स्पेशल मैरिज एक्ट (Special Marriage Act) के तहत शादी करने का इरादा रखने वाले जोड़ों का विवरण देने वाले 30 दिन के सार्वजनिक नोटिस के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार (Central Government)को नोटिस जारी किया है. हालांकि सुनवाई के दौरान CJI एसए बोबडे ने याचिकाकर्ता को कहा कि आपकी दलील है कि यह उनकी निजता का उल्लंघन है, लेकिन सोचिए अगर पत्नी या बेटी भाग जाए तो उन्हें (पति या पिता को) पता क्यों नहीं चलना चाहिए? गौरतलब है कि स्पेशल मैरिज एक्ट के कुछ प्रावधानों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है.
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इस याचिका में कहा गया है कि इन प्रावधानों के तहत दो वयस्कों को विवाह से पहले अपना व्यक्तिगत विवरण छानबीन के लिए सार्वजनिक करना होता है. इससे उनके शादी करने तथा निजता के मौलिक अधिकार प्रभावित होते हैं. केरल की कानून की छात्रा नंदिनी प्रवीण ने यह जनहित याचिका दायर की है, इसमें कहा गया है, व्यक्तिगत विवरण के प्रकाशन का अक्सर विवाह करने के अधिकार पर असर पड़ता है. दूसरे शब्दों में विवाह करने के इच्छुक युगल को अपने निजता के अधिकार को गंवाना पड़ता है. यह तमाम जोड़ों की स्वायतत्ता, गरिमा और विवाह करने के अधिकारों का अतिक्रमण करता है. धर्म, जाति के बंधन तोड़ शादी करने जा रहे जोड़े की सुरक्षा को भी खतरा पहुंचाता है.
याचिका में विशेष विवाह कानून के कई प्रावधानों को चुनौती देते हुए कहा गया है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का हनन करता है.
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