गाजियाबाद:
सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के दल ने कोयला खदान आवंटन में हुई अनियमितताओं की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराए जाने सम्बंधी आदेश को शुक्रवार को अप्रासंगिक बताया और कहा कि सीबीआई प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को क्लीन चिट दे देगी।
अन्ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने यहां कहा, "केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा मामले को सीबीआई के पास भेजे जाने को हम खारिज करते हैं, क्योंकि सीबीआई प्रधानमंत्री को क्लीन चिट दे देगी। सीबीआई जब प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करती है तो भला वह उनके खिलाफ किसी मामले की जांच कैसे कर सकती है? यह मात्र एक खानापूर्ती भर है।"
लेकिन यहीं पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मामले को सीबीआई के पास भेजे जाने से खुशी जाहिर की है। उसने कहा है कि इससे उसका रुख सत्यापित हुआ है।
सीबीआई से कहा गया है कि वह सार्वजनिक और निजी कम्पनियों को कोयला खदानें आवंटित किए जाने में हुई कथित अनियमितताओं की जांच करे। टीम अन्ना ने इस संदिग्ध घोटाले में मनमोहन सिंह की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं।
नवम्बर 2006 से मई 2009 तक कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री के पास ही था।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के अनुसार, कोयला खदानों के खनन अधिकार बिना नीलामी के आवंटित कर दिए गए और इसके कारण निजी कम्पनियों को भारी मुनाफा हुआ।
केजरीवाल ने कहा कि सरकार यह कहकर जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रही है कि कोयला खदानों का आवंटन कोयले की मांग बढ़ने के कारण हुआ था।
केजरीवाल ने इस मामले की एक स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा, "यदि प्रधानमंत्री बेगुनाही का दावा कर रहे हैं, तो वह किसी स्वतंत्र जांच से क्यों डर रहे हैं?"
भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस मामले को सीबीआई के पास भेजे जाने से पार्टी का रुख और मामले की जांच कराए जाने को लेकर उसका संघर्ष सत्यापित हुआ है। उन्होंने कहा कि ऐसा भाजपा सांसद हंसराज अहिर के प्रयासों के कारण सम्भव हुआ है।
जावड़ेकर ने कहा, "हंसराज अहिर के वर्षों के प्रयास को सीवीसी द्वारा संज्ञान में लिए जाने से भाजपा खुश है।"
ज्ञात हो कि सीवीसी ने सार्वजनिक और निजी कम्पनियों को कोयला खदानें आवंटित करने में हुई कथित अनियमितताओं का मामला शुक्रवार को सीबीआई के पास भेज दिया।
सीएजी के यहां से लीक होकर मीडिया में पहुंची एक मसौदा रपट में कोयला खदानों के आवंटन के कारण 180,000 करोड़ रुपये के नुकसान का संकेत किया गया था।
अन्ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने यहां कहा, "केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा मामले को सीबीआई के पास भेजे जाने को हम खारिज करते हैं, क्योंकि सीबीआई प्रधानमंत्री को क्लीन चिट दे देगी। सीबीआई जब प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करती है तो भला वह उनके खिलाफ किसी मामले की जांच कैसे कर सकती है? यह मात्र एक खानापूर्ती भर है।"
लेकिन यहीं पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मामले को सीबीआई के पास भेजे जाने से खुशी जाहिर की है। उसने कहा है कि इससे उसका रुख सत्यापित हुआ है।
सीबीआई से कहा गया है कि वह सार्वजनिक और निजी कम्पनियों को कोयला खदानें आवंटित किए जाने में हुई कथित अनियमितताओं की जांच करे। टीम अन्ना ने इस संदिग्ध घोटाले में मनमोहन सिंह की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं।
नवम्बर 2006 से मई 2009 तक कोयला मंत्रालय प्रधानमंत्री के पास ही था।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के अनुसार, कोयला खदानों के खनन अधिकार बिना नीलामी के आवंटित कर दिए गए और इसके कारण निजी कम्पनियों को भारी मुनाफा हुआ।
केजरीवाल ने कहा कि सरकार यह कहकर जनता को भ्रमित करने की कोशिश कर रही है कि कोयला खदानों का आवंटन कोयले की मांग बढ़ने के कारण हुआ था।
केजरीवाल ने इस मामले की एक स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा, "यदि प्रधानमंत्री बेगुनाही का दावा कर रहे हैं, तो वह किसी स्वतंत्र जांच से क्यों डर रहे हैं?"
भाजपा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि इस मामले को सीबीआई के पास भेजे जाने से पार्टी का रुख और मामले की जांच कराए जाने को लेकर उसका संघर्ष सत्यापित हुआ है। उन्होंने कहा कि ऐसा भाजपा सांसद हंसराज अहिर के प्रयासों के कारण सम्भव हुआ है।
जावड़ेकर ने कहा, "हंसराज अहिर के वर्षों के प्रयास को सीवीसी द्वारा संज्ञान में लिए जाने से भाजपा खुश है।"
ज्ञात हो कि सीवीसी ने सार्वजनिक और निजी कम्पनियों को कोयला खदानें आवंटित करने में हुई कथित अनियमितताओं का मामला शुक्रवार को सीबीआई के पास भेज दिया।
सीएजी के यहां से लीक होकर मीडिया में पहुंची एक मसौदा रपट में कोयला खदानों के आवंटन के कारण 180,000 करोड़ रुपये के नुकसान का संकेत किया गया था।