
शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)
मुंबई:
शिवसेना के मुखपत्र सामना को दिए साक्षात्कार में पार्टी प्रमुख उद्धव ने कहा कि शिवसेना पिछले 25 साल के गठबंधन में सड़ गई। बीजेपी के साथ गठबंधन कर शिवसेना को नुकसान हुआ। सामना में उद्धव ठाकरे के साक्षात्कार का सिलसिला चला है। अपने जन्मदिन से पहले दिए साक्षात्कार के आख़िरी हिस्से में उद्धव ने बीजेपी के साथ जाने पर नफा नुकसान की बात की।
उद्धव ठाकरे आगे कहते हैं कि, बीजेपी के साथ गठबंधन करना तब, 25 साल पहले की जरूरत थी। लेकिन इससे शिवसेना को नुकसान ही उठाना पड़ा। बिना गठबंधन शिवसेना अगर लड़ती तो आज चित्र कुछ और होता।
जाते-जाते उद्धव ने बीजेपी को यह चेतावनी दी है कि, अगर सत्ता का इस्तेमाल कर शिवसेना को कमजोर करने की कोशिश बीजेपी करेगी तो वे सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे। बीजेपी अगर आगामी महानगरपालिका चुनाव स्वतंत्ररूप से लड़ना चाहती है तो शिवसेना भी उसके लिए तैयार है।
शिवसेना-बीजेपी गठबंधन देश का सबसे पुराना राजनीतिक गठजोड़ है जो दोनों दलों के विपक्ष में होते हुए बना था। इस गठजोड़ को बनाने में दिवंगत शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे और शीर्ष बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की एहम भूमिका थी। गुजरे दिनों में इस गठबंधन की केंद्र और राज्य में सरकारें बनी थी। महाराष्ट्र में 1995 में बनी सरकार का नेतृत्व शिवसेना के पास था। और उसे केंद्र में भी अहम मंत्रालय मिले थे।
2014 में हुए लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव में चित्र बदल गया है। आंकड़ों के हिसाब से शिवसेना बीजेपी के सामने दोयम भूमिका में आ चुकी है।
उद्धव ठाकरे आगे कहते हैं कि, बीजेपी के साथ गठबंधन करना तब, 25 साल पहले की जरूरत थी। लेकिन इससे शिवसेना को नुकसान ही उठाना पड़ा। बिना गठबंधन शिवसेना अगर लड़ती तो आज चित्र कुछ और होता।
जाते-जाते उद्धव ने बीजेपी को यह चेतावनी दी है कि, अगर सत्ता का इस्तेमाल कर शिवसेना को कमजोर करने की कोशिश बीजेपी करेगी तो वे सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे। बीजेपी अगर आगामी महानगरपालिका चुनाव स्वतंत्ररूप से लड़ना चाहती है तो शिवसेना भी उसके लिए तैयार है।
शिवसेना-बीजेपी गठबंधन देश का सबसे पुराना राजनीतिक गठजोड़ है जो दोनों दलों के विपक्ष में होते हुए बना था। इस गठजोड़ को बनाने में दिवंगत शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे और शीर्ष बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी की एहम भूमिका थी। गुजरे दिनों में इस गठबंधन की केंद्र और राज्य में सरकारें बनी थी। महाराष्ट्र में 1995 में बनी सरकार का नेतृत्व शिवसेना के पास था। और उसे केंद्र में भी अहम मंत्रालय मिले थे।
2014 में हुए लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव में चित्र बदल गया है। आंकड़ों के हिसाब से शिवसेना बीजेपी के सामने दोयम भूमिका में आ चुकी है।
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