सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
SYL मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए 20 फरवरी तक का वक्त दिया है. पंजाब सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए वक्त मांगा था. पंजाब सरकार की ओर से कहा गया कि जवाब लगभग तैयार है, लेकिन मुख्यमंत्री अमेरिका में हैं. कोर्ट मामले की सुनवाई 22 फरवरी को करेगा. तब तक यथास्थिति बरकरार रहेगी.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट सतलुज यमुना लिंक नहर मामले में हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. हरियाणा ने पंजाब सरकार को नहर की जमीन किसानों को वापस देने से रोके जाने की मांग की है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जमीन वापस दिए जाने पर यथास्थिति बरकरार रखते हुए कमेटी से जमीनी हकीकत की रिपोर्ट मांगी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा था कि SYL को लेकर दिया गया हमारा आदेश लागू होना चाहिए. ये कैसे होगा ये सरकारें देखें?
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा था कि आपने क्या पंजाब सरकार के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें सरकार ने SYL की जमीन को किसानों को वापस देने का नोटिफिकेशन जारी किया था? वहीं पंजाब सरकार ने कहा था कि राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में मामले की सुनवाई मार्च के तीसरे हफ्ते में की जाए, लेकिन कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक हफ्ते और पंजाब सरकार तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा था. हरियाणा सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि किसानों को जमीन वापस देने से रोका जाए क्योंकि इससे हालात विस्फोटक हो चुके हैं.
उल्लेखनीय है कि 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब द्वारा पड़ोसी राज्यों के साथ सतजुल यमुना लिंक नहर समझौता निरस्त करने के लिए 2004 में बनाए गए कानून को असंवैधानिक करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए रेफरेंस पर दिए फैसले में कहा था कि वह राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए सभी रेफरेंस पर अपना नकारात्मक जवाब देते हैं. पंजाब सरकार करार रद्द करने के लिए एकतरफा फैसला नहीं ले सकती. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट एक्ट 2004 सुप्रीम कोर्ट के फैसलों, इंटर स्टेट नदी जल विवाद एक्ट और अन्य संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने साफ किया कि पंजाब अन्य राज्यों से किए गए एग्रीमेंट के बारे में एकतरफा फैसला नहीं ले सकता.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट सतलुज यमुना लिंक नहर मामले में हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रहा है. हरियाणा ने पंजाब सरकार को नहर की जमीन किसानों को वापस देने से रोके जाने की मांग की है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जमीन वापस दिए जाने पर यथास्थिति बरकरार रखते हुए कमेटी से जमीनी हकीकत की रिपोर्ट मांगी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा था कि SYL को लेकर दिया गया हमारा आदेश लागू होना चाहिए. ये कैसे होगा ये सरकारें देखें?
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा था कि आपने क्या पंजाब सरकार के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसमें सरकार ने SYL की जमीन को किसानों को वापस देने का नोटिफिकेशन जारी किया था? वहीं पंजाब सरकार ने कहा था कि राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में मामले की सुनवाई मार्च के तीसरे हफ्ते में की जाए, लेकिन कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक हफ्ते और पंजाब सरकार तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा था. हरियाणा सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि किसानों को जमीन वापस देने से रोका जाए क्योंकि इससे हालात विस्फोटक हो चुके हैं.
उल्लेखनीय है कि 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब द्वारा पड़ोसी राज्यों के साथ सतजुल यमुना लिंक नहर समझौता निरस्त करने के लिए 2004 में बनाए गए कानून को असंवैधानिक करार दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए रेफरेंस पर दिए फैसले में कहा था कि वह राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए सभी रेफरेंस पर अपना नकारात्मक जवाब देते हैं. पंजाब सरकार करार रद्द करने के लिए एकतरफा फैसला नहीं ले सकती. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब टर्मिनेशन ऑफ एग्रीमेंट एक्ट 2004 सुप्रीम कोर्ट के फैसलों, इंटर स्टेट नदी जल विवाद एक्ट और अन्य संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है. सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने साफ किया कि पंजाब अन्य राज्यों से किए गए एग्रीमेंट के बारे में एकतरफा फैसला नहीं ले सकता.
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