दोषी शिवकुमार यादव...
नई दिल्ली:
दिल्ली की अदालत ने उबर कैब के चालक शिवकुमार यादव को 25 वर्षीय एक महिला एग्जीक्यूटिव के साथ पिछले साल अपनी टैक्सी में बलात्कार करने और उसकी जान को खतरे में डालने के लिए उम्रकैद की सजा सुनाई है, यानी उसे बची हुई पूरी जिंदगी जेल में गुजारनी होगी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने 32 वर्षीय शिव कुमार यादव को भारतीय दंड संहिता के तहत उन सभी अपराधों का दोषी ठहराया था, जिनके आरोप उस पर लगाए गए थे। इनमें महिला के साथ बलात्कार करते हुए उसकी जान खतरे में डालने, विवाह के लिए बाध्य करने के इरादे से उसका अपहरण करने, आपराधिक तरीके से उसे धमकाने और उसे चोट पहुंचाने के आरोप भी शामिल हैं।
जानें क्या है पूरा मामला
मामला पिछले साल 6 दिसंबर का है, जब ये वाकया सामने आया कि नामी उबर कैब कंपनी की गाड़ी में गाड़ी के ही ड्राइवर ने एक युवती से बलात्कार किया। ये वारदात उस वक्त हुई जब प्राइवेट कंपनी में काम करने वाली युवती ने एप्लीकेशन सर्विस के जरिए कैब हायर की।
वारदात के कुछ समय बाद ही पुलिस ने आरोपी ड्राइवर शिव कुमार यादव को गिरफ्तार कर लिया। इस वारदात ने कैब कंपनियों के काम करने के तरीके और उनके ड्राइवर पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। हालत यहां तक पहुंचे कि उबर को दिल्ली में कुछ समय तक अपनी सेवाएं बंद करनी पड़ीं।
इस मामले में कब क्या हुआ
-6 दिसंबर को पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी
-24 दिसंबर को अदालत में चार्जशीट दाखिल हुई थी जबकि 7 जनवरी 2015 को फास्ट ट्रैक कोर्ट में इस मामले का ट्रायल शुरू हुआ
-13 जनवरी को आरोपी शिव कुमार यादव के ऊपर बलात्कार, अपहरण, जान से मारने की कोशिश समेत कई धाराओं में आरोप तय हुए, जबकि 31 जनवरी को पुलिस ने इस मामले में 28 गवाहों की गवाही पूरी की।
- इस मामले में अहम मोड़ यहीं आया, आरोपी शिव कुमार यादव के वकील ने फिर 28 गवाहों की गवाही के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दी जिसे मानते हुए हाईकोर्ट ने 4 मार्च 2015 को पीड़िता समेत 14 गवाहों की गवाही की अनुमति दी।
-दिल्ली पुलिस और पीड़िता ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च को निचली अदालत में चल रहे ट्रायल पर रोक लगा दी।
-10 सितम्बर को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए ट्रायल कोर्ट को जल्द ही इस मामले में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया।
जो सबूत अहम रहे
- डीएनए का मिलान
- पीड़ित के मोबाइल पर आरोपी के कॉल और मैसेज
- कार की जीपीएस लोकेशन
- पीड़ित का बयान
- 28 गवाहों के बयान
- डॉक्टरों की जांच रिपोर्ट
मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में गया। लेकिन बचाव पक्ष ने देरी की नीयत से दोबारा पेशी की अर्जी दी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज़ कर दिया जिसमें सात महीने लग गए। हालांकि चार्जशीट घटना के 20 दिनों के भीतर ही दाखिल
कर दी गई। बचाव पक्ष अब राहत के लिए हाइकोर्ट जाने की बात कर रहा है। शिवकुमार पर पहले के भी 7 मामले दर्ज हैं, जिनमें 3 रेप के हैं। उसे मिली सजा से पीड़ित परिवार और पुलिस की जांच टीम दोनों संतुष्ट हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी पर सख्त टिप्पणी की
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी पर सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि जिस तरह आरोपी शिव कुमार यादव ने कानून का इस्तेमाल किया, वह गलत है। आपके हिसाब से कानून चलेगा तो सिस्टम ध्वस्त हो जाएगा। किसी अपराधी को सजा नहीं हो पाएगी, ना ही कोई ट्रायल पूरा होगा। आप जो कह रहे हैं, उसका मतलब यह है कि अपराधी को सिर माथे पर बिठाना चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए।
कौन है शिव कुमार यादव
32 साल का शिव कुमार यादव यूपी के मैनपुरी का रहने वाला है। वह शादीशुदा है और दो बच्चे हैं। उस पर यूपी में भी एक रेप केस चल रहा है। जबकि दिल्ली के महरौली में रेप केस से वह बरी हो चुका है। यूपी में उसके खिलाफ गुंडा एक्ट और आर्म्स एक्ट के मामले भी चले हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने 32 वर्षीय शिव कुमार यादव को भारतीय दंड संहिता के तहत उन सभी अपराधों का दोषी ठहराया था, जिनके आरोप उस पर लगाए गए थे। इनमें महिला के साथ बलात्कार करते हुए उसकी जान खतरे में डालने, विवाह के लिए बाध्य करने के इरादे से उसका अपहरण करने, आपराधिक तरीके से उसे धमकाने और उसे चोट पहुंचाने के आरोप भी शामिल हैं।
जानें क्या है पूरा मामला
मामला पिछले साल 6 दिसंबर का है, जब ये वाकया सामने आया कि नामी उबर कैब कंपनी की गाड़ी में गाड़ी के ही ड्राइवर ने एक युवती से बलात्कार किया। ये वारदात उस वक्त हुई जब प्राइवेट कंपनी में काम करने वाली युवती ने एप्लीकेशन सर्विस के जरिए कैब हायर की।
वारदात के कुछ समय बाद ही पुलिस ने आरोपी ड्राइवर शिव कुमार यादव को गिरफ्तार कर लिया। इस वारदात ने कैब कंपनियों के काम करने के तरीके और उनके ड्राइवर पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। हालत यहां तक पहुंचे कि उबर को दिल्ली में कुछ समय तक अपनी सेवाएं बंद करनी पड़ीं।
इस मामले में कब क्या हुआ
-6 दिसंबर को पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी
-24 दिसंबर को अदालत में चार्जशीट दाखिल हुई थी जबकि 7 जनवरी 2015 को फास्ट ट्रैक कोर्ट में इस मामले का ट्रायल शुरू हुआ
-13 जनवरी को आरोपी शिव कुमार यादव के ऊपर बलात्कार, अपहरण, जान से मारने की कोशिश समेत कई धाराओं में आरोप तय हुए, जबकि 31 जनवरी को पुलिस ने इस मामले में 28 गवाहों की गवाही पूरी की।
- इस मामले में अहम मोड़ यहीं आया, आरोपी शिव कुमार यादव के वकील ने फिर 28 गवाहों की गवाही के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दी जिसे मानते हुए हाईकोर्ट ने 4 मार्च 2015 को पीड़िता समेत 14 गवाहों की गवाही की अनुमति दी।
-दिल्ली पुलिस और पीड़िता ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और सुप्रीम कोर्ट ने 10 मार्च को निचली अदालत में चल रहे ट्रायल पर रोक लगा दी।
-10 सितम्बर को अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए ट्रायल कोर्ट को जल्द ही इस मामले में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया।
जो सबूत अहम रहे
- डीएनए का मिलान
- पीड़ित के मोबाइल पर आरोपी के कॉल और मैसेज
- कार की जीपीएस लोकेशन
- पीड़ित का बयान
- 28 गवाहों के बयान
- डॉक्टरों की जांच रिपोर्ट
मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में गया। लेकिन बचाव पक्ष ने देरी की नीयत से दोबारा पेशी की अर्जी दी जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज़ कर दिया जिसमें सात महीने लग गए। हालांकि चार्जशीट घटना के 20 दिनों के भीतर ही दाखिल
कर दी गई। बचाव पक्ष अब राहत के लिए हाइकोर्ट जाने की बात कर रहा है। शिवकुमार पर पहले के भी 7 मामले दर्ज हैं, जिनमें 3 रेप के हैं। उसे मिली सजा से पीड़ित परिवार और पुलिस की जांच टीम दोनों संतुष्ट हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी पर सख्त टिप्पणी की
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी पर सख्त टिप्पणी की थी। कोर्ट ने कहा था कि जिस तरह आरोपी शिव कुमार यादव ने कानून का इस्तेमाल किया, वह गलत है। आपके हिसाब से कानून चलेगा तो सिस्टम ध्वस्त हो जाएगा। किसी अपराधी को सजा नहीं हो पाएगी, ना ही कोई ट्रायल पूरा होगा। आप जो कह रहे हैं, उसका मतलब यह है कि अपराधी को सिर माथे पर बिठाना चाहिए और उसका सम्मान करना चाहिए।
कौन है शिव कुमार यादव
32 साल का शिव कुमार यादव यूपी के मैनपुरी का रहने वाला है। वह शादीशुदा है और दो बच्चे हैं। उस पर यूपी में भी एक रेप केस चल रहा है। जबकि दिल्ली के महरौली में रेप केस से वह बरी हो चुका है। यूपी में उसके खिलाफ गुंडा एक्ट और आर्म्स एक्ट के मामले भी चले हैं।
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