंग 

- अखिलेश यादव के भाषणों का यूट्यूब, ट्विटर और फ़ेसबुक लिंक शेयर किया जाता है

 - समाजवादी डिजिटल विंग का गठन

 - बूथ स्तर पर व्हाइट्स एप ग्रुप बनाकर लोगों को जोड़ा जाएगा

- सभी नेता और कार्यकर्ता को सोशल मीडिया के सभी प्लेटफ़ॉर्म पर एक्टिव रहने के आदेश दिए 

- 100 से ज़्यादा वेरिफाइड अकाउंट ट्विटर और फ़ेसबुक पर तैयार हैं, जैसे- अखिलेश यादव, डिंपल, नरेश उत्तम पटेल

- वर्चुअल रैलियों के लिए Zoom, Microsoft जैसे ऐप का इस्तेमाल करने की तैयारी 

कांग्रेस डिजिटल कैंपेन में सपा से आगे 

- प्रियंका गांधी लगातार फ़ेसबुक के ज़रिए वोटरों से बातचीत कर रही हैं. कांग्रेस का कैंपेन उनके नारे “लड़की हूं लड़ सकती हूं” के साथ महिला वोटरों को रिझाने की कोशिश. कांग्रेस प्रियंका के साथ लाइव कार्यक्रम शुरू कर चुकी है. 

- प्रियंका सोशल मीडिया पर सीधे वोटरों से बात करेंगी. यूपी के सभी ब्लॉक में कांग्रेस LED स्क्रीन लगाएगी

.- कांग्रेस के 75,000 वहाट्स ऐप ग्रुप बनाए गए हैं 

- दिल्ली और लखनऊ में सोशल मीडिया वॉर रूम बनाए गए हैं

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राष्ट्रीय को-कॉर्डिनेटर (सोशल मीडिया) कांग्रेस आयूष पांडे ने कहा कि हमने पूरा कैंपेन वर्चुअल कर लिया है. हम पहले से ही तैयार थे, जो मैराथन हमने की उसे डिजिटल कर लिया है और डिजिटल कैंपेन लांच कर रहे हैं. प्रियंका लगातार फ़ेसबुक लाइव कर रही हैं. 

बसपा डिजिटल कैंपेन में सबसे पीछे
बसपा इस पूरे डिजिटल कैंपेन में सबसे पीछे नज़र आती है उनके सोशल मीडिया पेज पर मायावती की प्रेस कॉन्फ्रेंस लाइव प्रसारित की जाती हैं. कोई ख़ास बड़ा डिजिटल कैंपेन भी बसपा ने अब तक लांच नहीं किया है. 

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अब चुनाव में कौन सी पार्टी कितनी मज़बूत है इसका अंदाज़ा रैलियों में जुट रही भीड़ से लगाया जाता है, लेकिन अब सब डिजिटल हो जाने के बाद किसका माहौल है... किसका नहीं. इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल हो जाएगा. 15 को चुनाव आयोग अपने फ़ैसले की समीक्षा करेगा, लेकिन कोरोना के बढ़ रहे मामलों को देख कर ऐसा लगता नहीं हम जल्द यूपी में चुनावी रैलियां देख पाएंगे.

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