पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन
नई दिल्ली:
सीवान में मारे गए पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन ने शक जताया है कि शहाबुद्दीन उन पर भी हमला करा सकते हैं और उनको नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं. आशा रंजन और उनका परिवार राजदेव रंजन की हत्या के पीछे शहाबुद्दीन का हाथ होने का शक जताता रहा है. कई संगीन मामलों में पिछले 11 सालों से जेल में बंद शहाबुद्दीन की रिहाई के बाद आशा रंजन की यह आशंका और बढ़ गई है कि उनकी आवाज को बंद करने की कोशिश हो सकती है.
आशा रंजन ने एक निजी चैनल पर दिए शहाबुद्दीन के उस बयान को भी आड़े हाथों लिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि सीबीआई ने मामला देखने के बाद इसे अपने हाथ में लेने लायक नहीं समझा और वापस कर दिया. आशा देवी का सवाल है कि जो बात केन्द्र सरकार और उसका मंत्रालय नहीं बता पा रहा आखिर उसकी जानकारी जेल में बंद रहने के दौरान शहाबुद्दीन को कैसे हो गई. अगर इस मामले में उनका कोई लेना-देना नहीं है तो फिर इस मामले में जानकारी एकत्रित करने की उनको जरूरत क्या है?
आशा रंजन के आरोपों पर शहाबुद्दीन की सफाई है कि इस मामले से उनका कोई लेना देना नहीं है. एनडीटीवी से बातचीत में शहाबुद्दीन ने कहा कि न तो वे इस मामले में नामजद हैं और न ही उनके खिलाफ कोई चार्जशीट हुई है. उल्टा वे आशा रंजन पर बीजेपी की मदद से राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं. जबकि आशा रंजन का साफ कहना है कि न्याय की खातिर लड़ाई में जो भी मदद को आगे आएगा वे उसकी मदद लेंगी.
आशा रंजन का कहना है कि शहाबुद्दीन की रिहाई के बाद उनकी चुनौती बढ़ गई है, लेकिन वे पीछे नहीं हटेंगी. आशा रंजन मामले की सीबीआई जांच के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. इस मांग को लेकर वे गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिल चुकी हैं. लेकिन फिलहाल उनके हाथ मायूसी ही हाथ लगी है. आशा रंजन के मुताबिक गृह मंत्री ने उन्हें कोई ठोस भरोसा नहीं दिया. कहा कि सीबीआई जांच होगी लेकिन इसमें वक्त लगेगा. बकौल आशा रंजन इसके पीछे कारण यह बताया गया कि सीबीआई के पास बहुत काम है और उसकी व्यस्तता अधिक है.
राजदेव की हत्या इसी साल 13 मई को हुई थी. तीन दिन बाद राज्य सरकार ने इसकी सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी थी. लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी इसे सीबीआई को नहीं सौंपा है. आशा रंजन पिछले कई दिनों से दिल्ली में रहकर सरकार से गुहार लगा रही हैं. गृहमंत्री से मुलाकात के बाद भी उनको पता नहीं चल पाया है कि मामला कहां अटका है. अब उनकी कोशिश प्रधानमंत्री से भी मुलाकात करने की है.
आशा रंजन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी नाराज हैं. उनका कहना है कि सिर्फ अनुशंसा कर देने से बिहार सरकार की जिम्मेदारी खत्म नहीं होती. उसे चाहिए था कि केन्द्र पर दबाव डालती कि मामला जल्द सीबीआई को सौंपा जाए. फैसला जल्द नहीं हुआ तो आशा रंजन इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाकर लड़ेंगी.
आशा रंजन ने एक निजी चैनल पर दिए शहाबुद्दीन के उस बयान को भी आड़े हाथों लिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि सीबीआई ने मामला देखने के बाद इसे अपने हाथ में लेने लायक नहीं समझा और वापस कर दिया. आशा देवी का सवाल है कि जो बात केन्द्र सरकार और उसका मंत्रालय नहीं बता पा रहा आखिर उसकी जानकारी जेल में बंद रहने के दौरान शहाबुद्दीन को कैसे हो गई. अगर इस मामले में उनका कोई लेना-देना नहीं है तो फिर इस मामले में जानकारी एकत्रित करने की उनको जरूरत क्या है?
आशा रंजन के आरोपों पर शहाबुद्दीन की सफाई है कि इस मामले से उनका कोई लेना देना नहीं है. एनडीटीवी से बातचीत में शहाबुद्दीन ने कहा कि न तो वे इस मामले में नामजद हैं और न ही उनके खिलाफ कोई चार्जशीट हुई है. उल्टा वे आशा रंजन पर बीजेपी की मदद से राजनीति करने का आरोप लगा रहे हैं. जबकि आशा रंजन का साफ कहना है कि न्याय की खातिर लड़ाई में जो भी मदद को आगे आएगा वे उसकी मदद लेंगी.
आशा रंजन का कहना है कि शहाबुद्दीन की रिहाई के बाद उनकी चुनौती बढ़ गई है, लेकिन वे पीछे नहीं हटेंगी. आशा रंजन मामले की सीबीआई जांच के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं. इस मांग को लेकर वे गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिल चुकी हैं. लेकिन फिलहाल उनके हाथ मायूसी ही हाथ लगी है. आशा रंजन के मुताबिक गृह मंत्री ने उन्हें कोई ठोस भरोसा नहीं दिया. कहा कि सीबीआई जांच होगी लेकिन इसमें वक्त लगेगा. बकौल आशा रंजन इसके पीछे कारण यह बताया गया कि सीबीआई के पास बहुत काम है और उसकी व्यस्तता अधिक है.
राजदेव की हत्या इसी साल 13 मई को हुई थी. तीन दिन बाद राज्य सरकार ने इसकी सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी थी. लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी इसे सीबीआई को नहीं सौंपा है. आशा रंजन पिछले कई दिनों से दिल्ली में रहकर सरकार से गुहार लगा रही हैं. गृहमंत्री से मुलाकात के बाद भी उनको पता नहीं चल पाया है कि मामला कहां अटका है. अब उनकी कोशिश प्रधानमंत्री से भी मुलाकात करने की है.
आशा रंजन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी नाराज हैं. उनका कहना है कि सिर्फ अनुशंसा कर देने से बिहार सरकार की जिम्मेदारी खत्म नहीं होती. उसे चाहिए था कि केन्द्र पर दबाव डालती कि मामला जल्द सीबीआई को सौंपा जाए. फैसला जल्द नहीं हुआ तो आशा रंजन इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाकर लड़ेंगी.
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