सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पूर्व सपा नेता गायत्री प्रजापति (Gayatri Prajapati) की एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सख्त नाराज़गी जताई है. याचिका में गायत्री प्रजापति पर रेप के मामले में दर्ज FIR को रद्द करने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह की याचिका बर्दाश्त नहीं की जा सकती.
सुनवाई के दौरान नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब हाई कोर्ट कानूनी प्रक्रिया के तहत FIR रद्द करने की प्रक्रिया पर सुनवाई कर सकता है तो सुप्रीम कोर्ट में ऐसी याचिका क्यों दाखिल की गई है? कोर्ट की फटकार के बाद गायत्री प्रजापति की तरफ से पेश वकील ने याचिका को वापस लेने की मांग की.
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प्रजापति के वकील ने कहा कि मामले में आरोपी दोषी करार दिया जा चुका है. ऐसे में अब इस याचिका का कोई मतलब नहीं बनता. मामले में अन्य याचिका हाई कोर्ट में भी लंबित हैं . इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका वापस लेने को इजाजत दे दी.
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ चल रहे चित्रकूट सामूहिक बलात्कार के मामले में पिछले साल नवंबर में अदालत ने गायत्री समेत तीन लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. और प्रत्येक दोषी पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
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18 फरवरी, 2017 को उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति और अन्य के खिलाफ थाना गौतम पल्ली में सामूहिक दुराचार, जानमाल की धमकी व पॉक्सो कानून के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था.
मामले में पीड़ित महिला ने दावा किया था कि बलात्कार की घटना पहली बार अक्टूबर 2014 में हुई थी और जुलाई 2016 तक जारी रही तथा जब आरोपी ने उसकी नाबालिग बेटी से छेड़छाड़ करने की कोशिश की, तो उसने शिकायत दर्ज करने का फैसला किया. 18 फरवरी, 2017 को प्राथमिकी दर्ज होने के बाद प्रजापति को मार्च में गिरफ्तार किया गया था.
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