सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
MP/MLA के आपराधिक मामलों के लिए स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट का मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि 11 स्पेशल फास्ट ट्रैक काफी नहीं हैं. कोर्ट ने केंद्र को कहा कि वो तमाम राज्य सरकारों को और फंड मुहैया कराए ताकि अन्य राज्यों में भी फास्ट ट्रैक कोर्ट की संख्या और बढाई जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने वकील विजय हंसारिया को केस में एमिक्स क्यूरी नियुक्त किया. वो तमाम राज्यों द्वारा दाखिल हलफनामों से एक चार्ज बनाकर कोर्ट को देंगे. इसमें राज्यों में लंबित मामलों और निपटाए गए मामलों की जानकारी होगी.
बिहार में सांसद-विधायकों के खिलाफ सबसे ज्यादा आपराधिक मामले, केंद्र ने SC को दी जानकारी
वहीं, केंद्र ने कहा कि सरकार ने राज्यों को कई बार फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए पत्र भेजा है लेकिन कुछ राज्यों ने जवाब नहीं दिया. अब तीन हफ्ते बाद सुनवाई होगी.
इससे पहले 12 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया था कि वो MP/MLA के खिलाफ आपराधिक मामलों से निपटने के लिए बनाई जाने वाली स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन की निगरानी करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक नवंबर 2017 के स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन के आदेश पर पूरी तरह से अमल किया जाए इसके लिए वो वक्त वक्त पर रिपोर्ट मांगेगा.
देश में लंबित मुकदमों का पहाड़ है : उत्तर प्रदेश कानून मंत्री
इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था. केंद्र ने कोर्ट को बताया कि अभी तक दिल्ली समेत 11 राज्यों से मिले आंकडों के मुताबिक फिलहाल MP/MLA के खिलाफ से 1233 केस इन स्पेशल फास्ट ट्रेक कोर्ट में ट्रांसफर किए गए हैं. 136 केसों का निपटारा किया गया है जबकि 1097 मामले अदालतों में लंबित हैं. इस वक्त बिहार में MP/MLA के खिलाफ सबसे ज्यादा 249 आपराधिक मामले लंबित हैं. इसके बाद केरल में 233 मामले और पश्चिम बंगाल में 226 केस लंबित हैं. कई राज्यों से डेटा आना बाकी है. 12 फास्ट ट्रैक कोर्ट में 6 सेशन कोर्ट और पांच मजिस्ट्रेट कोर्ट हैं.
VIDEO: सिटी सेंटर : सुनंदा केस की फास्ट ट्रैक सुनवाई, दिल्ली के सरकारी स्कूल छाए
बिहार में सांसद-विधायकों के खिलाफ सबसे ज्यादा आपराधिक मामले, केंद्र ने SC को दी जानकारी
वहीं, केंद्र ने कहा कि सरकार ने राज्यों को कई बार फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए पत्र भेजा है लेकिन कुछ राज्यों ने जवाब नहीं दिया. अब तीन हफ्ते बाद सुनवाई होगी.
इससे पहले 12 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया था कि वो MP/MLA के खिलाफ आपराधिक मामलों से निपटने के लिए बनाई जाने वाली स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन की निगरानी करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एक नवंबर 2017 के स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन के आदेश पर पूरी तरह से अमल किया जाए इसके लिए वो वक्त वक्त पर रिपोर्ट मांगेगा.
देश में लंबित मुकदमों का पहाड़ है : उत्तर प्रदेश कानून मंत्री
इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था. केंद्र ने कोर्ट को बताया कि अभी तक दिल्ली समेत 11 राज्यों से मिले आंकडों के मुताबिक फिलहाल MP/MLA के खिलाफ से 1233 केस इन स्पेशल फास्ट ट्रेक कोर्ट में ट्रांसफर किए गए हैं. 136 केसों का निपटारा किया गया है जबकि 1097 मामले अदालतों में लंबित हैं. इस वक्त बिहार में MP/MLA के खिलाफ सबसे ज्यादा 249 आपराधिक मामले लंबित हैं. इसके बाद केरल में 233 मामले और पश्चिम बंगाल में 226 केस लंबित हैं. कई राज्यों से डेटा आना बाकी है. 12 फास्ट ट्रैक कोर्ट में 6 सेशन कोर्ट और पांच मजिस्ट्रेट कोर्ट हैं.
VIDEO: सिटी सेंटर : सुनंदा केस की फास्ट ट्रैक सुनवाई, दिल्ली के सरकारी स्कूल छाए
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं