नई दिल्ली:
सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत सांसद अपने क्षेत्र के एक गांव को गोद लेकर उसे विकसित कर आदर्श ग्राम में तब्दील करते हैं। राज्यसभा सांसद अहमद पटेल इस योजना के तहत सीमित फंड मिलने से असंतुष्ट हैं। एनडीटीवी के संवाददाता हिमांशु शेखर ने अहमद पटेल का साक्षात्कार किया तो उन्होंने योजना का क्रियान्वयन में आने वाली दिक्कतों का उल्लेख किया।
अहमद पटेल ने कहा कि पिछली बार जिस गांव को गोद लिया था उसके वाशिंदों से किए गए वादे पूरे नहीं कर सका तो नया गांव गोद क्यों लिया जाए? उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भी लिखी है। अहमद पटेल से हिमांशु शेखर की बातचीत के प्रमुख अंश -
लोग 27 योजनाओं के फायदे से वंचित, केंद्र हस्तक्षेप करे
सवाल : आपने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है। सांसद आदर्श ग्राम योजना को लेकर क्या मुद्दा उठाया है? क्या चिंताएं आपने प्रधानमंत्री के सामने रखी हैं?
अहमद पटेल : मैंने पिछले डेढ़ साल में एक पिछड़े गांव में लोगों से बात करके काम शुरू कराया। वहां कई तरह की समस्याएं हैं। केन्द्र और राज्य सरकार की तरफ से जो सहयोग मिलना चाहिए था वह मुझे नहीं मिला। इसलिए जब ग्रामीण विकास मंत्री ने मुझे चिट्ठी लिखी कि सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत आदर्श ग्राम की तर्ज पर विकसित करने के लिए मेरा दूसरा पसंदीदा गांव कौन होगा, तो मैंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी में लिखित तौर पर अपना जवाब भेजा। एक तो इस योजना के लिए अलग से फंडिंग का प्रावधान नहीं है। दूसरी बात यह है कि केन्द्र और राज्य की 27 योजनाएं हैं लेकिन मेरा जो अनुभव रहा है उसके मुताबिक लोग इनके फायदे से वंचित हैं। सेन्टर को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। मैंने जिस गांव को चुना है वहां कम्युनिकेशन टॉवर लगाने की जरूरत है ताकि लोग एक दूसरे से बात कर सकें। फिलहाल वहां पहुंचकर न डीएम बात कर सकता है न हम कर सकते हैं। मैंने पीएम को लिखा है कि मेरे लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत दूसरा गांव एडॉप्ट (गोद लेना) करना मुश्किल होगा क्योंकि जो वायदा मैंने पहले गांव के लोगों से किया है अगर वह मैं पूरा नहीं कर सका, तो मेरे लिए दूसरा गांव एडॉप्ट करना मुश्किल होगा।
पूरे राज्य में व्यय करना होता है राज्यसभा सांसद को
सवाल : सांसद आदर्श ग्राम योजना की फंडिंग को लेकर भी सवाल हैं। आपको लगता है कि अगर इस योजना के लिए अलग से विशेष फंडिंग का प्रावधान किया जाता है तो इसे प्रभावी तरीके से लागू करना संभव हो सकेगा?
अहमद पटेल : जी हां...बिल्कुल। MPLADS के तहत कितना फंड मिलता है हमें, राज्य सभा के सांसद को तो पूरे राज्य के लिए पैसा देना पड़ता है। जो लिमिटेड फंडिंग मिलती है MPLADS के लिए उससे बड़े प्रोजेक्टों जैसे 15-18 किलोमीटर सड़क बनाने में ही पूरा पैसा खत्म हो जाएगा। सिंचाई जैसी योजनाओं के लिए ज्यादा फंड की जरूरत पड़ेगी। इस योजना के तहत न कोई अलग से फंड है और न ही केन्द्र आ राज्य सरकार की तरफ से कोई सहयोग मिल रहा है।
अहमद पटेल ने कहा कि पिछली बार जिस गांव को गोद लिया था उसके वाशिंदों से किए गए वादे पूरे नहीं कर सका तो नया गांव गोद क्यों लिया जाए? उन्होंने इस बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भी लिखी है। अहमद पटेल से हिमांशु शेखर की बातचीत के प्रमुख अंश -
लोग 27 योजनाओं के फायदे से वंचित, केंद्र हस्तक्षेप करे
सवाल : आपने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी है। सांसद आदर्श ग्राम योजना को लेकर क्या मुद्दा उठाया है? क्या चिंताएं आपने प्रधानमंत्री के सामने रखी हैं?
अहमद पटेल : मैंने पिछले डेढ़ साल में एक पिछड़े गांव में लोगों से बात करके काम शुरू कराया। वहां कई तरह की समस्याएं हैं। केन्द्र और राज्य सरकार की तरफ से जो सहयोग मिलना चाहिए था वह मुझे नहीं मिला। इसलिए जब ग्रामीण विकास मंत्री ने मुझे चिट्ठी लिखी कि सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत आदर्श ग्राम की तर्ज पर विकसित करने के लिए मेरा दूसरा पसंदीदा गांव कौन होगा, तो मैंने प्रधानमंत्री को चिट्ठी में लिखित तौर पर अपना जवाब भेजा। एक तो इस योजना के लिए अलग से फंडिंग का प्रावधान नहीं है। दूसरी बात यह है कि केन्द्र और राज्य की 27 योजनाएं हैं लेकिन मेरा जो अनुभव रहा है उसके मुताबिक लोग इनके फायदे से वंचित हैं। सेन्टर को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। मैंने जिस गांव को चुना है वहां कम्युनिकेशन टॉवर लगाने की जरूरत है ताकि लोग एक दूसरे से बात कर सकें। फिलहाल वहां पहुंचकर न डीएम बात कर सकता है न हम कर सकते हैं। मैंने पीएम को लिखा है कि मेरे लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना के तहत दूसरा गांव एडॉप्ट (गोद लेना) करना मुश्किल होगा क्योंकि जो वायदा मैंने पहले गांव के लोगों से किया है अगर वह मैं पूरा नहीं कर सका, तो मेरे लिए दूसरा गांव एडॉप्ट करना मुश्किल होगा।
पूरे राज्य में व्यय करना होता है राज्यसभा सांसद को
सवाल : सांसद आदर्श ग्राम योजना की फंडिंग को लेकर भी सवाल हैं। आपको लगता है कि अगर इस योजना के लिए अलग से विशेष फंडिंग का प्रावधान किया जाता है तो इसे प्रभावी तरीके से लागू करना संभव हो सकेगा?
अहमद पटेल : जी हां...बिल्कुल। MPLADS के तहत कितना फंड मिलता है हमें, राज्य सभा के सांसद को तो पूरे राज्य के लिए पैसा देना पड़ता है। जो लिमिटेड फंडिंग मिलती है MPLADS के लिए उससे बड़े प्रोजेक्टों जैसे 15-18 किलोमीटर सड़क बनाने में ही पूरा पैसा खत्म हो जाएगा। सिंचाई जैसी योजनाओं के लिए ज्यादा फंड की जरूरत पड़ेगी। इस योजना के तहत न कोई अलग से फंड है और न ही केन्द्र आ राज्य सरकार की तरफ से कोई सहयोग मिल रहा है।
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