यूपी के लखीमपुर खीरी में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा के मामले की अदालत की निगरानी में जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. CJI एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ सुनवाई करेगी. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को घटना के गवाहों को सुरक्षा देने का निर्देश दिया था और स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था. कोर्ट ने यूपी सरकार से लखीमपुर हिंसा में पत्रकार रमन कश्यप और श्याम सुंदर की हत्या की जांच पर भी अलग से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान यूपी सरकार से कई सवाल भी किए थे.
सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने स्टेटस रिपोर्ट सौंपते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 68 गवाहों में से 30 गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं और 23 लोगों ने घटना के चश्मदीद होने का दावा किया है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि रैली में सैकड़ों किसान थे और सिर्फ 23 चश्मदीद गवाह बने? फिर साल्वे ने जवाब देते हुए कहा कि हमने गवाही के लिए विज्ञापन जारी भी किया, वीडियो सबूत भी मिले हैं. जांच जारी है और यूपी सरकार सीलबंद लिफाफे में गवाहों के दर्ज बयान दे सकती है.
CJI ने कहा कि अगर आपके पास 23 चश्मदीद गवाह हैं तो हर एक पहलू और संभावना को तलाशिए और कदम बढ़ाइए. CJI ने आगे कहा कि घटनास्थल पर 4000-5000 लोगों की भीड़ थी जिसमें कि सभी स्थानीय लोग थे और यहां तक कि घटना के बाद भी अधिकांश लोग आंदोलन कर रहे हैं, तो फिर इन लोगों की पहचान में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए.
CJI ने आगे कहा कि वहां जुटी भीड़ में बहुत से लोग जानकारी देने से कतराएंगे. मजबूत गवाहों की पहचान जरूरी है. क्या कोई गवाह घायल भी है, वीडियो का परीक्षण जल्दी करवाइए नहीं तो हमें लैब को निर्देश देना होगा. इसमें गवाहों की सुरक्षा सबसे अधिक जरूरी है. हम गवाहों की सुरक्षा का निर्देश देते हैं. सभी गवाहों के बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज करवाए जाएं.
सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद मामले में अब तक केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा समेत दस लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. शीर्ष अदालत मामले की सुनवाई तब कर रही है जब दो वकीलों ने CJI को पत्र लिखकर घटना की उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की थी, जिसमें CBI भी शामिल है.
दरअसल लखीमपुर खीरी में एक SUV द्वारा चार किसानों को कुचल दिया गया, जब केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे एक समूह ने 3 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन किया था. गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने BJP के दो कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी, जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई. इससे पहले शीर्ष अदालत ने जनवरी में तीन नए कृषि कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी थी.
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