नई दिल्ली:
बीएसएफ के महानिदेशक केके शर्मा ने कॉन्स्टेबल तेज बहादुर यादव मामले में अपनी अंतरिम रिपोर्ट गृह सचिव को सौंप दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वीडियो में दिखाई हुई दाल डिब्बाबंद थी. दाल और रोटी के साथ मछली भी थी. पराठा यूनिट मेंस में ही बना था. इस बारे में पूरी रिपोर्ट बीएसएफ गुरुवार को देगी. गृह मंत्रालय ने कल ही बीएसएफ को यह रिपोर्ट 24 घंटे में देने के लिए कहा था.
वीडियो के वायरल होने के बाद से ही बीएसएफ बैकफुट पर आ चुकी है. उसने रिपोर्ट पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीएसएफ की अंतरिम रिपोर्ट में तेज बहादुर यादव के वीडियो पोस्ट करने के बाद उठाए गए कदमों का ज़िक्र किया गया है. गृह मंत्रालय से कहा गया है कि एक अतिरिक्त महानिदेशक और डीआईजी स्तर के अधिकारी को जवानों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता और पोषक तत्वों की स्थिति की जानकारी हासिल करने के लिए भेजा गया है. बीएसएफ के मेडिकल निदेशालय की एक टीम भी इस कार्य में उनके साथ लगाई गई है. यह सभी जवानों को दिए जा रहे भोजन के अलग-अलग मापदंडों पर पड़ताल करेंगे.
आपको बता दें कि पिछले तीन दिनों से फेसबुक पर खुद को बीएसएफ का जवान बता रहे तेज बहादुर यादव नाम के व्यक्ति का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस जवान ने कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए बल द्वारा जवानों को बदतर खाना दिए जाने की शिकायत की है. इस जवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि उन्हें बेहतर खाना नहीं मिल पा रहा है. अपलोड किए गए वीडियो में खाने की बदतर व्यवस्था को दिखाया गया है. ख़ास बात यह है कि वीडियो को अब तक 13 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं और एक लाख से ज़्यादा लोग शेयर कर चुके हैं.
वीडियो में जवान तेज बहादुर यादव ने यह कहा था...
अपने वीडियो में जवान ने कहा कि 'सभी देशवासियों को मेरा गुड मॉर्निंग, नमस्कार, जय हिंद. देशवासियों मैं आपसे एक अनुरोध करना चाहता हूं. मैं बीएसएफ 29 बटालियन सीमा सुरक्षा बल का जवान, जोकि हम लोग इस बर्फ के अंदर सुबह 6 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक 11 घंटे ड्यूटी करते हैं.. कितनी भी बर्फ हो, बारिश हो या तूफान हो, इन्हीं हालातों में हम ड्यूटी कर रहे हैं. पीछे का दृश्य शायद आप लोग देख रहे हो. फोटो में शायद आपको बहुत अच्छे लग रहे होंगे, लेकिन हमारी क्या सिचुएशन है, लेकिन न कोई यह मीडिया दिखाता है, न कोई मिनिस्टर सुनता है... कोई भी सरकारें आई, हमारी हालात बदतर हैं. मैं आपको इसके बाद तीन वीडियो भेजूंगा, जिसे मैं चाहता हूं कि पूरा देश मीडिया और नेताओं को दिखाए कि हमारे अधिकारी कितना अत्याचार व न्याय करते हैं. हम किसी सरकार को कोई दोष नहीं देना चाहते, क्योंकि सरकार हर चीज, हर सामान हमारे को देती है, लेकिन उच्च अधिकारी उसकी बिक्री करके खा जाते हैं. हमें कुछ नहीं मिलता इन हालातों में... कई बार तो कुछ जवानों को भूखे पेट भी सोना पड़ता है. मैं सुबह का नाश्ता दिखाऊंगा, जोकि सिर्फ एक पराठा मिलता है, जिसमें कुछ भी नहीं है, न अचार है न सब्जी है... सिर्फ चाय के साथ. दोपहर का खाना मैं आपको दिखाऊंगा. कैंटीन में मिलने वाली दाल में सिर्फ हल्दी और नमक होगा और उसके सिवाय कुछ नहीं होगा. रोटियों की भी हालत दिखाऊंगा. मैं फिर कहूंगा भारत सरकार सब कुछ देती है, भारत सरकार द्वारा सबकुछ आता है. स्टोर भरे पड़े हुए हैं, लेकिन वह सब बाजार में चला जाता है, लेकिन कहां जाता है और कौन बिक्री करता है इसकी जांच होनी चाहिए. मैं आदरणीय प्रधानमंत्री जी से भी कहना चाहता हूं कि कृपा करके इसकी जांच करवाएं. दोस्तों, इस वीडियो को डालने के बाद शायद मैं रहूं या न रहूं, क्योंकि अधिकारियों के भी बहुत बड़े हाथ होते हैं, वो मेरे साथ कुछ भी कर सकते हैं. कुछ भी हो सकता है इसलिए इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि मीडिया यहां आकर देखें और जांच करे कि किन हालातों में जवान यहां है. इसके बाद बाकि वीडियो पेश करूंगा, जिसमें पूरी डिटेल दिखाऊंगा. जय हिन्द.'
इस बारे में बीएसएफ ने अपनी सफाई में कहा कि कॉन्स्टेबल तेज बहादुर के बारे में पहले भी कई शिकायतें आ चुकी है. अपने करियर के शुरुआती दिनों से ही उसको नियमित काउंसलिंग की जरुरत रही है. तेज बहादुर आदतन बिना कहे ड्यूटी से अनुपस्थित रहने, बेहद पियक्कड़, वरिष्ठों के साथ दुर्व्यवहार करने वाला और अनुशासनहीन प्रवृत्ति का आदमी रहा है. इसी वजह से तेज बहादुर को हमेशा हेडक्वार्टर में किसी न किसी अधिकारी की देखरेख में रखा गया. उसके ऐसी प्रवृत्ति का होने के बावजूद सुधार करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाता है. तेज बहादुर को दिए गए परामर्श का असर देखने के लिए ही उसको इस हाई ऐल्टीट्यूड वाले स्थान पर केवल 10 दिन पहले ही भेजा गया था, जहां उसने यह वीडियो शूट किया है. इस जगह पर तेज बहादुर के साथ तैनात तकरीबन 20 जवानों के पास डीआईजी और कमांडिंग ऑफिसर को पिछले हफ़्ते भेजा गया था और किसी को कोई शिकायत नहीं थी. इतना ही नहीं तेज बहादुर के खिलाफ चार बार अनुशासनहीनता की कार्रवाई की गई है.
हालांकि अब तेज बहादुर के परिवारवाले खुलकर उसके पक्ष में सामने आ चुके हैं. वे बीएसएफ के अफसरों द्वारा जवानों के प्रति गुलामों जैसा व्यवहार करने का आरोप लगा रहे है. सच्चाई जो भी निकल कर सामने आए, लेकिन बीएसएफ पर सवालिया निशान तो लग ही गया है?
वीडियो के वायरल होने के बाद से ही बीएसएफ बैकफुट पर आ चुकी है. उसने रिपोर्ट पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीएसएफ की अंतरिम रिपोर्ट में तेज बहादुर यादव के वीडियो पोस्ट करने के बाद उठाए गए कदमों का ज़िक्र किया गया है. गृह मंत्रालय से कहा गया है कि एक अतिरिक्त महानिदेशक और डीआईजी स्तर के अधिकारी को जवानों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता और पोषक तत्वों की स्थिति की जानकारी हासिल करने के लिए भेजा गया है. बीएसएफ के मेडिकल निदेशालय की एक टीम भी इस कार्य में उनके साथ लगाई गई है. यह सभी जवानों को दिए जा रहे भोजन के अलग-अलग मापदंडों पर पड़ताल करेंगे.
आपको बता दें कि पिछले तीन दिनों से फेसबुक पर खुद को बीएसएफ का जवान बता रहे तेज बहादुर यादव नाम के व्यक्ति का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इस जवान ने कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए बल द्वारा जवानों को बदतर खाना दिए जाने की शिकायत की है. इस जवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि उन्हें बेहतर खाना नहीं मिल पा रहा है. अपलोड किए गए वीडियो में खाने की बदतर व्यवस्था को दिखाया गया है. ख़ास बात यह है कि वीडियो को अब तक 13 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं और एक लाख से ज़्यादा लोग शेयर कर चुके हैं.
वीडियो में जवान तेज बहादुर यादव ने यह कहा था...
अपने वीडियो में जवान ने कहा कि 'सभी देशवासियों को मेरा गुड मॉर्निंग, नमस्कार, जय हिंद. देशवासियों मैं आपसे एक अनुरोध करना चाहता हूं. मैं बीएसएफ 29 बटालियन सीमा सुरक्षा बल का जवान, जोकि हम लोग इस बर्फ के अंदर सुबह 6 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक 11 घंटे ड्यूटी करते हैं.. कितनी भी बर्फ हो, बारिश हो या तूफान हो, इन्हीं हालातों में हम ड्यूटी कर रहे हैं. पीछे का दृश्य शायद आप लोग देख रहे हो. फोटो में शायद आपको बहुत अच्छे लग रहे होंगे, लेकिन हमारी क्या सिचुएशन है, लेकिन न कोई यह मीडिया दिखाता है, न कोई मिनिस्टर सुनता है... कोई भी सरकारें आई, हमारी हालात बदतर हैं. मैं आपको इसके बाद तीन वीडियो भेजूंगा, जिसे मैं चाहता हूं कि पूरा देश मीडिया और नेताओं को दिखाए कि हमारे अधिकारी कितना अत्याचार व न्याय करते हैं. हम किसी सरकार को कोई दोष नहीं देना चाहते, क्योंकि सरकार हर चीज, हर सामान हमारे को देती है, लेकिन उच्च अधिकारी उसकी बिक्री करके खा जाते हैं. हमें कुछ नहीं मिलता इन हालातों में... कई बार तो कुछ जवानों को भूखे पेट भी सोना पड़ता है. मैं सुबह का नाश्ता दिखाऊंगा, जोकि सिर्फ एक पराठा मिलता है, जिसमें कुछ भी नहीं है, न अचार है न सब्जी है... सिर्फ चाय के साथ. दोपहर का खाना मैं आपको दिखाऊंगा. कैंटीन में मिलने वाली दाल में सिर्फ हल्दी और नमक होगा और उसके सिवाय कुछ नहीं होगा. रोटियों की भी हालत दिखाऊंगा. मैं फिर कहूंगा भारत सरकार सब कुछ देती है, भारत सरकार द्वारा सबकुछ आता है. स्टोर भरे पड़े हुए हैं, लेकिन वह सब बाजार में चला जाता है, लेकिन कहां जाता है और कौन बिक्री करता है इसकी जांच होनी चाहिए. मैं आदरणीय प्रधानमंत्री जी से भी कहना चाहता हूं कि कृपा करके इसकी जांच करवाएं. दोस्तों, इस वीडियो को डालने के बाद शायद मैं रहूं या न रहूं, क्योंकि अधिकारियों के भी बहुत बड़े हाथ होते हैं, वो मेरे साथ कुछ भी कर सकते हैं. कुछ भी हो सकता है इसलिए इस वीडियो को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि मीडिया यहां आकर देखें और जांच करे कि किन हालातों में जवान यहां है. इसके बाद बाकि वीडियो पेश करूंगा, जिसमें पूरी डिटेल दिखाऊंगा. जय हिन्द.'
इस बारे में बीएसएफ ने अपनी सफाई में कहा कि कॉन्स्टेबल तेज बहादुर के बारे में पहले भी कई शिकायतें आ चुकी है. अपने करियर के शुरुआती दिनों से ही उसको नियमित काउंसलिंग की जरुरत रही है. तेज बहादुर आदतन बिना कहे ड्यूटी से अनुपस्थित रहने, बेहद पियक्कड़, वरिष्ठों के साथ दुर्व्यवहार करने वाला और अनुशासनहीन प्रवृत्ति का आदमी रहा है. इसी वजह से तेज बहादुर को हमेशा हेडक्वार्टर में किसी न किसी अधिकारी की देखरेख में रखा गया. उसके ऐसी प्रवृत्ति का होने के बावजूद सुधार करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाता है. तेज बहादुर को दिए गए परामर्श का असर देखने के लिए ही उसको इस हाई ऐल्टीट्यूड वाले स्थान पर केवल 10 दिन पहले ही भेजा गया था, जहां उसने यह वीडियो शूट किया है. इस जगह पर तेज बहादुर के साथ तैनात तकरीबन 20 जवानों के पास डीआईजी और कमांडिंग ऑफिसर को पिछले हफ़्ते भेजा गया था और किसी को कोई शिकायत नहीं थी. इतना ही नहीं तेज बहादुर के खिलाफ चार बार अनुशासनहीनता की कार्रवाई की गई है.
हालांकि अब तेज बहादुर के परिवारवाले खुलकर उसके पक्ष में सामने आ चुके हैं. वे बीएसएफ के अफसरों द्वारा जवानों के प्रति गुलामों जैसा व्यवहार करने का आरोप लगा रहे है. सच्चाई जो भी निकल कर सामने आए, लेकिन बीएसएफ पर सवालिया निशान तो लग ही गया है?
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