यह ख़बर 07 अप्रैल, 2013 को प्रकाशित हुई थी

ठाणे हादसे में गिरफ्तार नौ लोग 14 दिन की पुलिस हिरासत में

खास बातें

  • महाराष्ट्र के ठाणे में अब तक के सबसे भीषण भवन हादसे के सिलसिले में गिरफ्तार सभी नौ लोगों को स्थानीय अदालत ने 14 दिनों की पुलिस हिरासत में सौंप दिया। सात मंजिली इमारत ढहने से 74 लोग मारे गए हैं और घायल 37 लोगों का अभी भी विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा ह
ठाणे:

महाराष्ट्र के ठाणे में अब तक के सबसे भीषण भवन हादसे के सिलसिले में गिरफ्तार सभी नौ लोगों को स्थानीय अदालत ने 14 दिनों की पुलिस हिरासत में सौंप दिया। सात मंजिली इमारत ढहने से 74 लोग मारे गए हैं और घायल 37 लोगों का अभी भी विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है।

ठाणे पुलिस आयुक्त केपी रघुवंशी ने कहा कि इस भीषण हादसे की जांच भ्रष्टाचार निरोधी ब्यूरो भी कर रहा है, क्योंकि इसमें सरकारी कर्मचारी भी संलिप्त हैं।

गिरफ्तार किए गए नौ लोगों में ठाणे महापालिका के निलंबित उप महापालिका आयुक्त दीपक चव्हाण, सहायक महापालिका आयुक्त (एएमसी) बाबासाहेब अंधाले, महापालिका निगम के लिपिक किरण मडके, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के कारपोरेटर हीरा पाटील, पुलिसकर्मी सैयद, चव्हाण के 'संग्राहक' इस्टेट एजेंट जब्बार पटेल के अलावा एक पूर्व एएमसी थेर्बोले भी शामिल हैं जिन्हें रविवार दोपहर को गिरफ्तार किया गया।

दो बिल्डरों जमील कुरैशी और सलीम शेख को पुलिस क्रमश: उत्तर प्रदेश और ठाणे से शनिवार को ही गिरफ्तार कर चुकी है।

राकांपा के प्रदेश अध्यक्ष मधुकरराव पिचाड ने रविवार को पार्टी के कारपोरेटर हीरा पाटील को निलंबित किए जाने की घोषणा की।

सभी गिरफ्तार लोगों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का आरोप लगाया गया है।

रघुवंशी ने कहा कि प्राथमिक जांच में खुलासा हुआ है कि भवन में घटिया निर्माण सामग्री का इस्तेमाल किया गया था। उन्होंने कहा, "जैसे ही भवन के माले तैयार हो गए, उन्होंने उसे खरीदारों के हवाले कर दिया। एक बार जब लोगों ने भवन पर कब्जा कर लिया तब संबंधित अधिकारियों के लिए लोगों को वहां से हटाना और गैरकानूनी निर्माण के लिए कार्रवाई करना मुश्किल हो गया।"

इस बीच कल्याण, ठाणे, काल्वे और मुंबई के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती घायलों का इलाज चल रहा है।

ठाणे पुलिस के मुताबिक सिर और छाती में जिन 12 लोगों को गंभीर चोटें आई हैं उनकी हालत अभी भी चिंताजनक बनी हुई है।

उधर, इमारत के मलबे से चमत्कारिक रूप से जिंदा निकली चार वर्षीय बच्ची ने रविवार को अंतत: आंखें खोलीं।

आंखों में धूल भरे होने और सूज जाने के कारण संध्या ठाकुर नाम की यह बच्ची अपनी आंखें नहीं खोल पा रही थी। निकाले जाने से पहले वह कई घंटों तक मलबे में दबी रही।

इस हादसे में उसकी मां किरण की भी मौत हो गई है, जबकि उसके पिता और अन्य भाई बहनों का अता-पता नहीं चल पा रहा है। डॉक्टरों ने कहा कि बच्ची की देखने की शक्ति पर कोई असर नहीं पड़ा।

संध्या के संबंधियों की तलाश की कोशिशों के क्रम में पड़ोस में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर जोसलिन ने संध्या को अपनी देखरेख में ले लिया।

रविवार सुबह कल्याण पुलिस ने जोसलिन को दायित्वों से मुक्त करते हुए संध्या को अपनी देखरेख में ले लिया, लेकिन मासूम बच्ची वापस जाने के लिए रो रही थी।

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लगभग 50 वर्षीय जोसलिन ठाणे में दिहाड़ी मजदूर है। जब उसने संध्या के बारे में सुना तब वह कालवे अस्पताल गया जहां वह भर्ती थी। पिछले चार दिनों से वह बच्ची की तीमारदारी में जुटा था।