यह ख़बर 01 नवंबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

ट्विटर बना बेंगलुरु पुलिस की तीसरी आंख, करोड़ों की ठगी का पर्दाफाश

बेंगलुरु:

सोशल मीडिया बेवसाइट कई लोगों के लिए दूसरों से संपर्क बनाए रखना का साधन मात्र है, लेकिन इन दिनों अपराध की रोकथाम में बेंगलुरु पुलिस की यह तीसरी आंख बना हुआ है।

बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर एमएन रेड्डी ने अपने साथ-साथ सभी डीसीपी का अकाउंट ट्वीटर पर शरू किया। इसके जरिये कोई भी शख्स अपराध या किसी भी पुलिस अधिकारी के खिलाफ सूचना पुलिस कमिश्नर या दूसरे अधिकारियों को बेखौफ़ दे सकता है।

पुलिस को पिछले हफ़्ते किसी ने ट्वीट के जरिये नौकरी का झांसा देकर करोड़ों की ठगी करने वाली एक एजेंसी की जानकारी दी।

बेंगलुरु पुलिस के संयुक्त आयुक्त अपराध हेमंत निंबलकर के मुताबिक, इस सूचना के आधार पर जब क्राइम ब्रांच ने शहर के शिवाजी नगर के इस फ़र्ज़ी जॉब कंसल्टेंसी के दफ्तर पर छापा मारा, तो पाया की यह कंपनी जॉब पोर्टल्स से बेरोजगार युवक युवतियों की जानकारी इकट्ठा कर उनसे 5,000 से 9,000 रुपये वसूलता इस वादे के साथ की देश विदेश की बड़ी आईटी कंपनियों में उन्हे नोकरी दिलवाई जाएगी।

पुलिस को यहां एक छोटा टेलीफोन एक्सचेंज भी मिला जिसके जरिये फ़र्ज़ी इंटरव्यू किया जाता था। यहां से ज़ब्त दस्तावेजों के ज़रिये पता चला की पिछले 3 सालों में इस फ़र्ज़ी कंपनी ने 13,974 रजिस्ट्रेशन कर तकरीबन तीन करोड़ रुपये ऐंठे, जबकि जिन लोगों ने शोर मचाया उन्हें आधी रकम वापस भी की। वापस की गई कुल रकम 55 लाख रुपये के आसपास है।

इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि कंपनी का मालिक शब्बीर अहमद अब भी फरार है।

इसी तरह शनिवार को एक और ऐसी ही फ़र्ज़ी कंपनी आरटी नगर में पकड़ी गई, जहां 3 महिलाओं समेत 5 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जबकि इस कंपनी का मालिक जी सैयद फरार है।

इससे पहले बंगलुरु में एक और फ़र्ज़ी कंपनी पकड़ी गई थी, जो न सिर्फ आईटी की फ़र्ज़ी एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट बनाती थी, बल्कि आई कार्ड अटेंडेंस कार्ड के साथ साथ एक छोटा सा टेलीफोन एक्सचेंज भी चलाती थी, जिस पर इस कंपनी से जारी जाली सर्टिफिकेट की इन्क्वायरी आने पर जवाब दिया जाता था।

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ऐसे में अब रोज़गार की तलाश करते लोगों की सबसे बड़ी चुनौती रोज़गार तलाशने के साथ इस बात का पता करना है की कौन सी कंपनी सही है और कौन फर्जी।