छत्तीसगढ़ के IPS अफसर मुकेश गुप्ता और उनके परिवार का फोन टैप करने के मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है. मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि क्या किसी के लिए कोई निजता नहीं बची है. मैं यह जानना चाहता हूं कि आखिर किसके कहने पर ये टैपिंग कराई गई? कोर्ट ने सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ सरकार से इस पूरे मामले पर जवाब भी मांगा है. सुनवाई के दौरान अफसर की ओर से पेश महेश जेठमलानी ने कोर्ट को बताया कि फोन टेपिंग के अलावा उनके वकीलों पर भी FIR दर्ज की जा रही है. इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अफसर के वकील के खिलाफ दर्ज हुई FIR पर रोक लगा दी है.
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सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा था कि फिलहाल अफसर के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं होगी. कोर्ट ने राज्य सरकार को चार नवंबर तक जवाब मांगा था. वहीं, छत्तीसगढ की ओर से मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को भरोसा दिलाया था कि उनके पास कोई निर्देश नहीं हैं लेकिन आगे से ऐसा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि अफसर के खिलाफ दो मामलों में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है और ट्रायल चल रहा है वो पहले हाईकोर्ट गए और अब इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट चले आए.
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वित्तीय विवाद और अवैध फोन टैपिंग के आरोपों का सामना करने वाले छत्तीसगढ़ के पुलिस अधिकारी ने राज्य पुलिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दायर की है जिसमें वर्तमान राजनीतिक नेताओं के इशारे पर शिकार और उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है. मुकेश गुप्ता, जो बीजेपी सरकार में राज्य के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के पुलिस महानिदेशक और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) के मुखिया थे, उन्हें इस साल सितंबर में हटा दिया गया था गुप्ता ने यह भी आरोप लगाया कि राज्य पुलिस दो बेटियों सहित पूरे परिवार के अवैध रूप से फोन टैप कर रही है.
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