म्यांमार सीमा पर भारतीय सेना के ऑपरेशन की तस्वीर।
नई दिल्ली:
म्यांमार सीमा पर भारतीय सेना द्वारा उग्रवादियों के खिलाफ की गई कार्रवाई कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी भारतीय सेना उग्रवाद को जड़ से उखाड़ने के इरादे से म्यांमार आर्मी के साथ मिलकर ऐसे 'ऑपरेशंस' को अंजाम दे चुकी है। इन कार्रवाईयों में कुछ इसी तरह कई उग्रवादियों और उनके कैंपों का खात्मा दोनों राष्ट्र की सेनाएं पहले कर चुकी हैं। आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसे ही संयुक्त सैन्य अभियान, जिन्होंने उग्रवाद की चूलें हिला दी थीं।
दरअसल, भारत और म्यांमार ने अप्रैल-मई 1995 में सीमा क्षेत्र में शांति बनाए रखने के उद्देश्य से एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) साइन किया। इसके तहत एक संयुक्त मिलिट्री ऑपरेशन शुरू किया गया, जिसे नाम दिया गया 'ऑपरेशन गोल्डन बर्ड'। इस ऑपरेशन के अंतर्गत इंडियन आर्मी की 57 माउंटेन इकाई ने म्यांमार-मिजोरम बॉर्डर से मणिपुर की तरफ आ रहे मिलिटेंट ग्रुप द नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन), यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) और कामतापुर लिब्रेशन आर्गेनाईजेशन (केएलओ) के करीब 200 उग्रवादियों को सफलतापूर्वक रोक दिया था। ये उग्रवादी कॉक्स बाजार के निकट बांग्लादेश तट से हथियारों की एक बड़ी खेप लेकर आ रहे थे। इस दौरान कार्रवाई में 38 उग्रवादी मारे गए और 100 से अधिक हथियार एवं बड़ी मात्रा में गोला-बारूद पकड़े गए थे।
जनवरी 2006 में भी भारत और म्यांमार की सेना ने म्यांमार में एक संयुक्त ऑपरेशन को अंजाम देते हुए एनएससीएन (खपलांग) ग्रुप का वहां से सफाया कर दिया। इस दौरान भारत ने म्यांमार की सेना को हथियार भी मुहैया कराए।
वहीं, दक्षिण भूटान में स्थित पूर्वी-उत्तर उग्रवादी गुटों को खत्म करने के लिए दिसंबर 2003 में एक सीमा पार ऑपरेशन चलाया गया। इसे 'ऑपरेशन ऑल क्लीन' नाम दिया गया। इसके तहत करीब 30 उग्रवादी कैंपों - जिनमें 13 उल्फा, 12 एनडीएफबी और 5 केएलओ शामिल थे, का सफाया किया गया। उसके बाद तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल एन सी विज ने घोषणा की थी कि इन ऑपरेशनों में करीब 650 आतंकवादियों को 'निष्प्रभावी' कर दिया गया, जिनमें ज्यादातर या तो मारे गए या पकड़े गए।
दरअसल, भारत और म्यांमार ने अप्रैल-मई 1995 में सीमा क्षेत्र में शांति बनाए रखने के उद्देश्य से एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) साइन किया। इसके तहत एक संयुक्त मिलिट्री ऑपरेशन शुरू किया गया, जिसे नाम दिया गया 'ऑपरेशन गोल्डन बर्ड'। इस ऑपरेशन के अंतर्गत इंडियन आर्मी की 57 माउंटेन इकाई ने म्यांमार-मिजोरम बॉर्डर से मणिपुर की तरफ आ रहे मिलिटेंट ग्रुप द नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन), यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) और कामतापुर लिब्रेशन आर्गेनाईजेशन (केएलओ) के करीब 200 उग्रवादियों को सफलतापूर्वक रोक दिया था। ये उग्रवादी कॉक्स बाजार के निकट बांग्लादेश तट से हथियारों की एक बड़ी खेप लेकर आ रहे थे। इस दौरान कार्रवाई में 38 उग्रवादी मारे गए और 100 से अधिक हथियार एवं बड़ी मात्रा में गोला-बारूद पकड़े गए थे।
जनवरी 2006 में भी भारत और म्यांमार की सेना ने म्यांमार में एक संयुक्त ऑपरेशन को अंजाम देते हुए एनएससीएन (खपलांग) ग्रुप का वहां से सफाया कर दिया। इस दौरान भारत ने म्यांमार की सेना को हथियार भी मुहैया कराए।
वहीं, दक्षिण भूटान में स्थित पूर्वी-उत्तर उग्रवादी गुटों को खत्म करने के लिए दिसंबर 2003 में एक सीमा पार ऑपरेशन चलाया गया। इसे 'ऑपरेशन ऑल क्लीन' नाम दिया गया। इसके तहत करीब 30 उग्रवादी कैंपों - जिनमें 13 उल्फा, 12 एनडीएफबी और 5 केएलओ शामिल थे, का सफाया किया गया। उसके बाद तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल एन सी विज ने घोषणा की थी कि इन ऑपरेशनों में करीब 650 आतंकवादियों को 'निष्प्रभावी' कर दिया गया, जिनमें ज्यादातर या तो मारे गए या पकड़े गए।
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