सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने स्कोडा ऑटो, फॉक्सवैगन और ऑडी के खिलाफ दर्ज FIR पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. मामले की सुनवाई के दौरान CJI जस्टिस एस ए बोबड़े ने टिप्पणी की कि जब कोई शिकायतकर्ता धोखा देने का आरोप लगाता है तो उसे जांच का सामना करना चाहिए. वहीं कंपनी की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि NGT ने उनकी पार्टी पर 500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है. अब एक FIR दर्ज कर ली गई है और उसमें भारतीय और जर्मनी अफसरों के नाम हैं.
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्कोडा ऑटो, फॉक्सवैगन और ऑडी के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार कर दिया था. कम उत्सर्जन दिखाने के लिए अपने वाहनों में "धोखा उपकरणों" के कथित मामले में अदालत ने कंपनी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कंपनी के वाहन BS-IV मानदंडों को पूरा करते हैं या नहीं, यह जांच का विषय है. दरअसल, नोएडा के स्थानीय व्यवसायी अनिलजीत सिंह ने अपनी शिकायत में कहा था कि उन्हें उत्सर्जन पर तथ्यों की गलत व्याख्या के बाद "घटिया" वाहन बेच दिए गए.
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उन्होंने आरोप लगाया कि साल 2016 में करोड़ों रुपये की लागत से कारें खरीदी थीं. उन्होंने कार निर्माताओं पर वाहनों को नए मानकों के अनुरूप बताने और खरीद के लिये "प्रेरित" करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि ऐसा मानते हुए उन्होंने ये वाहन खरीदे कि ये देश के नये उत्सर्जन मानकों के अनुरूप तैयार किये गये हैं. सिंह ने अपनी शिकायत में कहा, "ये घटिया वाहन थे, जो धोखा देने वाले उपकरणों से लैस थे."
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शिकायतकर्ता द्वारा दी गयी शिकायत के आधार पर नोएडा सेक्टर 20 पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गयी थी. उल्लेखनीय है कि भारत के राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मार्च 2019 में भारत में अपनी डीजल कारों में "धोखा देने वाले उपकरण" के उपयोग के माध्यम से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिये जर्मनी की वाहन कंपनी फॉक्सवैगन पर 500 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था.
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