मालेगांव ब्लास्ट : सुप्रीम कोर्ट का फैसला, आरोपी श्रीकांत पुरोहित महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ कर सकते हैं अपील

पिछली सुनवाई में  कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.

मालेगांव ब्लास्ट : सुप्रीम कोर्ट का फैसला, आरोपी श्रीकांत पुरोहित महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ कर सकते हैं अपील

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

मालेगांव ब्लास्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरोपी श्रीकांत पुरोहित आरोप तय होने की दशा में गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत महाराष्ट्र सरकार की ओर से उन पर मुकदमा चलाने की परमिशन को चुनौती दे सकते हैं. यानी ट्रॉयल के पहले इस मामले की कोर्ट सुनवाई करेगा. जमानत देते समय सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ट्रायल के दौरान गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत महाराष्ट्र सरकार द्वारा उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति पर सुनवाई होगी. 

पिछली सुनवाई में  कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपने ऊपर लगे यूएपीए को चुनौती दी है. इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित और समीर कुलकर्णी की याचिका को खारिज कर दिया था. आरोपियों ने गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) के तहत महाराष्ट्र सरकार द्वारा उन पर मुकदमा चलाने की परमिशन को चुनौती दी थी. कर्नल पुरोहित और अन्य की याचिका में कहा गया था कि यूएपीए के तहत मुकदमा चलाने की परमिशन देने वाले राज्य के ज्यूडिशियल डिपार्टमेंट को ट्रिब्यूनल से रिपोर्ट लेनी होती है.

पुरोहित के वकील श्रीकांत शिवाडे ने कहा था, "मामले में जनवरी 2009 में अनुमति दी गई थी लेकिन ट्रिब्यूनल का गठन अक्टूबर 2010 में किया गया.  लिहाजा मंजूरी का आदेश गलत है.' इसका विरोध करते हुए एनआईए के वकील संदेश पाटील ने कहा, "पुरोहित ने मंजूरी दिए जाने का मामला तब उठाया था, जब उनकी बेल पिटीशन पर हाईकोर्ट में दलील दी जा रही थी."  हाईकोर्ट ने अपने ऑर्डर में कहा था कि मंजूरी दिए जाने के मुद्दे पर इस समय विचार नहीं किया जा सकता और इस पर निचली अदालत विचार कर सकती है. हाईकोर्ट ने पुरोहित को जमानत देते हुए भी यही बात कही थी. इसके बाद हाईकोर्ट ने एनआईए के वकील की दलीलों को स्वीकार कर लिया और याचिका को खारिज कर दिया था.


 


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