निजी जासूसी एजेंसियों या प्राइवेट जासूसों को नियंत्रित करने के लिए दिशा निर्देश देने की मांग करने वाली एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी, जिस पर कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया सुप्रीम कोर्ट ने याचिककर्ता से कहा आप अपनी याचिका वापस लीजिए, नहीं तो हम याचिका खारिज कर देंगे. इसके बाद याचिककर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली. सुप्रीम कोर्ट ने मामले में किसी तरह का हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया.
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा था कि निजी जासूसी एजेंसियां कई व्यक्तिगत सबूत जमा करती हैं, जो हमारे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. याचिकाकर्ता ने कहा कि किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा निजता का उल्लंघन नहीं किया जा सकता है. याचिका में ये भी कहा था कि निजी जासूस किसी व्यक्ति की तस्वीरें, वीडियो आदि जानकारी लेकर विदेशी को भी दे देते हैं जिस पर कोई गाइडलाइन नहीं है.
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया था कि वो केंद्र सरकार, MHA और MEA को निजी जासूसी एजेंसियों के लिए गाइडलाइन तैयार करने का निर्देश दे लेकिन कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. याचिकाकर्ता का कहना था कि सबूत जमा करना या किसी भी प्रकार की जानकारी या सूचना जमा करने के लिए निजी जासूसी एजेंसियां अपने तरीकों से निजता के अधिकार का उल्लंघन नहीं कर सकती हैं.
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