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This Article is From Apr 24, 2020

यूपी: कैंसर से जूझ रहे हैड कांस्‍टेबल पिता के इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है एसिड अटैक पीड़िता और 'छपाक' की एक्टर..

जीतू के पिता 55 वर्षीय सोमदत्त शर्मा यूपी पुलिस में एक हेड कांस्टेबल हैं और पश्चिम यूपी के मैनपुरी जिले में पोस्‍टेड हैं. जीतू के अनुसार, पिता को इस साल जनवरी में गले के कैंसर का पता चला था और उसका इलाज नोएडा के एक निजी अस्पताल में चल रहा था. जीतू ने बताया, 'पिता का इलाज नोएडा के अस्पताल में चल रहा था.

यूपी: कैंसर से जूझ रहे हैड कांस्‍टेबल पिता के इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है एसिड अटैक पीड़िता और 'छपाक' की एक्टर..
अपने पिता के साथ जीतू शर्मा
अलीगढ़:

Coronavirus Pandemic: कोरोना वायरस की महामारी के कारण देशभर में लागू लॉकडाउन के बीच उत्‍तरप्रदेश की एक एसिड अटैक पीड़िता (Acid Attack Survivor), कैंसर की घातक बीमारी से जूझ रहे पिता के इलाज के लिए दर-दर भटक रही है. कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण देश का पूरा ध्‍यान इस समय इस वायरस से संक्रमित लोगों के इलाज पर है और इस कारण दूसरी बीमारी के मरीजों को परेशान होना पड़ा रहा है. यह एसिड अटैक पीड़िता पिछले साल बॉलीवुड स्‍टार दीपिका पादुकोण के साथ भी काम कर चुकी है. 

जीतू शर्मा पर वर्ष 2014 में 55 साल के एक बुजुर्ग ने एसिड हमला किया था जो उसका पीछा करता था. जीतू उस समय केवल 17 वर्ष की थी. जीतू एसिड अटैक पीड़ित लोगों के जीवन के संघर्ष के विषय पर वर्ष 2019 में बनी दीपिका पादुकोण स्‍टारर फिल्‍म 'छपाक' (CHHAPAAK) में काम कर चुकी हैं. उन्‍हें फिल्‍म में दीपिका की फ्रेंड का रोल किया था. जीतू के पिता 55 वर्षीय सोमदत्त शर्मा यूपी पुलिस में एक हेड कांस्टेबल हैं और पश्चिम यूपी के मैनपुरी जिले में पोस्‍टेड हैं. जीतू के अनुसार, पिता को इस साल जनवरी में गले के कैंसर का पता चला था और उसका इलाज नोएडा के एक निजी अस्पताल में चल रहा था. जीतू ने बताया, 'पिता का इलाज नोएडा के जेपी अस्पताल में चल रहा था. लॉकडाउन के कारण पिछले कुछ समय में मैं उन्हें इलाज के लिए नोएडा नहीं ले जा पाई थी. पिछले कुछ दिनों में उनकी हालत बहुत खराब हो गई थी और वह कुछ निगल भी नहीं पा रहे थे. ऐसे में मैंने सोचा कि मुझे मदद के लिए जिला प्रशासन को फोन करना चाहिए इसलिए मैंने हेल्पलाइन नंबर 112 पर कॉल किया तो उन्होंने कहा कि आपको किसी जगह कैसे ले जाया जा सकता है, कृपया पुलिस स्‍टेशन जाइए.

जीतू ने दावा किया कि वह अलीगढ़ के स्थानीय पुलिस स्टेशन में गई थी, जहां उनसे खुद के दम पर टैक्सी का इंतजाम करने और अपने पिता के इलाज के लिए दिल्ली ले जाने के लिए कहा गया था. उन्‍होंने कहा "मैंने उनसे पूछा कि यह कैसे संभव है..तो पुलिस अधिकारी ने कहा कि कोई भी आपको नहीं रोकेगा, लेकिन जब मैंने उनसे पूछा कि अगर रास्ते में मुझे रोका गया तो मैं क्या कहूंगी, इस पर वे खामोश हो गए.' इस मामले को लोगों की जानकारी में लाने के लिए किए गए ट्विटर पोस्ट के जवाब में, अलीगढ़ के जिला मजिस्ट्रेट चंद्र भूषण सिंह ने पोस्ट किया, "कैंसर रोगी की बेटी को अलीगढ़ के सिटी मजिस्ट्रेट के सामनेआवेदन प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है और उसे उसके पिता को इलाज के लिए दूसरे शहर ले जाने की इजाजत दी जाएगी"यूपी सरकार ने भी कहा है कि उसके पार लॉकडाउन के दौरान मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में यात्रा के लिए ई-पास की व्‍यवस्‍था है. जीतू का यह भी कहना है कि नोएडा का निजी अस्‍पताल आगे के इलाज से पहले पिता की निगेटिव कोरोना वायरस रिपोर्ट देने का दबाव डाल रहा है. अलीगढ़ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने आज सुबह जीतू के साथ मुलाकात की और आज शाम तक पिता के कोविड-19 टेस्‍ट का आश्‍वासन दिया. इससे नोएडा के निजी अस्पताल में उसकी यात्रा की राह आसान हो जाएगी.

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बुधवार को एक फेसबुक पोस्ट में जीतू ने यह भी दावा किया कि वह अपने पिता को अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ले गई थी लेकिन उसे लौटा दिया गया. उसने कहा, "मुझे बताया गया था कि नए कैंसर रोगियों को भर्ती नहीं किया जा रहा है. मैंने एक वरिष्ठ डॉक्टर से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कोई बात नहीं की. हम सुबह 8 बजे चले गए थे लेकिन उन्होंने भर्ती करने से इनकार कर दिया.एम्बुलेंस ने मुझे अस्पताल तक छोड़ा और चली गई. जब मैंने फिर से फोन किया, तो एम्बुलेंस हेल्पलाइन ने कहा कि मुझे फिर से आने के लिए एम्बुलेंस के लिए अस्पताल से रेफरल पेपर की जरूरत है. इसलिए मुझे रिक्शा लेकर पिता को इस गर्मी में वापस लाना पड़ा"

इस बारे में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में जनसंपर्क विभाग के प्रभारी प्रोफेसर शफी किदवई ने कहा कि अस्पताल अभी कोविड-19 के खिलाफ 'लड़ाई' पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. हम कोविड-19 के लिए एक फ्रंटलाइन अस्पताल हैं और हमारे यहां इसके लिए एक टेस्‍ट लैब भी है जो पश्चिम यूपी के मामले देख रही है. यदि कैंसर के मरीज स्थिर हैं, तो हम उन्हें नहीं बुला रहे हैं, लेकिन यदि कोई आपात स्थिति है तो हम ऐसे रोगियों को देख रहे है." पिता के इलाज के लिए दर-दर भटक रहीं जीतू निराश हो गई हैं. उन्‍होंने कहा, "मेरे पिता ने 30 वर्षों तक पुलिस विभाग की सेवा की है. मैं निराश हूं कि इसके बावजूद प्रशासन में किसी ने भी उनकी मदद करने के लिए कदम नहीं उठाया. हम उनके मेडिकल पेपर मैनपुरी में पुलिस विभाग को नहीं भेज पाए हैं, इसलिए उन्हें पिछले कुछ महीनों से वेतन भी नहीं मिल पाया है."

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