कोरोना से हुई मौतों पर मुआवजे के मामले में एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार पर सवाल उठाए हैं. बुधवार को हुई सुनवाई में अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि अब तक सिर्फ 1,658 को लोगों को ही मुआवजा क्यों दिया गया है. साथ ही कोर्ट ने सभी राज्यों से कहा कि वो इसके लिए व्यापक प्रचार करें. विज्ञापनों का प्रारूप क्या हो ये सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को बताएगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को 9 दिसंबर तक 85,279 आवेदन मिले और केवल 1,658 लोगों को ही मुआवजा दिया गया. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि केवल 1,658 को ही मुआवजा दिया गया है. कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को आदेश दिया कि राज्य सरकार उन सभी योग्य लोगों को मुआवजा दे जिनके आवेदन जमा हो चुके हैं. महाराष्ट्र सरकार के वकील ने बताया कि राज्य में 1.4 लाख मौतें दर्ज की गईं और पिछले सोमवार तक 85,279 आवेदन प्राप्त हुए. जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि लेकिन अब तक सिर्फ 1,000 लोगों को ही मुआवजा क्यों दिया गया है.
उत्तर प्रदेश के वकील ने अदालत को सूचित किया कि 25,933 आवेदन प्राप्त हुए और 22,060 को पहले ही मुआवजे का भुगतान कर चुके हैं. यूपी में 22,911 मौतें दर्ज की गईं.
जस्टिस एमआर शाह ने पूछा कि प्रचार के लिए क्या पहल की गई? यूपी सरकार के वकील ने कहा कि हमने तहसीलदारों के नंबर दिए हैं. इस पर जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि अभी तहसीलदार को फोन करते हैं और देखते हैं कि क्या प्रतिक्रिया होती है? उन्होंने कहा कि आप दूसरे राज्यों की तरह विज्ञापन क्यों नहीं दे सकते? स्थानीय समाचार पत्रों में पूरे पते के साथ विज्ञापन दें. शिकायत निवारण पोर्टल पर कोई विज्ञापन क्यों नहीं है? आप देखेंगे कि आपको 3 दिनों में 50,000 आवेदन प्राप्त हो जाएंगे.
ASG ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को बताया कि आंध्र प्रदेश में 14,233 मौतें हुईं जबकि प्राप्त आवेदन 33,847 हैं. एपी सरकार को जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि योजना के बारे में व्यापक प्रचार करें.
अदालत ने केंद्र से कहा कि सभी राज्यों को और केंद्र के वकील को टेबल देने की जरूरत है. आप हमें संयुक्त चार्ट दें. हमें इस बात की चिंता है कि योजना का व्यापक प्रचार किया गया या नहीं.
गुजरात सरकार के वकील ने अदालत को बताया, कि मंगलवार को उनकी तरफ से 97 अखबारों में विज्ञापन दिए गए. अब तक कुल 40,467 आवेदन प्राप्त हुए जबकि 23,348 का भुगतान किया गया. गुजरात सरकार के वकील ने बताया कि रेडियो स्टेशनों पर भी विज्ञापन दिए गए. जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि राजस्थान, महाराष्ट्र ध्यान दें कि विज्ञापन बड़े और बोल्ड होने चाहिए.
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