यूपी के 69 हज़ार शिक्षकों की भर्ती (Teachers Recruitment) के मामले पर हजारों लोगों की नजरें टिकी हुई हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) बुधवार को फैसला सुनाएगा. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था. उत्तर प्रदेश (UP) में शिक्षकों की भर्ती को लेकर बीते दो सालों से विवादों जारी है. अब तक इन भर्तियों को पूरा नहीं किया जा सका है. पहले यह मामला परीक्षा के कट ऑफ को लेकर कोर्ट में अटका हुआ था, जिसमें छात्रों के एक गुट का कहना था कि सरकार का परीक्षा के बाद कट ऑफ निर्धारित करना गलत है. इसके बाद सरकार ने पिछली बार की तुलना में ज्यादा कट ऑफ निर्धारित कर दी थी. इसी बात को लेकर पूरा विवाद शुरू हुआ और मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट तक पहुंच गया.
लंबे समय तक कोर्ट में यह मामला रहा और अंत में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 6 मार्च को यूपी सरकार के फैसले को सही मानते हुए भर्ती प्रक्रिया को तीन महीने के अंदर पूरा करने का आदेश भी दे दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद सीएम योगी ने पूरी भर्ती प्रक्रिया को एक हफ्ते के अंदर निपटाने के आदेश दिए थे. लेकिन कट ऑफ मार्क्स को लेकर शिक्षामित्रों ने विरोध किया, जिसके बाद उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी. इसके अलावा UP सरकार के 31, 661 पदों को भरने के आदेश को भी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में BTC छात्रों की वकील रितु रेनुवाल ने याचिका दायर कर 31,661 पदों की भर्ती के यूपी सरकार के नोटिफिकेशन पर रोक लगाने की मांग की थी. याचिका में कहा गया था कि 69 हज़ार शिक्षक भर्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ है. ऐसे में जब तक SC का फैसला नहीं आता है, 31661 पदों की भर्ती के यूपी सरकार के नोटिफिकेशन पर रोक लगाई जाए.
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 19 सितंबर को 31661 पदों को एक हफ्ते में भरने का निर्देश दिया था.
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