दही हांडी में नाबालिग हिस्‍सा नहीं लेंगे, लोगों का पिरामिड भी 20 फुट से ऊपर नहीं होगा: सुप्रीम कोर्ट

दही हांडी में नाबालिग हिस्‍सा नहीं लेंगे, लोगों का पिरामिड भी 20 फुट से ऊपर नहीं होगा: सुप्रीम कोर्ट

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर...

खास बातें

  • दही हांडी में लोगों के पिरामिड की ऊंचाई 20 फीट से ऊपर नहीं रखी जाएगी : SC
  • 18 साल से अध्‍ािक उम्र के लोग ही ले सकेंगे हिस्‍सा.
  • दही हांडी के खिलाफ याचिकाकर्ता स्वाती पाटिल को नोटिस जारी किया गया था.
नई दिल्‍ली:

महाराष्ट्र में दही हांडी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश देते कहा है कि इसमें 18 साल से कम उम्र के बच्‍चे भाग नहीं लेगे. साथ ही कोर्ट ने कहा है कि दही हांडी में लोगों के पिरामिड की ऊंचाई 20 फीट से ऊपर नहीं रखी जाएगी.

इसके साथ ही कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्‍पणी करते हुए कहा कि 'हमने भगवान श्री कृष्ण के मक्खन चुराने के बारे में तो सुना है, लेकिन करतब दिखाते नहीं सुना.'

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने दही हांडी के खिलाफ याचिकाकर्ता स्वाती पाटिल को नोटिस जारी किया था। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दही हांडी में साल 2011 में 156 लोग जख्मी हुए, जबकि 2015 में इनकी संख्या कई गुना बढ़ गई.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पुरानी याचिका का निस्तारण हो चुका है, याचिका को दोबारा शुरु किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र सरकार की दही हांडी के मामले में दाखिल अर्जी पर सुनवाई कर रहा है। राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 2014 के आदेशों में स्पष्टता देने की गुहार लगाई थी, जिसमें 12 साल तक के बच्चों को दही हांडी में हिस्सा लेने की इजाजत दी गई थी और साथ ही हाईकोर्ट के 20 फुट की ऊंचाई सीमित करने के आदेश पर रोक लगा दी थी। सरकार का कहना है कि क्या ये आदेश एक साल के लिए थे या अभी भी लागू हैं?

महाराष्ट्र सरकार की ओर से ASG तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 11 अगस्त 2014 को बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 18 साल से कम के युवक दही हांडी में हिस्सा नहीं ले सकते और इसकी ऊंचाई भी 20 फुट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। आयोजकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी और सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए 12 साल तक के बच्चों को हिस्सा लेने की इजाजत दे दी थी और ऊंचाई के आदेश पर भी रोक लगा दी थी। लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका का निस्तारण कर दिया। ASG के मुताबिक, अब हाईकोर्ट इस मामले में अदालत की अवमानना का मामला मानते हुए सुनवाई कर रहा है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश के बारे में स्पष्ट करे कि आखिर ये छूट सिर्फ उसी साल के लिए थी या आगे भी लागू रहेगी.


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