
शिवराज सिंह की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
व्यापमं मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. मध्यप्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत दी है. कोर्ट ने केके मिश्रा के खिलाफ मानहानि का ट्रायल कोर्ट का आदेश रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि ट्रायल सही तरीके से नहीं चला है.
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के तहत दिए विशेष अधिकार 142 के तहत मामले को रद्द किया. नवंबर 2017 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और परिजनों की मानहानि के मामले में जिला अदालत ने मध्यप्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा को दो साल की सजा सुनाई थी, साथ ही 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था.
नवंबर 2017 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं परिजनों की मानहानि के मामले में जिला अदालत ने मध्यप्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा को दो साल की सजा सुनाई थी. साथ ही 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया. मिश्रा ने शिवराज एवं उनकी पत्नी साधना सिंह पर व्यापमं घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था. मुख्यमंत्री की ओर से दाखिल मानहानि संबंधी यह प्रदेश का पहला मुकदमा था.
केके मिश्रा ने 21 जून 2014 को पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री पर व्यापमं मामले को लेकर आरोप लगाया था, जिसमें कहा गया था कि उनकी ससुराल गोंदिया के 19 परिवहन निरीक्षक भर्ती हुए. साथ ही मुख्यमंत्री निवास से किसी प्रभावशाली महिला द्वारा व्यापमं के आरोपी नितिन महिन्द्रा आदि को 129 फोन कॉल किए गए. मिश्रा ने फूलसिंह चौहान, प्रेमसिंह चौहान, गणेश किरार और संजय सिंह चौहान पर भी आरोप लगाए थे. इस मामले में 24 नवंबर 14 को सरकार की अनुमति से लोक अभियोजक ने मुख्यमंत्री की मानहानि का मुकदमा दायर किया था. कोर्ट ने केके मिश्रा को 50 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत पर रिहा कर दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के तहत दिए विशेष अधिकार 142 के तहत मामले को रद्द किया. नवंबर 2017 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और परिजनों की मानहानि के मामले में जिला अदालत ने मध्यप्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा को दो साल की सजा सुनाई थी, साथ ही 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था.
नवंबर 2017 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं परिजनों की मानहानि के मामले में जिला अदालत ने मध्यप्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता केके मिश्रा को दो साल की सजा सुनाई थी. साथ ही 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया. मिश्रा ने शिवराज एवं उनकी पत्नी साधना सिंह पर व्यापमं घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया था. मुख्यमंत्री की ओर से दाखिल मानहानि संबंधी यह प्रदेश का पहला मुकदमा था.
केके मिश्रा ने 21 जून 2014 को पत्रकार वार्ता में मुख्यमंत्री पर व्यापमं मामले को लेकर आरोप लगाया था, जिसमें कहा गया था कि उनकी ससुराल गोंदिया के 19 परिवहन निरीक्षक भर्ती हुए. साथ ही मुख्यमंत्री निवास से किसी प्रभावशाली महिला द्वारा व्यापमं के आरोपी नितिन महिन्द्रा आदि को 129 फोन कॉल किए गए. मिश्रा ने फूलसिंह चौहान, प्रेमसिंह चौहान, गणेश किरार और संजय सिंह चौहान पर भी आरोप लगाए थे. इस मामले में 24 नवंबर 14 को सरकार की अनुमति से लोक अभियोजक ने मुख्यमंत्री की मानहानि का मुकदमा दायर किया था. कोर्ट ने केके मिश्रा को 50 हजार रुपए के मुचलके पर जमानत पर रिहा कर दिया.
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