सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर जनहित के मामले में सरकार तरीके से काम करे तो हमें दखल देने की जरूरत नहीं होगी. यह बात सच है कि देश में किसानों को लोन में राहत नहीं मिलती. हमें ऐसा लगता है हमने जो आदेश दिया उस आदेश की कॉपी जनरल मैनेजर के पास गई. उसके बाद सहायक मैनेजर को, ऐसे ही चलता रहता है.
दरअसल स्वराज अभियान की याचिका पर मामले की सुनवाई के दौरान योगेंद्र यादव की तरफ से दलील दी गई कि उन्होंने सूखा प्रभावित 100 गांवों से ज्यादा का दौरा किया है लेकिन कहीं भी राहत सामग्री नहीं पहुचाई गई है.
सरकार ने योगेंद्र यादव का बयान गलत बताया
इस पर केंद्र सरकार की तरफ से प्रतिक्रिया दी गई और कहा गया यह बयान बिलकुल गलत है. हम अपनी तरफ से काम कर रहे हैं. केंद्र सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि अगर याचिकाकर्ता प्रभावित लोगों की सूची हमें देते हैं तो उनको आश्वस्त करते हैं कि उनको राज्य सरकार से मदद मुहैया कराएंगे.
आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए बने फंड
मामले की सुनवाई के दौरान नेशनल डिज़ास्टर मिटिगेशन फंड न बनाने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि हमारे आदेश के बाद भी फंड क्यों नहीं बना? हमने फण्ड बनाने के लिए इसलिए कहा था ताकि खतरे को कम किया जा सके अगर भूकंप आता है तो समझा जा सकता है कि लेकिन बाढ़ और सूखे को रोकने के लिए तो पहले से कदम उठाया जा सकता है. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि नेशनल डिज़ास्टर रिस्पांस फंड की जरूरत तो आपदा के बाद पड़ती है, इसलिए हम चाहते थे नेशनल डिज़ास्टर मिटिगेशन फंड बने ताकि आपदा के प्रभाव को कम किया जा सके.
सुनवाई अब 11 अगस्त को
हालांकि केंद्र के आग्रह पर कोर्ट ने इन आदेश को अगली सुनवाई तक निष्प्रभावी कर दिया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि अगली सुनवाई तक सूखा प्रभावित राज्यो में मनरेगा, फूड सिक्योरिटी और फसलों को नुकसान को लेकर जानकारी दे. पूरे मामले की सुनवाई अब 11 अगस्त को होगी. सुप्रीम कोर्ट स्वराज अभियान की याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
दरअसल स्वराज अभियान की याचिका पर मामले की सुनवाई के दौरान योगेंद्र यादव की तरफ से दलील दी गई कि उन्होंने सूखा प्रभावित 100 गांवों से ज्यादा का दौरा किया है लेकिन कहीं भी राहत सामग्री नहीं पहुचाई गई है.
सरकार ने योगेंद्र यादव का बयान गलत बताया
इस पर केंद्र सरकार की तरफ से प्रतिक्रिया दी गई और कहा गया यह बयान बिलकुल गलत है. हम अपनी तरफ से काम कर रहे हैं. केंद्र सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि अगर याचिकाकर्ता प्रभावित लोगों की सूची हमें देते हैं तो उनको आश्वस्त करते हैं कि उनको राज्य सरकार से मदद मुहैया कराएंगे.
आपदा के प्रभाव को कम करने के लिए बने फंड
मामले की सुनवाई के दौरान नेशनल डिज़ास्टर मिटिगेशन फंड न बनाने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि हमारे आदेश के बाद भी फंड क्यों नहीं बना? हमने फण्ड बनाने के लिए इसलिए कहा था ताकि खतरे को कम किया जा सके अगर भूकंप आता है तो समझा जा सकता है कि लेकिन बाढ़ और सूखे को रोकने के लिए तो पहले से कदम उठाया जा सकता है. कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि नेशनल डिज़ास्टर रिस्पांस फंड की जरूरत तो आपदा के बाद पड़ती है, इसलिए हम चाहते थे नेशनल डिज़ास्टर मिटिगेशन फंड बने ताकि आपदा के प्रभाव को कम किया जा सके.
सुनवाई अब 11 अगस्त को
हालांकि केंद्र के आग्रह पर कोर्ट ने इन आदेश को अगली सुनवाई तक निष्प्रभावी कर दिया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि अगली सुनवाई तक सूखा प्रभावित राज्यो में मनरेगा, फूड सिक्योरिटी और फसलों को नुकसान को लेकर जानकारी दे. पूरे मामले की सुनवाई अब 11 अगस्त को होगी. सुप्रीम कोर्ट स्वराज अभियान की याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
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