प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मुजाहिद्दीन (आईएम) के संदिग्ध सदस्य फसीह महमूद की जमानत याचिका पर सुनवाई की और याचिका खारिज कर दी.SC ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. दिल्ली पुलिस को तीन हफ्ते में जवाब देने का निर्देश दिया गया है. वहीं सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने आरोपी की जमानत का विरोध किया, कहा ये गंभीर मामला है. गौरतलब है कि 17 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट ने इंडियन मुजाहिद्दीन (आईएम) के संदिग्ध सदस्य फसीह महमूद को जमानत देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि महमूद के खिलाफ अपराध की जघन्यता और गंभीर आरोपों को देखते हुए उसे जमानत देने का वैध कारण नहीं है जो आईएम के सह-संस्थापक यासिन भटकल का सहयोगी है.जस्टिस एसपी गर्ग ने कहा था कि हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट आरोपी को 2016 में जमानत देने से इनकार कर चुके हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि तथ्यों के आधार पर जमानत देने से इनकार किया जा चुका है और परिस्थितियों में कोई विशेष बदलाव नहीं है इसलिए यह अदालत याचिकाकर्ता को जमानत देने का कोई वैध कारण नहीं पाती है, क्योंकि उसके खिलाफ जघन्य अपराध और गंभीर आरोप लगे हुए हैं. वह भारत में इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे गैरकानूनी संगठन का सदस्य है. जमानत याचिका खारिज की जाती है.
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दरअसल दिल्ली पुलिस की स्पेशल ने मीर विहार इलाके से भारी मात्रा में अवैध हथियार एक अवैध फैक्टरी से बरामद किए थे. पुलिस ने दावा किया था कि भटकल और उसके साथी जिनमें फसीह भी शामिल है, ने देश भर में आतंकी हमलों की साजिश रची थी. पेशे से एक मैकेनिकल इंजीनियर महमूद को आईएम के दरभंगा मॉड्यूल के प्रमुख सदस्यों में से एक माना जाता है जिसने 2008 से देश में विभिन्न आतंकवादी हमले किए थे.पुलिस ने आरोप लगाया था कि वह युवाओं को आईएम में शामिल होने के लिए "मोटिवेटर" था और उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत अपराधों के लिए आरोपपत्र दायर किया था. महमूद को सऊदी अरब से निर्वासित कर दिया गया था और 22 अक्टूबर, 2012 को आईजीआई हवाई अड्डे पर गिरफ्तार किया गया था. उसे मई 2012 में सऊदी अरब में हिरासत में लिया गया था.
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