फाइल फोटो
नई दिल्ली:
आधार पर सोशल मीडिया हब बनाने के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने AG से सहायता मांगी है. याचिका में आरोप कि प्राधिकरण सोशल मीडिया की निगरानी करना चाहता है. UIDAI द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफार्मों जैसे ट्विटर, फेसबुक, यूट्यूब, गूगल प्लस आदि पर आधार से संबंधित गतिविधियों की निगरानी के लिए एक निजी एजेंसी की सेवाएं लेने के कथित प्रस्ताव के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने AG के के वेणुगोपाल की सहायता मांगी है. बता दें कि इस संबंध में बंगाल की तृणमूल कांग्रेस विधायक महुआ मोइत्रा ने याचिका दाखिल की है. याचिका में अदालत से आग्रह किया है कि वह 18 जुलाई को जारी किए गए प्रस्ताव को रद्द करें, क्योंकि ये अनुच्छेद 14 (समानता), 1 9 (1) (ए) (भाषण की स्वतंत्रता) और संविधान के 21 (जीवन, स्वतंत्रता और निजता) का उल्लंघन है.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मामला गंभीर है, क्योंकि इस मुद्दे में निजता का मौलिक अधिकार शामिल है. जिसका भारत का विशिष्ट पहचान विकास प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है. हालांकि, बेंच ने केंद्र और यूआईडीएआई को औपचारिक नोटिस नहीं किया और इस मामले में एजी की सहायता मांगी. याचिका के मुताबिक यूआईडीएआई द्वारा जारी RFP आधार प्राधिकरण के लिए सोशल मीडिया एजेंसी के रूप में कार्य करने के लिए एक निजी एजेंसी नियुक्त करने का प्रस्ताव रखता है और प्रस्तावित एजेंसी को सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की निगरानी के लिए "सोशल मॉनीटरिंग टूल नियोजित करने का कार्य सौंपा जा रहा है."
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वहीं, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि सूचना प्रसारण मंत्रालय ने नागरिकों की सोशल मीडिया सामग्री की निगरानी के लिए सोशल मीडिया केंद्र बनाने के लिए एक समान अधिसूचना जारी की थी. लेकिन केंद्र सरकार द्वारा अदालत को दिए गए आश्वासन के अनुसार पिछले महीने ये अधिसूचना वापस ले ली गई थी. इसलिए हमें AG को इस मामले में सुनना है. इससे पहले ऐसी ही याचिका पर केंद्र सरकार ने कहा था कि वो सोशल मीडिया की निगरानी नहीं करेगी. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वो सोशल मीडिया कम्युनिकेशन हब स्थापित करने के प्रस्ताव को वापस ले लिया है. AG के के वेणुगोपाल ने कहा था कि सरकार पूरे प्रोग्राम पर पुनर्विचार कर रही है. सोशल मीडिया कम्युनिकेशन हब स्थापित करने के खिलाफ दाखिल याचिका का सुप्रीम कोर्ट ने निस्तारण किया था.
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सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि क्या सरकार सर्विलांस स्टेट बनाना चाहती है? दरअसल, तृणमूल कांग्रेस की विधायक महुआ मोइत्रा का कहना है कि सोशल मीडिया की निगरानी के लिए केंद्र यह कार्यवाही कर रहा है. इसके बाद ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम व ईमेल में मौजूद हर डेटा तक केंद्र की पहुंच हो जाएगी. निजता के अधिकार का यह सरासर उल्लंघन है. इससे हर व्यक्ति की निजी जानकारी को भी सरकार खंगाल सकेगी. इसमें जिला स्तर तक सरकार डेटा को खंगाल सकेगी.
VIDEO: SC/ST एक्ट पर विवाद जारी
गौरतलब है कि हाल में केंद्रीय मंत्रालय के तहत काम करने वाले पीएसयू ब्रॉडकास्ट कंसल्टेंट इंडिया लि. (बीईसीआइएल) ने एक टेंडर जारी किया था. इसमें एक सॉफ्टवेयर की आपूर्ति के लिए निविदाएं मांगी गईं. कहा गया कि सरकार इसके तहत सोशल मीडिया के माध्यम से सूचनाओं को एकत्र करेगी. अनुबंध आधार पर जिला स्तर पर काम करने वाले मीडिया कर्मियों के जरिए सरकार सोशल मीडिया की सूचनाओं को एकत्र करके देखेगी कि सरकारी योजनाओं पर लोगों का क्या रुख है.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि मामला गंभीर है, क्योंकि इस मुद्दे में निजता का मौलिक अधिकार शामिल है. जिसका भारत का विशिष्ट पहचान विकास प्राधिकरण (यूआईडीएआई) द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है. हालांकि, बेंच ने केंद्र और यूआईडीएआई को औपचारिक नोटिस नहीं किया और इस मामले में एजी की सहायता मांगी. याचिका के मुताबिक यूआईडीएआई द्वारा जारी RFP आधार प्राधिकरण के लिए सोशल मीडिया एजेंसी के रूप में कार्य करने के लिए एक निजी एजेंसी नियुक्त करने का प्रस्ताव रखता है और प्रस्तावित एजेंसी को सोशल मीडिया प्लेटफार्मों की निगरानी के लिए "सोशल मॉनीटरिंग टूल नियोजित करने का कार्य सौंपा जा रहा है."
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वहीं, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि सूचना प्रसारण मंत्रालय ने नागरिकों की सोशल मीडिया सामग्री की निगरानी के लिए सोशल मीडिया केंद्र बनाने के लिए एक समान अधिसूचना जारी की थी. लेकिन केंद्र सरकार द्वारा अदालत को दिए गए आश्वासन के अनुसार पिछले महीने ये अधिसूचना वापस ले ली गई थी. इसलिए हमें AG को इस मामले में सुनना है. इससे पहले ऐसी ही याचिका पर केंद्र सरकार ने कहा था कि वो सोशल मीडिया की निगरानी नहीं करेगी. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वो सोशल मीडिया कम्युनिकेशन हब स्थापित करने के प्रस्ताव को वापस ले लिया है. AG के के वेणुगोपाल ने कहा था कि सरकार पूरे प्रोग्राम पर पुनर्विचार कर रही है. सोशल मीडिया कम्युनिकेशन हब स्थापित करने के खिलाफ दाखिल याचिका का सुप्रीम कोर्ट ने निस्तारण किया था.
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गौरतलब है कि हाल में केंद्रीय मंत्रालय के तहत काम करने वाले पीएसयू ब्रॉडकास्ट कंसल्टेंट इंडिया लि. (बीईसीआइएल) ने एक टेंडर जारी किया था. इसमें एक सॉफ्टवेयर की आपूर्ति के लिए निविदाएं मांगी गईं. कहा गया कि सरकार इसके तहत सोशल मीडिया के माध्यम से सूचनाओं को एकत्र करेगी. अनुबंध आधार पर जिला स्तर पर काम करने वाले मीडिया कर्मियों के जरिए सरकार सोशल मीडिया की सूचनाओं को एकत्र करके देखेगी कि सरकारी योजनाओं पर लोगों का क्या रुख है.
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