पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के साथ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
नोटबंदी के मुद्दे पर विपक्षी दलों की एकता को बरकरार रखने की कांग्रेस पार्टी की कोशिशों को उस समय ज़ोरदार झटका लगा, जब संसद के बाहर बैठक करने तथा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा संबोधित की जाने वाली संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए भेजे गए न्योते पर वामदलों व नीतीश कुमार के जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने कथित रूप से शिरकत में असमर्थता जताई. इनके अलावा शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने भी इसके लिए अनिच्छा व्यक्त की है.
सोनिया गांधी ने सभी विपक्षी दलों को आमंत्रित किया था, और कांग्रेस को उम्मीद थी कि मंगलवार को नोटबंदी के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ हमले में ताकत दिखाई जा सकेगी. इससे पहले संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान भी कांग्रेस के नेतृत्व में कम से कम 14 दलों ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया था.
वाम नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि संसद के बाहर किसी मंच पर पार्टियों का एक साथ आ जाना संसद के भीतर किसी मुद्दे पर एक साथ आ जाने जैसा सरल नहीं होता. उन्होंने कहा, "सभी विपक्षी दलों को संयुक्त रूप से रणनीति बनाकर देशभर में एकजुट होना चाहिए... मैं किसी पर कोई आरोप नहीं मढ़ना चाहता, लेकिन जो मैं कहना चाहता हूं, वह यह है कि इस तरह का कोई भी एकजुट विपक्षी कदम पहले विचार-विमर्श किए जाने पर ही निर्भर करता है..."
जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने कहा कि उनकी पार्टी ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि इस कदम में भाग लेना है या नहीं, लेकिन उनके मुताबिक वे पहले यह जानना चाहेंगे कि एजेंडा क्या है. केसी त्यागी का कहना था कि कोई भी 'साझा न्यूनतम कार्यक्रम' तय नहीं किया गया, और वैसे भी सभी विपक्षी दलों का इस मुद्दे पर एक जैसा रुख नहीं है.
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस नोटबंदी के खिलाफ है, जेडीयू ने नोटबंदी और उसके पीछे की मंशा को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार का समर्थन किया है, लेकिन इसके फलस्वरूप पैदा हुए नकदी संकट से किसानों तथा छोटे व्यापारियों को होने वाली दिक्कतों को भी उठाया है.
सोनिया गांधी ने सभी विपक्षी दलों को आमंत्रित किया था, और कांग्रेस को उम्मीद थी कि मंगलवार को नोटबंदी के मुद्दे पर नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ हमले में ताकत दिखाई जा सकेगी. इससे पहले संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान भी कांग्रेस के नेतृत्व में कम से कम 14 दलों ने एकजुट होकर प्रदर्शन किया था.
वाम नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि संसद के बाहर किसी मंच पर पार्टियों का एक साथ आ जाना संसद के भीतर किसी मुद्दे पर एक साथ आ जाने जैसा सरल नहीं होता. उन्होंने कहा, "सभी विपक्षी दलों को संयुक्त रूप से रणनीति बनाकर देशभर में एकजुट होना चाहिए... मैं किसी पर कोई आरोप नहीं मढ़ना चाहता, लेकिन जो मैं कहना चाहता हूं, वह यह है कि इस तरह का कोई भी एकजुट विपक्षी कदम पहले विचार-विमर्श किए जाने पर ही निर्भर करता है..."
जेडीयू के नेता केसी त्यागी ने कहा कि उनकी पार्टी ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि इस कदम में भाग लेना है या नहीं, लेकिन उनके मुताबिक वे पहले यह जानना चाहेंगे कि एजेंडा क्या है. केसी त्यागी का कहना था कि कोई भी 'साझा न्यूनतम कार्यक्रम' तय नहीं किया गया, और वैसे भी सभी विपक्षी दलों का इस मुद्दे पर एक जैसा रुख नहीं है.
उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस नोटबंदी के खिलाफ है, जेडीयू ने नोटबंदी और उसके पीछे की मंशा को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार का समर्थन किया है, लेकिन इसके फलस्वरूप पैदा हुए नकदी संकट से किसानों तथा छोटे व्यापारियों को होने वाली दिक्कतों को भी उठाया है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
सोनिया गांधी, कांग्रेस, विपक्षी दल, विपक्षी एकता, नरेंद्र मोदी सरकार, नोटबंदी, विमुद्रीकरण, सीताराम येचुरी, ममता बनर्जी, जेडीयू, Sonia Gandhi, Narendra Modi Government, Demonetisation, Sitaram Yechury, Mamata Banerjee, Nitish Kumar