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This Article is From Mar 10, 2015

लश्कर-ए-तैयबा का टॉप बॉम्ब एक्सपर्ट अब्दुल करीम टुंडा बरी

लश्कर-ए-तैयबा का टॉप बॉम्ब एक्सपर्ट अब्दुल करीम टुंडा बरी
अब्दुल करीम टुंडा की फाइल फोटो
नई दिल्ली:

दिल्ली की एक कोर्ट ने आज वर्ष 1994 में टाडा कानून के तहत लश्कर-ए-तैयबा के टॉप बॉम्ब एक्सपर्ट अब्दुल करीम टुंडा के खिलाफ दर्ज एक मामले में उसे आरोपमुक्त कर दिया। वर्ष 2008 के मुंबई आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से जिन 20 आतंकवादियों को उसे सौंपने के लिए कहा था, उसमें टुंडा भी शामिल था।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नीना बंसल कृष्ण ने 73 वर्षीय टुंडा को टाडा (आतंकवादी एवं बाधाकारी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम), विस्फोटक सामग्री अधिनियम, शस्त्र अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी- 'आपराधिक साजिश' के तहत कथित अपराधों से आरोपमुक्त किया।

हालांकि टुंडा को जेल में ही रहना होगा क्योंकि उसके खिलाफ अब भी कई मामले लंबित हैं। दिल्ली पुलिस के विशेष सेल ने इस मामले में टुंडा के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था। इस मामले के तहत 17 जनवरी 1994 को पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था और उसके पास से 150 किलो विस्फोटक तथा छह कटार कथित रूप से जब्त की गयी थीं।

निचली अदालत ने दिसंबर 1999 में अपने आदेश में पांच आरोपियों अब्दुल हक, आफताब, अब्दुल वाहिद, अफाक और अफरान अहमद को विस्फोटक सामग्री अधिनियम के प्रावधानों और भादंसं की धारा 120 (बी) के तहत दोषी ठहराया था।

पुलिस ने टुंडा के खिलाफ अपने पूरक आरोपपत्र में कहा था कि अदालत उसे भगोड़ा घोषित कर चुकी है और वह भारत में आतंकवाद के विभिन्न मामलों में शामिल था।

विशेष सेल ने टुंडा को 16 अगस्त 2013 को भारत-नेपाल सीमा से गिरफ्तार किया था। आरोपों पर दलीलों के दौरान, टुंडा की ओर से पेश अधिवक्ता एमएस खान ने दलील दी थी कि इस मामले में कोई सबूत नहीं हैं और इस मामले में गिरफ्तार अन्य आरोपियों के कबूलनामों को उनके मुवक्किल के खिलाफ आधार नहीं बनाया जा सकता।

खान ने यह भी कहा कि टुंडा को विस्फोटक सामग्री की कथित बरामदगी से जोड़ने के लिए कोई सामग्री नहीं है। लोक अभियोजक राजीव मोहन ने दलील दी थी कि विस्फोटक सामग्री अधिनियम के प्रावधानों से जुड़े मामले में दोषी ठहराए जा चुके अन्य सह आरोपी का बयान खुलासा करने वाला है।

दिल्ली पुलिस की विशेष सेल ने अदालत से यह भी कहा था कि टुंडा के खिलाफ परिस्थितिजन्य साक्ष्य हैं, क्योंकि दिल्ली में 40 किलोग्राम विस्फोटक उसके भाई के घर से बरामद हुआ था जहां वर्ष 1994 में वह भी रहता था।

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