सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के थोक लाइसेंस नियमों में दखल देने से किया इनकार

निजी शराब की दुकानें 2021-22 आबकारी नीति के तहत 17 नवंबर से काम करना शुरू कर देंगी. तब सभी मौजूदा सरकारी शराब की दुकानें स्थायी रूप से बंद हो जाएंगी.

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के थोक लाइसेंस नियमों में दखल देने से किया इनकार

दिल्ली में नई आबकारी नीति के तहत 17 नवंबर से निजी शराब की दुकानें काम करने लगेंगी.

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Suprme Court) ने दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति (Delhi Govt new excise policy) के थोक लाइसेंस नियमों में दखल देने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट जाने को कहा है. कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) कर रहा है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट मामले में दखल नहीं देगा. सर्वोच्‍च अदालत ने कहा कि फैसला आने तक नई नीति पर रोक लगाने के लिए भी हाईकोर्ट में ही दाखिल हो और हाईकोर्ट कानून के मुताबिक इस पर विचार करे. दरअसल शराब के एक निजी थोक व्यापारी ने नई आबकारी नीति के L1 लाइसेंस नियम पर रोक लगाने की मांग करते हुए SC का रुख किया था.

याचिकाकर्ता ने इस नियम पर रोक लगाने की मांग की कि L1 लाइसेंस केवल उन्हीं संस्थाओं को दिया जाएगा जिनके पास भारत के किसी एक राज्य में पांच साल का थोक वितरण अनुभव है. और जिनका सालाना कारोबार पिछले तीन वर्षों में हर साल 250 करोड़ रुपये हो. नई आबकारी नीति के तहत 17 नवंबर से निजी शराब की दुकानें काम करने लगेंगी.

ये मामला जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ के सामने सुनवाई के लिए आया था. दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और दिल्ली सरकार के वकील संतोष त्रिपाठी पेश हुए. दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति के अनुसार, जिसे 10 सितंबर को जारी किया गया था, L1 लाइसेंस जारी करने के लिए सख्त शर्तों की सिफारिश की गई है. 
 
निजी शराब की दुकानें 2021-22 आबकारी नीति के तहत 17 नवंबर से काम करना शुरू कर देंगी. तब सभी मौजूदा सरकारी शराब की दुकानें स्थायी रूप से बंद हो जाएंगी. याचिकाकर्ता अनीता चौधरी ने थोक विक्रेताओं के लिए नए नियमों पर रोक लगाने के लिए शुरुआत में दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया था लेकिन उनके मामले को बार-बार स्थगित करने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.

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याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने मामले को 18 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है, जबकि नए नियम 17 नवंबर से लागू होंगे और उनकी याचिका को निष्प्रभावी हो जाएगी. याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को शराब के थोक और वितरण में 3 साल से अधिक का अनुभव है. 5 साल के पूर्व अनुभव की आवश्यकता पर नए नियम दिल्ली उत्पाद अधिनियम, 2009 के दायरे से बाहर हैं और सरकार के लिए इस तरह से नए नियम जोड़ना अवैध है.