संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने काबुल हवाई अड्डे (Kabul Air Port) के पास आतंकवादी हमलों पर जारी अपने बयान के एक पैराग्राफ से तालिबान (Taliban) के संदर्भ को हटा दिया है, जिसमें अफगान समूहों को "किसी अन्य देश में सक्रिय" आतंकवादियों का समर्थन नहीं करने का आह्वान किया गया था.
भारत, जिसने अगस्त महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रोटेशन प्रक्रिया से अध्यक्षता ग्रहण की है, ने इस बयान पर हस्ताक्षर किए हैं और इसे इस महीने के अध्यक्ष के रूप में अपनी क्षमता के अनुसार जारी किया है.
काबुल पर तालिबान के कब्जे के एक दिन बाद 16 अगस्त को अफगानिस्तान पर अपने पहले के बयान में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थिति बिल्कुल अलग थी, जब उसने चेतावनी दी थी कि "न तो तालिबान और न ही किसी अन्य अफगान समूह को या व्यक्ति को इस क्षेत्र में सक्रिय अन्य देश के आतंकवादियों का समर्थन करना चाहिए.
'आतंकियों को पनाहगाह मुहैया कराने वालों के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत', काबुल धमाकों पर भारत
पिछले साल अप्रैल तक संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि रहे सैयद अकबरुद्दीन ने दोनों बयानों में अंतर स्पष्ट करते हुए कहा कि नए बयान से 'टी' शब्द चला गया है. अकबरुद्दीन ने लिखा है, "कूटनीति में एक पखवाड़ा बहुत लंबा समय होता है, अब 'टी' शब्द गायब हो चुका है." उन्होंने 16 और 27 अगस्त को जारी दोनों बयानों को भी सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है.
In diplomacy…
— Syed Akbaruddin (@AkbaruddinIndia) August 28, 2021
A fortnight is a long time…
The ‘T' word is gone…????
Compare the marked portions of @UN Security Council statements issued on 16 August & on 27 August… pic.twitter.com/BPZTk23oqX
19 अगस्त को जब विदेश मंत्री एस जयशंकर से पूछा गया कि तालिबान नेतृत्व को साथ भारत कैसे देखता है और उसके साथ कैसा व्यवहार होगा, तब विदेश मंत्री ने कहा था कि यह अभी "शुरुआती दिन" है, और उनका ध्यान उन भारतीय नागरिकों की सुरक्षा पर केंद्रित है जो अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं. भारत ने शुक्रवार को कहा कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में रहने वाले उसके नागरिकों की सही संख्या का पता नहीं है.
भारत पहले ही काबुल से अपने मिशन स्टाफ को निकाल चुका है. पिछले हफ्ते, तालिबान ने अफगानिस्तान में भारत के कम से कम दो वाणिज्य दूतावासों में प्रवेश किया, दस्तावेजों की खोज की और खड़ी कारों को ले गए. इस पर सरकारी सूत्रों ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसका मतलब यह है कि तालिबान समूह अपने वादों के खिलाफ काम कर रहा है जो उसके नेता दुनियाभर को बता रहे हैं.
उधर, राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि वह 31 अगस्त तक अफगानिस्तान से सभी अमेरिकी सैनिकों को वापस लेने की अपनी समय सीमा पर कायम रहेंगे.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं