आतंकियों से मुकाबला करते पंजाब पुलिस के जवान
नई दिल्ली:
पंजाब के गुरदासपुर में करीब 11 घंटों तक हर पुलिसवाले से लेकर सुरक्षा बलों के तमाम जवान इसी कोशिश में लगे रहे कि जिन आतंकियों ने पुलिस थाने पर हमला कर वहां अपने छिपने की जगह बना ली, उन्हें कैसे खत्म किया जाए। इस हमले में पंजाब पुलिस के जवानों से जुड़ी कुछ खामियां भी सामने आईं।
गुरदासपुर के इस आतंकी हमले में जो मारे गए उनमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बलजीत सिंह थे। बलजीत स्थानीय पुलिस बल की डिटेक्टिव ब्रांच में तैनात थे।
जिस प्रकार की बंदूकों के चलने की आवाजें सुनाई दे रही थीं, इससे साफ जाहिर हो रहा था कि आतंकी पूरी तैयारी के साथ आए हैं और आधुनिक हथियारों के साथ लैस हैं। शाम को करीब 5.30 बजे जैसे ही ऑपरेशन को पूरा घोषित किया गया वैसे ही दीनानगर पुलिस स्टेशन के जवानों ने वंदे मातरम के नारे लगाए। तब तक सभी हमलावर आतंकी मार गिराए जा चुके थे।
इस समय तक यह रिपोर्ट किया गया था कि आतंकियों ने सवारी से भरी एक बस पर अंधाधुंध फायरिंग की फिर एक मारुति 800 कार को लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचे और कहा गया कि हमले में आठ लोगों की मौत हो चुकी है।
जैसे ही ऑपरेशन पूरा हुआ, मामले से जुड़ी कुछ बातें गौर करने योग्य दिखाई दीं। जैसे कि हमलावर आतंकियों के हाथ में जहां एके 47 राइफलें थी वहीं पंजाब पुलिस के जवानों के हाथ में पुरानी हो चुकीं एसएलआर राइफल्स।
दूसरी ओर यह भी देखा गया कि पुलिस वालों के पास कोई भी बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं था। यह पुलिस फोर्स पंजाब पुलिस की स्वैट टीम थी। आश्चर्य की बात यह थी उनके पास घुटने के पैड थे लेकिन कोई हेलमेट नहीं था। हमले के फुटेज देखने से यह भी आभास हुआ कि पुलिस वालों के पास इस प्रकार के हमले के दौरान 'कैसे निपटा जाए', इसकी उचित ट्रेनिंग नहीं थी। यह देखा गया कि ग्रेनेड कैसे फेंका जाना है, पुलिस वालों को जानकारी नहीं थी। हास्यास्पद है, मगर यह एक कड़वी सच्चाई देखी गई कि ग्रेनेड हमले के बाद पुलिस वाले पीछे भागे और अपने को बचाने के लिए कवर ढूंढ रहे थे। यह भी देखा गया कि एक भारी पुलिसवाले ने मौके से भागने की कोशिश की और उसकी राइफल पीछे लटक रही थी।
लोगों की सुरक्षा का क्या हाल रहा इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तमाशबीन घटनास्थल के काफी करीब पहुंच गए थे और ऐसा लगा जैसे कोई तमाशा देख रहे हों।
सुबह यह देखा गया कि भारतीय सेना के स्पेशल फोर्सेस के जवान, जो काफी ट्रेंड थे, बेहतर हथियारों से लैस थे, मौके पर पहुंच गए थे, लेकिन कहा जा रहा है कि पंजाब पुलिस ने साफ कर दिया था कि वह इस कार्रवाई की अगुवाई करेगी। आश्चर्य की बात यह थी कि स्पेशल फोर्सेस के जवानों को इलाके को कॉर्डन करने के काम में लगा दिया गया और पुलिस कार्रवाई में लगी रही। आमतौर पर होता यह है कि सेना ऐसी कार्रवाई को अंजाम देती है और पुलिस के जवान इलाके की घेराबंदी करते हैं।
यह हकीकत है कि सभी आतंकवादियों को मार गिराया गया और ऑपरेशन कामयाब रहा, लेकिन एक बार फिर यह सामने था कि हमारी पुलिस फोर्स की ट्रेनिंग किस स्तर की है और उनके हथियार कितने आधुनिक हैं।
गुरदासपुर के इस आतंकी हमले में जो मारे गए उनमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारी बलजीत सिंह थे। बलजीत स्थानीय पुलिस बल की डिटेक्टिव ब्रांच में तैनात थे।
जिस प्रकार की बंदूकों के चलने की आवाजें सुनाई दे रही थीं, इससे साफ जाहिर हो रहा था कि आतंकी पूरी तैयारी के साथ आए हैं और आधुनिक हथियारों के साथ लैस हैं। शाम को करीब 5.30 बजे जैसे ही ऑपरेशन को पूरा घोषित किया गया वैसे ही दीनानगर पुलिस स्टेशन के जवानों ने वंदे मातरम के नारे लगाए। तब तक सभी हमलावर आतंकी मार गिराए जा चुके थे।
इस समय तक यह रिपोर्ट किया गया था कि आतंकियों ने सवारी से भरी एक बस पर अंधाधुंध फायरिंग की फिर एक मारुति 800 कार को लेकर पुलिस स्टेशन पहुंचे और कहा गया कि हमले में आठ लोगों की मौत हो चुकी है।
जैसे ही ऑपरेशन पूरा हुआ, मामले से जुड़ी कुछ बातें गौर करने योग्य दिखाई दीं। जैसे कि हमलावर आतंकियों के हाथ में जहां एके 47 राइफलें थी वहीं पंजाब पुलिस के जवानों के हाथ में पुरानी हो चुकीं एसएलआर राइफल्स।
दूसरी ओर यह भी देखा गया कि पुलिस वालों के पास कोई भी बुलेटप्रूफ जैकेट नहीं था। यह पुलिस फोर्स पंजाब पुलिस की स्वैट टीम थी। आश्चर्य की बात यह थी उनके पास घुटने के पैड थे लेकिन कोई हेलमेट नहीं था। हमले के फुटेज देखने से यह भी आभास हुआ कि पुलिस वालों के पास इस प्रकार के हमले के दौरान 'कैसे निपटा जाए', इसकी उचित ट्रेनिंग नहीं थी। यह देखा गया कि ग्रेनेड कैसे फेंका जाना है, पुलिस वालों को जानकारी नहीं थी। हास्यास्पद है, मगर यह एक कड़वी सच्चाई देखी गई कि ग्रेनेड हमले के बाद पुलिस वाले पीछे भागे और अपने को बचाने के लिए कवर ढूंढ रहे थे। यह भी देखा गया कि एक भारी पुलिसवाले ने मौके से भागने की कोशिश की और उसकी राइफल पीछे लटक रही थी।
लोगों की सुरक्षा का क्या हाल रहा इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तमाशबीन घटनास्थल के काफी करीब पहुंच गए थे और ऐसा लगा जैसे कोई तमाशा देख रहे हों।
सुबह यह देखा गया कि भारतीय सेना के स्पेशल फोर्सेस के जवान, जो काफी ट्रेंड थे, बेहतर हथियारों से लैस थे, मौके पर पहुंच गए थे, लेकिन कहा जा रहा है कि पंजाब पुलिस ने साफ कर दिया था कि वह इस कार्रवाई की अगुवाई करेगी। आश्चर्य की बात यह थी कि स्पेशल फोर्सेस के जवानों को इलाके को कॉर्डन करने के काम में लगा दिया गया और पुलिस कार्रवाई में लगी रही। आमतौर पर होता यह है कि सेना ऐसी कार्रवाई को अंजाम देती है और पुलिस के जवान इलाके की घेराबंदी करते हैं।
यह हकीकत है कि सभी आतंकवादियों को मार गिराया गया और ऑपरेशन कामयाब रहा, लेकिन एक बार फिर यह सामने था कि हमारी पुलिस फोर्स की ट्रेनिंग किस स्तर की है और उनके हथियार कितने आधुनिक हैं।
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