पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से ब्योरा मांगा है. कोर्ट ने नोटिस जारी करके डेटा मांगा है. कोर्ट ने केंद्र और NHRC से राज्य मानवाधिकार आयोगों के कामकाज का ब्योरा भी पेश करने को कहा है. साथ ही राज्यों से हिरासत में मौत के आंकड़े एकत्र करने के लिए भी कहा है. इस मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी.
दरअसल डीके बसु मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी एमिक्स क्यूरी हैं और वे अदालत की सहायता कर रहे हैं. इसके लिए उन्होंने पुलिस की हिरासत में मौतों और अत्याचारों पर अंकुश लगाने के लिए आदेश मांगे हैं.
उन्होंने कहा है कि विशेष रूप से हिरासत में मौत या मुठभेड़ आदि की समयबद्ध जांच के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट नियुक्त करने के दिशा-निर्देश जारी हों.
उन्होंने यह भी बताया कि 2017-18 में हिरासत में मौतों के केवल 2.2% मामलों में मुकदमा चलाने की सिफारिश की गई थी जबकि 2016-17 में केवल 1.2% मामलों में अभियोजन की सिफारिश की गई थी. डॉ सिंघवी ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के हवाले से कहा कि 2018 में हिरासत में मौत के 70 मामले हुए थे.
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